छत्तीसगढ़जांजगीर-चांपारायपुरशिक्षा – रोज़गार

प्राचार्य की रहमदिली से रेप के आरोपी संविदा रीडर ने तीन साल बाद जमा किया परीक्षा व पुनर्मूल्यांकन का शुल्क 2 लाख 64 हजार

जांजगीर-चांपा। प्रदेश के पहले भारतीय हाथकरघा प्रौद्योगिकी संस्थान में फिर एक चौकाने वाला मामला सामने आया है। सेलम आईआईएचटी में परीक्षा एवं पुनर्मूल्यांकन की राशि 2 लाख 64 हजार रुपए बतौर शुल्क बीते 5 सेमेस्टर लगभग 3 वर्षो से आईआईएचटी चांपा से जमा करने के बजाय हजम कर लिया गया था। इसके बावजूद प्रभारी प्राचार्य डीडी धकाते ने संविदा रीडर पुर्णेश्वर रंगारी के खिलाफ कार्रवाई तो दूर विभागीय पत्र जारी नहीं करने की जानकारी सामने आई है। बताया जाता है जब सेलम से लगातार इस संबंध में पत्राचार करने पर रीडर के जेल में रहते हुए उसके पिता ने यह राशि जमा कराई।

चांपा लछनपुर में संचालित प्रदेश के पहले हाथकरघा प्रौद्योगिकी संस्थान अपने नए-नए कारनामे को लेकर इन दिनों सूर्खियों में है। पहले ही रेप के आरोपी संविदा रीडर से काम लेने को लेकर मामला गरमाया हुआ है। अब एक और सनसनीखेज मामला सामने आया है, जिसमें पता चला है सेलम आईआईएचटी की परीक्षा एवं पुनर्मूल्यांकन शुल्क की राशि 2 लाख 64 हजार रुपए संविदा रीडर रंगारी ने बीते 5 सेमेस्टर करीब 3 वर्षो से जमा करने बजाय दबाए रखा। जानकारी के मुताबिक, सेलम से लगातार पत्राचार व दबाव बनाने पर जेल में रहते हुए संविदा रीडर रंगारी के पिता ने लगभग 3 वर्षो का शुल्क 4 जून 2023 को जमा करवाया। हमारे पास सेलम संस्थान का भेजा चांपा प्राचार्य के नाम वह पत्र भी मौजूद है, जिसमे उन्होंने बार-बार प्राचार्य डीडी धकाते को अवगत भी कराया था। अब इतने बड़े वित्तीय अनियमितता व गंभीर मामले में प्रभारी प्राचार्य डीडी धकाते का मौन रहना समझ से परे है। यही वजह है कि पुणेश्वर रंगारी के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई तो दूर उसे एक विभागीय पत्र भी जारी नहीं किए जाने की जानकारी है। इतने बड़े वित्तीय अपराध और बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करने के बावजूद प्राचार्य का इस तरह मौन रहना रीडर को संरक्षण देने की ओर इशारा करता है।

आखिर कौर है यह संविदा रीडर
बताया जाता है रेप के आरोपी संविदा रीडर पुर्णेश्वर रंगारी के भरोसे ही आईआईएचटी चांपा का संचालन जैसे तैसे किया जा रहा है, जिसके चलते प्रभारी प्राचार्य उन्हें हर में बचाने की चर्चा भी जोरों पर है। यही वजह है रेप के आरोप में 44 दिन जेल में रहने के बाद जब जमानत पर हुआ तो प्रभारी प्राचार्य के मौखिक आदेश पर उसे न केवल संस्थान में ज्वाइन कराया गया, बल्कि जानकारी के मुताबिक उसे सितंबर माह का तनख्वाह भी दिलवा दिया गया। सूत्रों के मुताबिक, सितंबर माह में इस संविदा रीडर की संविदा सेवा समाप्त हो रही है, जिसे बढ़ाने के लिए प्रभारी प्राचार्य ने प्रस्ताव भी संचालक रायपुर को भेजा है। इससे प्रभारी प्राचार्य और संविदा रीडर के मिलीभगत से इंकार नहीं किया जा सकता।

प्रभारी प्राचार्य का अनोखा बयान
प्रभारी प्राचार्य का कहना कि 3 साल तक पैसों को रखने के बाद अब जमा कर दिया गया तो कोई बात नहीं, लेकिन मीडिया को दिए इस अनोखे बयान से बाकी अधिकारी कर्मचारियों को वो ये संदेश दे रहे है कि जरूरत पड़े तो सरकारी पैसों का उपयोग अपने निजी कार्य के लिए कर सकते है। जब तक विभाग को पता न चले और पता चलने पर वह पैसा जमा करा दे। फिर भी किसी तरह की कोई कार्यवाही नही होगी। उनके इस मामले में मौन रहने से यही संदेश जा रहा है, जबकि नियम मुताबिक 7 दिन से अधिक सरकारी पैसों को अपने पास रखना आर्थिक अनियमितता की श्रेणी में आता हैं। इस मामले में विभागीय जांच कर कार्रवाई नहीं करने पर प्राचार्य और पैसों को अपने पास लगभग 5 सत्र तक रखने वाले रेप के आरोपी संविदा कर्मचारी पुर्णेश्वर रंगारी के खिलाफ की जानी चाहिए।

जमा कर दी थी शुल्क राशि
इस संबंध में भारतीय हाथकरघा प्रौद्योगिकी संस्थान लछनपुर के प्रभारी प्राचार्य डीडी धकाते का कहना है कि संविदा रीडर ने विलंब से ही सही परीक्षा व पुनर्मूल्यांकन का शुल्क 2 लाख 64 हजार रुपए जमा करा दिया था। इसलिए उसके खिलाफ किसी तरह कार्रवाई का प्रश्न ही नहीं उठता। संविदा रीडर के सेवा में रखने या हटाने का विवेकाधिकार संचालक रायपुर स्तर का मामला है।