नागपंचमी पर आज दल्हा पहाड़ पर उमड़ी लोगों की भीड़, पहाड़ के मेले में शामिल होने उमड़ा जनसैलाब
लखेश्वर यादव@जांजगीर चांपा। जिला मुख्यालय जांजगीर से 25 कि.मी. दूर अकलतरा के पास दलहा पहाड़ है। यहां नागपंचमी के दिन हर साल मेले का आयोजन किया जाता है। इस पहाड़ में मुनि का आश्रम और सूर्यकुंड प्रसिद्ध है। इस कुंड की महत्ता साल के एक दिन नागपंचमी पर सबसे ज्यादा होता है। बताया जाता है कुंड का पानी पीने से सभी प्रकार की बीमारी दूर होती है। यहां नागपंचमी के दिन लोग पहाड़ की चोटी पर चढ़ते है। साथ ही यहां मेले का आयोजन भी किया जाता है, जिसमें शामिल होकर भक्तों का उत्साह बढ़ जाता है। भक्त चारों ओर से पहाड़ पर चढ़ते हैं। दलहा पहाड़ की चोटी पर जाने के लिए जंगल से गुजरते हुए और पत्थरों से भरा लंबा रास्ता तय करने के बाद 4 किलोमीटर की सीधी चढ़ाई चढ़नी पड़ती है। पहाड़ के चारों ओर कोटगढ़, पचरी, पंडरिया व पोड़ी गांव है। आज सुबह से यहां लोगों की भीड़ लगी रही।
खतरनाक है यहां पहाड़ की चढ़ाई
दलहा पहाड़, जो अपनी धार्मिक मान्यताओं के कारण लोगो में अत्यंत ही प्रसिद्ध हैं। पहाड़ की ऊंचाई लगभग 700 मीटर है। इस पहाड़ की ऊपरी चोंटी पर पहुंचने एवं ऊपर से पहाड़ के चारों ओर का नजारा देखने के लिए दूर-दूर से लोग यहां आते हैं। पहाड़ के चारों ओर कोटगढ़, पचरी, पंडरिया व पोड़ी गांव हैं। यहां से घने जंगल के अंदर से जब लोग पहाड़ की ओर बढ़ते हैं तो उन्हें कटीले पौधों और पथरीली पहाड़ों से होकर गुजरना पड़ता है। इस जंगल में सांप भी रहते हैं, लेकिन इसके बावजूद लोग इस यात्रा का मोह नहीं छोड़ते है।
सूर्यकुण्ड का पानी पीने से दूर होती है बीमारी
इस दलहा पहाड़ में विशेष रूप से महाशिवरात्रि और आज नाग पंचमी के दिन यहां पर बेहद भीड़ होती हैं। मुनि का आश्रम और सूर्यकुंड विशेष प्रसिद्ध है। यहां के पंडित उमाशंकर गुरुद्वान के मुताबिक, ऐसी मान्यता है कि नागपंचमी के दिन कुंड का पानी पीने से लोगों का स्वास्थ्य ठीक रहता है। लोगों में किसी भी प्रकार की बीमारी हो, यहां का पानी पीने से चली जाती है।
ज्वालामुखी उद्गार से बना है दलहा पहाड़
जानकारों का मानना हैं कि दल्हा पहाड़ भूगार्भिक क्रिया अर्थात् ज्वालामूखी उद्गार से निर्मित हुआ है। जांजगीर-चांपा क्षेत्र पठारीय इलाका हैं और यहां चूना-पत्थर भारी मात्रा में पाया जाता है। यही कारण है कि दलहा पहाड़ की चट्टानें भी चूना पत्थर की हैं। इस पहाड़ पर चढ़ना अपने आप में अद्भूत है।