सक्ती। जिले के विभिन्न सेक्टरों में निःशुल्क सिकलिन जांच शिविर का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें सेक्टर के सभी मितानिनों के सहयोग से कार्यक्रमों का संचालन हो रहा है। शिविर में करीब सौ की संख्या में प्रतिदिन जांच की जा रही है। यह जांच एमटी फील्ड में जाकर भी कर रहीं है। जिसमें मितानिन कार्यक्रम के सभी साथियों का सहयोग है।
डभरा ब्लॉक में भी सभी जगह निःशुल्क सिकलिन जांच हो रही है। सिंघीतराई सेक्टर की एमटी सुमन चौहान भी अपने डीसी प्रदीप डनसेना और बीसी एसपीएस राधिका महंत, नूतन चौहान, शारदा देवी निषाद और अपने सेक्टर की सभी मितानिनों के सहयोग से सिकलिन जांच कर रही है। इसमे प्रति एमटी को प्रतिदिन 100 जांच का टारगेट मिला है। सिकलिन जांच कार्यक्रम का संपादन एसएचआरसी की पूरी टीम जी जान से जुटी है। आपकों बता दें कि सिकलिन या सिकलसेल डिजीज लाल रक्त कोशिकाओं के विकारों का एक समूह है, जो बच्चे को उसे माता पिता से मिलता है। यह एक ऑटोसोमल रिसेसिव डिजीज है, जिसका मतलब होगा कि बच्चे को यह बीमारी तभी होगी तब उसकी मां और पिता दोनों में सिकेल सेल जीन होंगे। जब बच्चे को अपनी मां और पिता दोनों से एक बीटा ग्लोबिन जीन की दो विकृत कॉपी मिलती हैं, तो बच्चे में यह विकार उत्पन्न होता है। जीन्स की विकृत कॉपी से डिफेक्टिव हीमोग्लोबिन प्रोटीन बनते हैं। आरबीसी यानी लाल रक्त कोशिकाओं के अंदर असामान्य हीमोग्लोबिन प्रोटीन एक ऐसी चेन बनाता है जो एक साथ झुंड में होती हैं। ये आरबीसी की शेप को बिगाड़ देती हैं।