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सक्ती विधानसभा से चुनाव लड़ेंगे दीपक दुबे, आवेदन देकर लोगों से मांगा समर्थन, श्रमिकों के हित में सालों से संघर्ष कर रहे हैं दुबे

जांजगीर चांपा। राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस इंटक प्रदेशाध्यक्ष दीपक दुबे ने प्रदेश के श्रमिको के हित में विधानसभा पर प्रतिनिधित्व दिए जाने की बात कहते हुए विधानसभा सक्ती से अपनी दावेदारी संबंधी आवेदन पत्र ब्लाक कांग्रेस अध्यक्ष कन्हैया कंवर को सौंपा है।

इंटक पदाधिकारियों ने बताया कि श्री दुबे वर्ष 2001 से लगातार जिले की राजनीति में सक्रिय रहे हैं। श्री दुबे जिला जांजगीर चांपा और सक्ती विकास के लिए लगातार संघर्षरत रहे हैं। सक्ती विधानसभा में 2005 से लगातार कभी सविनय यात्रा, पोस्टकार्ड अभियान, स्वाभिमान यात्रा निकाल कई बार पद यात्रा कर विकास के लिए लड़ते रहे है। सक्ती विधानसभा में आज सड़कों की जाल बिछी है, वह यूपीए सरकार में एनसीपी कोटा के केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री सुश्री सूर्यकांता पाटिल और दूसरी यूपीए सरकार के केंद्रीय ग्रामीण मंत्री आगथा संगमा की देन हैं। उनकी विशेष अनुसंशा पर सड़क बनी है। सिवनी से डडाई, सक्ती से बासीनपाट तक की सड़क के लिए कई बार पदयात्रा, कई बार चक्काजाम और भूख हड़ताल तक किया गया, तब सरकार की आंख खुली। वही आज जामवंत परियोजना बन रही है, उसके लिए भी धरना प्रदर्शन किया गया था। तब तत्कालीन कलेक्टर बृजेश चन्द्र मिश्र ने वर्ष 2010-11 में खनिज मद से जामवंत परियोजना को बनाए जाने की अनुशंसा की थी। वहीं दमाऊधारा और तुर्रीधाम को पर्यटन स्थल घोषित करने तत्कालीन कलेक्टर के प्रस्ताव व शासन की अनुसंशा से हुई थी। उनके पोस्टकार्ड अभियान पर ही दमऊधरा के विकास के लिए 50 लाख रुपए का फंड मुहैया कराया गया था, जो आज भी अधूरा है। सक्ती के उप जेल की घोषणा होने के बाद भी जब नहीं बन पा रहा था, तब उसके लिए भी लगातार प्रयास कर बनवाया गया। श्री दुबे हमेशा स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क, पानी, बिजली की लड़ाई सड़क पर लगातार लड़ते रहे हैं। आज सक्ती में विकास का पहिया चलने लगा है, वह कहीं न कहीं लगातार यात्रा, पोस्ट कार्ड अभियान, धरना आन्दोलन की वजह से हो रहा है। यूपीए सरकार के केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार से उन्होंने सक्ती में कृषि महाविद्यालय खोलने की भी अनुशंसा और स्वीकृति करवा लिए, जिसे ग्राम कोसमंदा में बनना था। चार सौ एकड़ शासकीय जमीन को खाली करने की प्रकिया भी चल रही थी, किन्तु क्षेत्र के निर्वाचित नेताओं के ध्यान नहीं देने से खुल नहीं पाया। जब 2012 -13 में प्रशानिक आतंक से सक्ती नगर को उजाड़ा जा रहा था. बेजाकब्जा के नाम पर पूरे सक्ती की आम जनता व नागरिकों को खदेड़ा जा रहा था। तब कोई भी नेता सामने नहीं आ रहे थे। तब दीपक दुबे ने सक्ती में चल रहे तोड़फोड़, बेवजह आमजनों को उनके घर से हटाए जाने के विरोध पर सक्ती नगर के नागरिकों के साथ उस समय एसडीएम कार्यालय का घेराव किया गया था। लाठीचार्ज में कई लोग घायल हुए। जिला मुख्यालय में भूख हड़ताल किया गया था, जिसकी वजह से सक्ती में तोड़फोड़ रुक सका। आज फिर वही स्थिति निर्मित हो रही है। वर्षो से बसे बाजार को तोड़कर पुनर्वास नहीं किया गया है। सक्ती विधानसभा क्षेत्र में चाहे वह किसानों की धान खरीदी का मामला हो, खाद बीज वितरण का मामला हो या अन्य कोई भी मुद्दा हो, सभी पर उन्होंने लगातार ईमानदारी से प्रयास करते हुए आम जनता की लड़ाई लडी है।
मजदूर नेता को मिलनी चाहिए टिकट
श्री दुबे ने कहा कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी इस पर विचार करे। 90 विधानसभा में एक भी मजदूर नेता को टिकट नहीं दी जाती। आज मजदूर, श्रमिक वर्गो के साथ 20 वर्षो से शोषण हो रहा है। छग जैसे सबसे ज्यादा रोजगार देने वाले राज्य के युवा बेरोजगार है और उद्योगों, खदानों, एनटीपीसी, एसईसीएल जैसे उपक्रमों में बाहरी लोगो के कब्जा में है। स्थानीयों को मजदूरी से ज्यादा कुछ काम नहीं मिलता है। आज छग के लोगों की उपेक्षा हो रही है। बिना पीएफ, मेडिकल, सुरक्षा व समुचित वेतन के कार्य करने मजबूर है, जिसकी आवाज बनने के लिए प्रदेश में श्रमिक मजदूर नेता को विधानसभा मे पहुंचना जरूरी है।