नवरात्रि विशेषः सबकी मुराद पूरी करती है मां मनका दाई, खोखरा में विराजी माता के दरबार में लगा भक्तों का तांता
जांजगीर-चांपा। जिला मुख्यालय जांजगीर के समीपस्थ ग्राम खोखरा में विराजी मां मनकादाई सबकी झोली खुशियों से भर देती है। मां की महिमा का गुणगान ग्रामीण प्रतिदिन भक्त करते हैं। चैत्र व क्वांर नवरात्रि में हर साल यहां माता का दर्शन करने भक्तों की भीड़ उमड़ती है।
मां मनकादाई धाम खोखरा देशी रियासतों के साधु संतों का गढ़ था, जहां अखरा देवता के वीरता की गाथा सुनने को मिलती है। इस गांव में बहुत ज्यादा संख्या में तालाब एवं पुराने देवताओं के मठ एवं मंदिर के अस्तित्व आज भी है। खोखरा में मां मनका दाईं, समलाई मां, काली मां, शारदा मां, शीतला मां सहित कई देवी-देवता विराजमान हैं। मंदिरों से भरे होने के कारण यहां की अपनी एक अलग ही पहचान है। गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि प्राचीन काल में खोखरा गांव शिवाला राजाओं के गढ़ एवं राजपूत क्षत्रियों की अनोखी बस्ती के नाम से परिचित था, तभी मनका दाईं की अद्भुत और अचरज में डाल देने वाली शक्ति सामने आईं। वर्तमान में जहां मंदिर एवं तालाब स्थापित है, वहां पहले घनघोर जंगल था। जिस समय मां मनका दाईं की महिमा सामने आईं, उसी समय सूखा और अकाल पड़ा था। लोग पानी की एक-एक बूंद के लिए तड़प रहे थे, उसी समय एक बालक जंगल के भीतर भैंस चराने गया और उसका भैंस गुम हो गया। बालक ने ग्रामीणों को भैंस के गुम हो जाने की खबर दी, जिससे ग्रामीण उस भैंस को ढूंढने जंगल में गए। सभी डरे सहमे हुए जंगल में प्रवेश करने लगे, क्योंकि उस जंगल में खतरनाक जानवर थे। लोगों को भैंस तालाब के कीचड़ से सने मिला। कुछ महिनों बाद बालक को मां मनका दाईं ने स्वप्न में कहा कि मैं उसी तालाब में हूं, जहां तुम्हारा भैंस मिला था। मैं मनका दाईं हूं, मुझे यहां से निकाल कर मेरी स्थापना कर पूजा अर्चना करो। माता के आदेश के बाद उस आदमी ने तालाब से मिट्टी निकाल कर मां मनका दाईं की प्रतिमा का रूप दिया और उसकी पूजा अर्चना की। इसके बाद से खोखरा में मां मनकादाई का वास हो गया। फिर मां मनका दाईं पूरे गांव में भ्रमण कर किसी भी प्रकार के दुर्घटना का अपनी अद्वितीय शक्ति से आकाशवाणी करती थी। यदि किसी व्यक्ति को समस्या आन पड़ती है तो मां के पावन चरण कमल में अपना मत्था टेक कर अपनी मनोकामना पूर्ण करते थे.