चांपा में दोबारा नपाध्यक्ष के साथ बनेगा रिकार्ड, अब तक कोई भी पूर्व नपाध्यक्ष नहीं बने दोबारा अध्यक्ष, दोनों पूर्व नपाध्यक्ष के बीच प्रमुख मुकाबला!

हरि अग्रवाल@जांजगीर-चांपा।
चांपा नगरपालिका चुनाव के लिए बिसात बिछ चुका है। अध्यक्ष सीट के लिए दोनों ही पार्टी से कई उम्मीदवार कतार में थे, लेकिन चुनाव के रण में दोनों पूर्व नपाध्यक्ष कांग्रेस से जहां राजेश अग्रवाल तो वहीं भाजपा ने प्रदीप नामदेव पर भरोसा जताया है। आज राजेश अग्रवाल और प्रदीप नामदेव ने एसडीएम कार्यालय पहुंचकर अपना-अपना नामांकन दाखिल किया। इस चुनाव में एक रिकार्ड भी बनने जा रहा है। अभी तक कोई भी पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष दोबारा चुनकर नहीं आया है, लेकिन पहली दफा ऐसा होगा जब कांग्रेस से जहां पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष राजेश अग्रवाल तो वहीं भाजपा से पूर्व नपाध्यक्ष प्रदीप नामदेव आपस में टकराएंगे और इन दोनों में से ही नगरपालिका अध्यक्ष बनना तय है।

भाजपा और कांग्रेस में कांटे की टक्कर
चांपा नगरपालिका का चुनाव इस बार कई मायने से काफी दिलचस्प है। अध्यक्ष सीट के लिए कई उम्मीदवार मैदान में है लेकिन प्रमुख मुकाबला भाजपा के प्रदीप नामदेव और कांग्रेस के राजेश अग्रवाल के बीच ही माना जा रहा है। बता दें कि चांपा नगरपालिका में बीते एक दशक से कांग्रेस का दबदबा रहा है। पिछले दोनों कार्यकाल में कांग्रेस को पूर्ण बहुमत मिला है। लेकिन विधानसभा चुनाव में चांपा से भाजपा को बढ़त मिली थी। इस लिहाज से भाजपा आश्वस्त है कि चांपा में कमल ही खिलेगा। उपर से राज्य में भाजपा की सत्ता का प्रभाव भी पड़ सकता है। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस विधानसभा चुनाव में हुई गलती से सीख लेते हुए कांग्रेस भटके लोगों को फिर से साधने के फेर में है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि चांपा नगरपालिका में अध्यक्ष की कुर्सी का मुकाबला काफी दिलचस्प होने के आसार है, क्योंकि दोनों उम्मीदवार अपने-अपने स्थान पर काफी मजबूती से जनता के बीच नजर आ रहे हैं।

राजेश और प्रदीप ने मनवाया अपना लोहा
यही वजह है कि पिछले कार्यकाल में जहां राजेश अग्रवाल ने अध्यक्ष की कुर्सी संभालते हुए शहर विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उस समय जर्जर गौरवपथ का कायाकल्प करके शहरवासियों को राहत दिलाते हुए चमचमाती सड़क की सौगात दी थी तो वहीं रामबांधा तालाब का गहरीकरण और सौंदर्यीकरण भी कराया। इसके अलावा अंबेडकर भवन, हनुमानधारा में इंडोर स्टेडियम, परमेश्वरी भवन सहित वार्डों में कई महत्वपूर्ण कार्य कराए, जिसकी चर्चा अब तक लोगों में आम है। खास बात यह है कि राजेश अग्रवाल के कार्यकाल में भाजपा की सत्ता थी। इसके बावजूद विपक्ष में होते हुए उन्होंने उल्लेखनीय कार्य किया था। इसी तरह राजेश अग्रवाल से पहले भाजपा के प्रदीप नामदेव अध्यक्ष की कुर्सी में आसीन थे। उनके कार्यकाल में भी कई महत्वपूर्ण विकास कार्यो को गति मिली थी। प्रदीप नामदेव के दौर में भी विभिन्न वार्डों में सड़क, नाली निर्माण के साथ ही कई भवन और अन्य बुनियादी सुविधा मुहैया कराने में उनका योगदान सराहनीय था। दोनों ने अपने-अपने कार्य और व्यक्तित्व से शहर में लोहा मनवाया है।
कामेश्वर धैर्य बना रहा त्रिकोणीय मुकाबला
नगरपालिका के पार्षद कामेश्वर धैर्य ने अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल कर अध्यक्ष चुनाव को त्रिकोणीय बना दिया है। निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में ताल ठोंककर कामेश्वर धैर्य ने सभी को चौका दिया है। पूर्व विधायक नारायण चंदेल के करीबी माने जाने वाले कामेश्वर धैर्य का नाम विधानसभा चुनाव में दावेदारों की सूची में शामिल था। कामेश्वर धैर्य के अध्यक्ष के लिए मैदान में डटने का सबसे बड़ा नुकसान भाजपा को होते दिख रहा है। क्योंकि कहा जा रहा है कि वो स्वयं भाजपा से नाराज होकर बतौर निर्दलीय पर्चा दाखिल किया है। ऐसे में भाजपा का समीकरण बिगड़ सकता है। हालांकि नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि आज 28 जनवरी को है। इस बीच यदि कामेश्वर धैर्य को भाजपा यदि मनाने में कामयाब हो गई तो समीकरण कुछ अलग होगा। लेकिन अभी के हालात में अध्यक्ष पद का मुकाबला त्रिकोणीय होने के आसार है।