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संतान की सुरक्षा को लेकर माताओं ने रखा हलषष्ठी व्रत, माताओं ने बच्चों के दीर्घायु के लिए की पूजा

खरसिया। भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलरामजी का जन्म हुआ था। ऐसे में माता ने अपनी संतान की सलामती को लेकर आज के दिन हलषष्ठी का उपवास रखा। भगवान बलराम का प्रधान शस्त्र हल तथा मूसल है, इसी वजह से बलरामजी को हलधर कहा जाता है, उन्हीं के नाम पर इस त्योहार का नाम हलषष्ठी पड़ा है। बलरामजी को हल बहुत प्रिय है, इसलिए इस दिन हल की भी पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महिलाएं यह व्रत संतान प्राप्ति और संतान की लंबी उम्र के लिए करती हैं। ऐसे मे घर के आंगन में तालाब के जैसे गड्ढे बनाकर उसमें हलषष्ठी माता की मूर्ति स्थापित कर माताओं ने कुमकुम चंदन रोली सुहाग की सामग्री, पशर चावल और 6 प्रकार की भाजी का भोग अर्पित कर इसी को प्रसाद स्वरूप ग्रहण किया और अपने बच्चों की दीर्घायु की कामना की।
संतान की सुरक्षा को लेकर माताओं ने रखा हलषष्ठी व्रत, माताओं ने बच्चों के दीर्घायु के लिए की पूजा चौथा स्तंभ || Console Corptech
संतान की सुरक्षा को लेकर माताओं ने रखा हलषष्ठी व्रत, माताओं ने बच्चों के दीर्घायु के लिए की पूजा चौथा स्तंभ || Console Corptech
संतान की सुरक्षा को लेकर माताओं ने रखा हलषष्ठी व्रत, माताओं ने बच्चों के दीर्घायु के लिए की पूजा चौथा स्तंभ || Console Corptech