खरसिया। महाविद्यालय खरसिया के हिंदी विभाग के छात्रों के द्वारा दिनांक 04 अक्टूबर 2024 को हिंदी साहित्य आधुनिक काल शुक्ल युग 1920 से 1940 के प्रणेता आचार्य रामचंद्र शुक्ल की जयंती अत्यंत सादगी के साथ मनाई गई. विभागाध्यक्ष हिंदी डॉक्टर रमेश टंडन के दिशा निर्देशन में छात्रों ने पूरा कार्यक्रम संपन्न कराया. डॉक्टर टंडन ने छात्रों को मंचासीन कराते हुए छात्रों को मंचीय कर्त्तव्य का बोध कराया. इस कड़ी में एम ए हिंदी तृतीय सेमेस्टर की छात्रा श्रेया सागर को मुख्य अतिथि बनाया गया. तृतीय सेमेस्टर के ही छात्र दामोदर पटैल को अध्यक्ष की आसंदी दी गई. विशिष्ट अतिथि त्रय के रूप में प्रथम सेमेस्टर से उमा साहू, सोनू बंजारे और कौशलदास महंत को मंच प्रदान किया गया।
सर्वप्रथम प्रीति राठिया और सुनीता राठिया के वंदना सहयोग में सभी मंचासीन छात्रों ने माँ शारदे की कांस्य प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलित करते हुए पूजा अर्चना की. तदुपरांत श्रद्धा कुर्रे एवं जीतू जोशी ने छत्तीसगढ़ राज्य गीत की प्रस्तुति दी. समस्त मंचासीन अतिथियों ने आचार्य रामचंद्र शुक्ल के छाया चित्र पर पुष्प अर्पित कर नमन किया. अतिथि रूप में मंच पर विराजमान छात्रों के स्वागत उपरांत उद्बोधन का क्रम प्रारंभ हुआ. सभी ने आचार्य शुक्ल के जीवन परिचय एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला. डॉक्टर आर के टंडन एवं प्रो. अंजना शास्त्री ने शुक्ल जी के निबंध संग्रह चिंतामणि के कुछ निबंधों जैसे श्रद्धा-भक्ति, कविता क्या है, लज्जा और ग्लानि, लोभ और प्रीति, घृणा, इर्ष्या, भय, क्रोध आदि की मानव जीवन उपयोगी बातों को छात्रों के समक्ष रेखांकित किया. श्रद्धा कुर्रे के मंच संचालन में संपन्न उक्त जयंती के अवसर पर समस्त अतिथियों का आभार जीतू जोशी ने किया. विभागीय शिक्षक डॉक्टर डायमंड साहू और कुसुम चौहान की उपस्थिति में श्रेया, मुकेश कुमार, यामिनी, गीता, रेनू, दुर्गेश, शांति, पुष्पेन्द्र, नर्मदा, प्रीति, विवेक, राहुल, गुलापी, टिकेश्वरी, उमा, मनोज, कौशल दास, सुनीता, पुष्पा, श्रद्धा, जीतू, दामोदर एवं सोनू ने शुक्ल जी के साहित्यिक अवदान को बारिकी से समझा.