सेजेस हसौद में मनाया गया विश्व आदिवासी दिवस, पारंपरिक आदिवासी वेशभूषा के साथ विद्यार्थियों ने दी मनमोहक प्रस्तुति..
जांजगीर चांपा। स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम स्कूल हसौद में 10 अगस्त शनिवार को विश्व आदिवासी दिवस हर्षोल्लास से मनाया गया है। कार्यक्रम शुभारंभ माता सरस्वती के तैल चित्र पर द्वीप प्रज्वलित कर किया गया साथ ही आदिवासी महापुरुषों को याद कर अपना श्रद्धा सुमन अर्पित किया गया। इस दौरान छात्र छात्राओं द्वारा परंपरागत आदिवासी नृत्य की प्रस्तुति दी। उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थी समूह को प्राचार्य के द्वारा पुरस्कृत किया गया।
इस बीच विद्यालय के प्राचार्य गिरधारी नारायण साहू ने बधाई एवं शुभकामना देते हुए कहा कि आदिवासियों ने अपने ज्ञान का उपयोग सिर्फ अपने लिए नहीं बल्कि संपूर्ण राष्ट्र के लिए किया। आदिवासियों का राष्ट्र के प्रति वह अमृत भाव ही था, जिसने सिद्दू और कान्हू, तिलका और मांझी, बिरसा मुंडा, वीरनारायण सिंह इत्यादि वीर योद्धाओं को जन्म दिया है। पुरातन संस्कृत ग्रंथों में आदिवासियों को अत्विका नाम से संबोधित किया गया। महात्मा गांधी ने आदिवासियों को गिरिजन (पहाड़ पर रहने वाले लोग) से संबोधित किया।
भारतीय संविधान में आदिवासियों के लिए अनुसूचित जनजाति पद का उपयोग किया।आदिवासी समाज में एक मदद की परंपरा है, जिसे हलमा कहते हैं। इसके अंतर्गत जब कोई व्यक्ति या परिवार अपने संपूर्ण प्रयासों के बाद भी खुद पर आए संकट से उबरने में असमर्थ होता है, तब उसकी मदद के लिए सभी ग्रामीण जुटते हैं और अपने निस्वार्थ प्रयत्नों से उसे उस मुश्किल से बाहर निकालते हैं। कार्यक्रम के दौरान स्कूली बच्चों ने पारंपरिक वेशभूषा में पहुंचे। इस दौरान आदिवासी समाज की विभिन्न नृत्यों की प्रस्तुति दी गई। कार्यक्रम का संचालन अभिषेक पांडेय तथा मिलाप सिंह मल्होत्रा ने किया। आयोजन में विद्यालय के शिक्षक शिक्षिकाएँ एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।