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चांपा नगरपालिका चुनावः किसके सिर सजेगा जीत का सेहरा, राजेश और प्रदीप के बीच कांटे की टक्कर, निर्दलीय बिगाड़ रहे समीकरण, नामांकन के बाद गरमाएगा माहौल


हरि अग्रवाल@जांजगीर-चांपा

चांपा नगरपालिका चुनाव ने पूरे शहर को एक उत्सव के रंग में रंग दिया है। अध्यक्ष सहित 27 वार्डों की सीटों पर होने वाले इस चुनाव में कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधा मुकाबला है। हालांकि निर्दलीय प्रत्याशी भाजपा और कांग्रेस का समीकरण बिगाड़ने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। हर गली और मोहल्ले में इस बार की टक्कर को लेकर चर्चा हो रही है। एक ओर दस साल से नगर पर शासन कर रही कांग्रेस से राजेश अग्रवाल हैं, तो दूसरी ओर भाजपा ने नए जोश के साथ प्रदीप नामदेव को अपना चेहरा बनाया है। दोनों ही दलों ने अपनी ताकत झोंक दी है, लेकिन जनता का मूड चुनावी समीकरणों को नया मोड़ दे सकता है। दोनों दलों ने आज अध्यक्ष सहित सभी वार्डों के प्रत्याशियों और समर्थकों के साथ शहर में रैली निकाली और शहर के विभिन्न मार्गों से होते हुए एसडीएम कार्यालय पहुंचकर दोनों दल के प्रत्याशियों ने अपना बारी बारी पर्चा दाखिल किया।

राजनीति का मैदानः हर दिन नया मोड़

चुनाव प्रचार के साथ चांपा की राजनीति हर दिन नई करवट ले रही है। रैलियों में उमड़ती भीड़, समर्थकों की नारेबाजी और प्रत्याशियों की नई घोषणाओं और चुनावी मुद्दों ने चुनावी माहौल को गरमा दिया है। कांग्रेस जहां अपने पुराने कार्यों का बखान कर रही है, वहीं भाजपा चांपा में पूर्व में कराए गए कार्य और भविष्य को लेकर नए सपने दिखा रही है।


राजेश अग्रवाल का दांवः
राजेश अग्रवाल ने पिछले एक दशक में हुए विकास कार्यों को अपनी सबसे बड़ी ताकत बताया है। उन्होंने शहर में गौरवपथ, रामबांधा तालाब कायाकल्प, सड़क, बिजली और जलापूर्ति जैसे बुनियादी विकास कार्यों को गिनाते हुए जनता को भरोसा दिलाया है कि कांग्रेस की सरकार नगर को और अधिक ऊंचाइयों पर ले जाएगी। राजेश अग्रवाल ने कहा, पिछले दस वर्षों में हमने चांपा को बदलने का काम किया है। अब इसे मॉडल नगरपालिका बनाना हमारा लक्ष्य है।


प्रदीप नामदेव की रणनीतिः
दूसरी ओर, भाजपा प्रत्याशी प्रदीप नामदेव युवाओं, व्यापारियों और महिलाओं को खासतौर पर लुभाने की कोशिश कर रहे हैं। प्रदीप का कहना है कि चांपा को अब बदलाव की जरूरत है। उन्होंने भाजपा की नीतियों और केंद्र व राज्य की योजनाओं का जिक्र करते हुए कहा, चांपा की जनता को एक नई सोच और नई ऊर्जा चाहिए। भाजपा ही वह पार्टी है जो जनता की अपेक्षाओं को पूरा कर सकती है।

वार्डों का गणितः किस ओर झुकेगा पलड़ा?
चांपा के 27 वार्डों में प्रत्याशियों ने डोर-टू-डोर प्रचार से लेकर जनसभाओं तक, हर तरीके से जनता के बीच अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की खास रणनीति बनाई है। हर वार्ड की अपनी अलग समस्याएं हैं, और हर पार्टी ने इन्हें अपने घोषणा पत्र में प्राथमिकता देने का वादा किया है। अब देखना काफी दिलचस्प होगा कि कौन सा दल और कौन प्रत्याशी जनता के मन को जीत सकता है।

चुनाव में क्या कहती है जनता?
चांपा की जनता इस बार बेहद सतर्क और सजग दिख रही है। मोहल्लों में चर्चा है कि दस साल से चांपा की सत्ता में रही कांग्रेस को कुछ वार्डों में एंटी-इंकम्बेंसी का सामना करना पड़ सकता है। वहीं, भाजपा की रणनीति और योजनाओं से जनता कितनी प्रभावित होती है यह समय बताएगा। एक दुकानदार का कहना है कि इस बार मुकाबला कड़ा है। कांग्रेस ने काम किया है, लेकिन भाजपा भी बेहतर विकल्प देने का दावा कर रही है। देखना होगा जनता किसे मौका देती है।

क्या हो सकता है परिणाम?
चुनाव के परिणाम पूरी तरह से जनता की प्राथमिकताओं पर निर्भर करेंगे। क्या चांपा में कांग्रेस का वर्चस्व कायम रहेगा, या भाजपा इतिहास रचने में सफल होगी? हर किसी की नजर मतदान के दिन और परिणाम पर टिकी हुई है। चांपा में लोकतंत्र का यह पर्व इस बार जितना रोमांचक है, उतना ही अनिश्चित भी। सवाल वही है कौन बनेगा चांपा का अगला राजा?