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छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को मात देने के लिए BJP की नई रणनीति, अब इन नेताओं पर होगा जिम्मा, जानें नए समीकरण

रायपुर। छत्तीसगढ़ में 15 साल तक बीजेपी सत्ता में रही लेकिन 2018 के चुनाव में पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा. 2018 का चुनाव बीजेपी ने रमन सिंह के चेहरे पर लड़ा था। लेकिन 5 साल तक सत्ता से दूर रहने के बाद बीजेपी इस बार पूरी ताकत के साथ चुनावी मैदान में उतर तो रही है. लेकिन इस बार विधानसभा चुनाव डॉ रमन सिंह की जगह सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ने का फैसला किया गया है. ये कौन चहरे है जो छत्तीसगढ़ की राजनीति में बीजेपी का नेतृत्व कर रहे है. चलिए यही आज आपको बताते है।

दरअसल बीते करीब 5 साल में बीजेपी के संगठन में बदलाव का सिलसिला लगातार जारी रहा है. क्योंकि 5 उपचुनाव, नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव में बीजेपी को बड़ी हार का सामना करना पड़ा है. ऐसे में पार्टी विधानसभा चुनाव में कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है और किसी एक चेहरे के बजाय सामूहिक नेतृत्व से चुनावी में उतर रही है. हालाकि बीजेपी अपने पुराने और सीनियर नेताओं को संभाग वार बड़े चेहरे के रूप में देख रही है. इसमें रायपुर और दुर्ग संभाग के बड़े चेहरे के रूप में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह को ही देखा जा रहा है. छत्तीसगढ़ में चावल वाले बाबा के नाम से प्रसिद्धि हासिल कर चुके डॉ. रमन सिंह राज्य में 15 साल तक एकाधिकार सत्ता चला चुके है. 6 बार विधायक और 1 बार सांसद का चुनाव जीत चुके है और पूरे प्रदेश में बीजेपी का सबसे बड़ा चेहरा है. इसके अलावा रायपुर और दुर्ग संभाग में डॉ रमन सिंह का दबदबा रहा है. इन दोनों संभाग में 40 विधानसभा सीट है. पार्टी ने अभी रमन सिंह को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी है. लेकिन 90 विधानसभा की टिकट के लिए रायपुर में रमन के बंगले में बीजेपी नेताओं की रोजाना भीड़ उमड़ रही है.

बस्तर संभाग में बड़ा चेहरा केदार कश्यप
बस्तर संभाग में बीजेपी के युवा और बड़े नेता माने जाते है केदार कश्यप. 3 बार विधायक रह चुके है. रमन सिंह सरकार में 10 साल तक मंत्री पद पर रहे है. अभी बीजेपी की नई टीम में प्रदेश महामंत्री के पद पर है. बस्तर संभाग के 12 सीटों पर वापसी को जिम्मेदारी दी गई है. इस लिए केदार कश्यप इस बार विधानसभा चुनाव में बस्तर से सबसे बड़े चेहरे है.

बड़े संभाग बिलासपुर में अरुण साव
अरुण साव 2019 लोकसभा में पहली बार सांसद बने है. लेकिन ओबीसी वर्ग के बड़े चेहरे है. पेशे से वकील है. लेकिन बीजेपी के साथ अरुण साव की पृष्ठभूमि आरएसएस से जुड़ी रही है. इसके अलावा जातीय समीकरण के चलते प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई है. क्योंकि राज्य में ओबीसी वोट बैंक से सत्ता की कुर्सी मिलती है. इसके अलावा अरुण साव बिलासपुर संभाग के बड़े नेता है और छत्तीसगढ़ के 90 में से 24 विधानसभा सीट केवल बिलासपुर संभाग से आते है.

सरगुजा संभाग में रामविचार नेताम 
छत्तीसगढ़ में दूसरे बड़े आदिवासी नेता रामविचार नेताम सरगुजा संभाग के बड़े चेहरे है. 4 बार विधायक रह चुके है और पूर्व मंत्री रह चुके है नेताम. 2016 से छत्तीसगढ़ के कोटे से राज्यसभा सांसद रहे. लेकिन अब पार्टी ने रामविचार नेताम को फिर से राज्य के चुनाव में उतार दिए है. नेताम इस बार विधानसभा चुनाव लडेंगे और सरगुजा संभाग के 14 विधानसभा सीटों को जिताने की बड़ी जिम्मेदारी संभाल रहे है.