मड़वा प्लांट के भूविस्थापितों को नौकरी देने उग्र आंदोलन प्रारंभ, बेमियादी हड़ताल के बाद शुरू हुआ क्रमिक भूख हड़ताल, अब भूविस्थापित महिला भी अन्याय के खिलाफ मुखर, प्लांट प्रबंधन व शासन प्रशासन को नहीं कोई सरोकार
जांजगीर-चांपा। मड़वा प्लांट के भूविस्थापितों को नौकरी देने की मांग को लेकर मड़वा ताप विद्युत कामगार एवं भू-विस्थापित श्रमिक संघ एटक की जिला इकाई महीने भर से आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं है। इनका आंदोलन धीरे-धीरे उग्र रूप लेता जा रहा है, लेकिन प्लांट प्रबंधन के साथ ही शासन-प्रशासन के अफसरों को भी इनसे कोई सरोकार नहीं है। हालांकि विपक्ष के विधायक व्यास कश्यप ने आंदोलन स्थल पहुंचकर उनकी मांगों का समर्थन किया था। लेकिन उसके बाद से ये लोग रोज बेमियादी आंदोलन कर रहे हैं। यहां तक इनकी दिवाली भी इसी आंदोलन स्थल पर मनी थी। धीरे धीरे उग्र हो रहा उनका आंदोलन।
मड़वा ताप विद्युत कामगार एवं भू-विस्थापित श्रमिक संघ एटक की जिला इकाई द्वारा अटल बिहारी बाजपेयी ताप विद्युत संयंत्र में अधिग्रहित भूमि के भू-विस्थापितों को नौकरी दो, की मांग को लेकर 14 अक्टूबर से मड़वा प्लांट प्रवेश द्वार चौक, दर्राभांठा चांपा में चरणबद्ध अनिश्चित कालीन हड़ताल कर रहे हैं। आज उनके आंदोलन का छत्तीसवां दिन चल रहा है, लेकिन उनके आंदोलन और मांग से शासन, प्रशासन और प्लांट प्रबंधन को कोई सरोकार ही नहीं है। यही वजह से उनके पास जाने की भी कोई जहमत नहीं उठा रहे हैं। लोग उनको आंदोलन करते देख निकल जा रहे हैं, लेकिन उनकी समस्या व मांग सुनने की फुर्सत किसी को नहीं है। बता दें कि जब ताप विद्युत संयंत्र परियोजना आयी, तब 2007 में ग्राम मड़वा- तेन्दुभांठा के किसानों से उनकी सिंचित भूमि को बहुत ही औने पौने दाम 3 लाख 64 हजार प्रति एकड़ की दर पर खरीदी की गई थी। पुनर्वास नीति 2007 के लाभ के तहत भू-विस्थापित खातेदार एवं सह खातेदार को नौकरी देने एवं जब तक नौकरी नहीं दी जाती, तब उस स्थिति में पुनर्वास नीति के तहत जीवन निर्वहन भत्ता मनरेगा के बढ़ते क्रम में देने की सहमति बनी थी लेकिन अब तक भू-विस्थापितों को न ही नौकरी दी गई है और ना ही जीने के लिए जीवन निर्वहन भत्ता दिया जा रहा है। संयंत्र की गोद नामित गाँवों को बिजली, पानी, सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य एवं नौकरी के लिए प्रशिक्षण की सुविधा निःशुल्क देने की सहमति भी तीनों पक्षकारों के बीच बनी थी। भू-विस्थापितों के द्वारा किया जा रहा अनिश्चित कालीन हड़ताल अपने हक अधिकार की लड़ाई है, जो मांग पूरी होते तक जारी रहेगी। आज हड़ताल का छत्तीसवां दिन था, पर शासन, प्रशासन एवं छग. राज्य विद्युत मंडल उनकी उचित मांग को संज्ञान नही ले रहे हैं। जिससे भू-विस्थापितों में आक्रोश है। भू-विस्थापितों के द्वारा चरणबद्ध अनिश्चित कालीन हड़ताल का स्वरूप 08 नवंबर से चरणबद्ध अनिश्चित कालीन क्रमिक भूख हड़ताल में बदल गया हैं। आज ग्यारह दिन हो चुका है, परन्तु शासन, प्रशासन व विद्युत प्रबंधन के द्वारा भूविस्थापितों की मांग पर कोई भी संज्ञान नहीं लिया जा रहा है। अब आगमी चरण में मातृशक्ति (महिलाओं) ने क्रमिक भूख हड़ताल में बैठने का निर्णय लिया है। किसी भी भू-विस्थापितों व उनके परिवारों में कोई अप्रिय घटना घटती है उसकी सारी जिम्मेदारी शासन, प्रशासन व विद्युत प्रबंधन की होगी।
क्रमिक भूख हड़ताल के ग्यारहवें दिन में आज भूविस्थापित नंदू कुमार गोंड, करन कुमार गोंड, कलेश्वर सिंह कंवर शामिल रहे।