चांपा नगरपालिका चुनाव में गुम हुए शहर के ज्वलंत मुद्दे, शहर में समस्याओं का अंबार, मुद्दों के बजाय केवल बड़े-बड़े दावे कर रहे नेता

हरि अग्रवाल@जांजगीर चांपा
चांपा नगरपालिका चुनाव के लिए घमासान मचा हुआ है। भाजपा, कांग्रेस सहित अन्य दल व निर्दलीय सभी चुनाव जीतने के लिए ऐड़ीचोटी का जोर लगा रहे हैं। शहर में कई तरह की ज्वलंत समस्याएं हैं, लेकिन किसी भी दल के नेता या प्रत्याशी इन समस्याओं पर बात नहीं कर हैं। शहर की बुनियादी समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं। विकास और नागरिक सुविधाओं का वादा करने वाले राजनीतिक दल और उनके नेता चुनावी मौसम में ही जनता को याद करते हैं। शहर की प्रमुख समस्याओं पर कोई गंभीर चर्चा नहीं हो रही, जिससे जनता में गहरा आक्रोश है।
तालाबों और हसदेव नदी का प्रदूषण
चांपा के रामबांधा सहित अन्य तालाबों की स्थिति अत्यंत दयनीय है। तालाबों में गंदगी और कचरे का ढेर लगा हुआ है, जिससे पानी उपयोग करने योग्य नहीं रह गया है। हसदेव नदी भी नाली के गंदे पानी और अन्य प्रदूषकों के कारण जहरीली हो चुकी है। कभी यह नदी स्थानीय लोगों के लिए जल का प्रमुख स्रोत थी, लेकिन आज इसकी स्थिति इतनी खराब हो गई है कि इसका पानी पीने तो दूर, अन्य कार्यों में भी उपयोग नहीं किया जा सकता। नगर प्रशासन और नेताओं की निष्क्रियता ने इस समस्या को और अधिक गंभीर बना दिया है।
अधूरा पड़ा ट्रीटमेंट प्लांट
शहर में हसेदव नहीं को प्रदूशण से मुक्ति दिलाने के लिए गंदे पानी को स्वच्छ कर नदी में प्रवाहित करने के लिए ट्रीटमेंट प्लांट की योजना बनाई गई थी, लेकिन वर्षों बीत जाने के बावजूद यह परियोजना अधूरी पड़ी है। प्रशासन की लापरवाही और अनदेखी के कारण यह अनुपयोगी साबित हो रहा है। यह हाल तब है जब चुनावी भाषणों में बड़े बड़े दावे किए जाते हैं।
खेल मैदान की कमी, खेल प्रतिभा धूमिल
चांपा शहर में खेल मैदानों की भारी कमी है। कोई भी मानक खेल परिसर उपलब्ध नहीं है, जिससे युवा खिलाड़ियों को अभ्यास करने और अपनी प्रतिभा निखारने का अवसर नहीं मिल पाता। खेलों में रुचि रखने वाले युवाओं को दूसरे शहरों की ओर रुख करना पड़ता है। नगर पालिका और सरकार इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठा रही, जिससे कई उभरती हुई खेल प्रतिभाएँ दम तोड़ रही हैं।
मेडिकल कॉलेज की मांग हुई अनसुनी
चांपा में मेडिकल कॉलेज की मांग लंबे समय से की जा रही थी, लेकिन राजनीतिक प्रभाव के कारण यह कॉलेज जांजगीर चला गया। इससे स्थानीय छात्रों और मरीजों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। यदि मेडिकल कॉलेज चांपा में स्थापित होता, तो शहर को एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सुविधा मिलती और स्थानीय लोगों को बेहतर चिकित्सा सेवा उपलब्ध होती। लेकिन नेताओं ने जनता की इस मूलभूत जरूरत की अनदेखी कर दी।
जनता की समस्याओं पर नेताओं की चुप्पी
चुनावी मौसम में नेताओं की सक्रियता बढ़ जाती है, वे बड़े-बड़े वादे करते हैं, लेकिन चुनाव खत्म होते ही जनता की समस्याओं से मुंह मोड़ लेते हैं। आम दिनों में लोग अपनी छोटी-छोटी समस्याएं लेकर नगरपालिका के चक्कर काटते रहते हैं, लेकिन कोई समाधान नहीं निकलता। साफ-सफाई, जल निकासी, स्वास्थ्य सेवाएं और यातायात जैसी बुनियादी सुविधाओं पर भी प्रशासन ध्यान नहीं देता।
सड़क पर बाजार, वीरान पड़ी दुकानें
शहर के बेरियर चौक, परशुराम चौक सहित कई जगह सड़क पर लोग दुकान लगाकर जीवनयापन करने मजबूर हैं। सड़क पर बाजार लगने से यातायात की गंभीर समस्या है। यातायात जवानों की तैनाती भी नाममात्र की है। पौनीपसारी योजना के तहत बनी दुकानें वीरान पड़ी है। रेलवे प्रशासन के बेजाकब्जा हटाओ अभियान में बेदखल हुए व्यापारियों को भी आज तक फिर से आबाद नहीं किया जा सका। इन समस्याओं के समाधान के लिए कोई नेता दावा नहीं कर रहा है।
जनता के लिए कब जागेंगे जनप्रतिनिधि?
नगरपालिका चुनाव के समय नेताओं को जनता की याद आती है, लेकिन क्या यह याददाश्त स्थायी होगी? जनता के सामने यह बड़ा सवाल है। इस बार के चुनाव में मतदाताओं को उन नेताओं से जवाब मांगना चाहिए जिन्होंने वर्षों तक केवल वादे किए लेकिन जमीनी स्तर पर कोई ठोस कार्य नहीं किया। अब समय आ गया है कि चांपा की जनता अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो और ऐसे जनप्रतिनिधियों का चयन करे जो वास्तव में शहर के विकास के लिए प्रतिबद्ध हों। जब तक जनता अपने हक के लिए आवाज नहीं उठाएगी, तब तक बुनियादी समस्याओं से जूझना उसकी नियति बनी रहेगी।