श्रीमद्भागवत कथा के पंचम दिवस पर व्यास पं. अंशुमान मिश्रा ने प्रथम पूज्य गणेश जी प्रसंग पर दिया प्रेरणादायक प्रवचन

चांपा। प्राचीनतम देव स्थल, प्रसिद्ध जगन्नाथ मठ मंदिर, ब्रह्मण पारा, चांपा में तिवारी परिवार द्वारा स्व लक्ष्मी प्रसाद तिवारी के स्मृति में वार्षिक श्राद्ध पर सर्व पितृ मोक्षार्थ निमित्त आयोजित श्रीमद्भागवत कथा पुराण के पंचम दिवस पर श्रद्धालुओं की भारी उपस्थिति में भावपूर्ण वातावरण के मध्य कथा का भव्य आयोजन संपन्न हुआ।
गौरव ग्राम सिवनी (जांजगीर-चांपा) से पधारे विद्वान एवं युवा कथा वाचक पं. अंशुमान मिश्रा शास्त्री जी ने व्यासपीठ से अपने प्रभावशाली संस्कृत श्लोकों एवं प्रेरणादायक प्रवचनों द्वारा श्रोताओं को भावविभोर कर दिया।
पंचम दिवस के प्रमुख प्रसंग में शास्त्री जी ने प्रथम पूज्य गणेश जी के अग्रपूजन के रहस्य का सुंदर वर्णन किया। उन्होंने बताया कि महर्षि दुर्वासा द्वारा जंगली पुष्पों से निर्मित विशेष माला में अग्रपूजन का प्रभाव स्थापित किया गया था, जो बाद में घटनाक्रम के अनुसार हाथी पर स्थित हो गई। भगवान शिव द्वारा गणेश जी के कटा हुआ शीश पुनः स्थापित करने हेतु उसी हाथी का मस्तक जोड़ा गया, जिससे गणेश जी को सृष्टि में प्रथम पूज्य होने का गौरव प्राप्त हुआ। इस प्रसंग के माध्यम से शास्त्री जी ने अभिमान त्याग, प्रसाद की मर्यादा और भगवान के प्रति श्रद्धा के महत्व को बड़े ही भावपूर्ण शब्दों में श्रोताओं के हृदय तक पहुँचाया।
शास्त्री जी ने भागवत महापुराण कथा के अन्य प्रसंगों से यह शिक्षा दी कि धर्म, श्रद्धा और विवेक का समुचित विकास मनुष्य को ईश्वर से जोड़ता है तथा आत्मकल्याण का पथ प्रशस्त करता है।
कथा के समापन पर भगवान श्रीकृष्ण जी की आरती का भव्य आयोजन हुआ तथा भक्तों में प्रसाद वितरण किया गया। समस्त वातावरण श्रीकृष्ण नाम के संकीर्तन से गूंज उठा।
आयोजन में परायणकर्ता पं. पवन तिवारी, मुख्य यजमान श्रीमती धात्री धीरज तिवारी , माताजी, अजय तिवारी, छोटे तिवारी, समस्त तिवारी परिवार, रिश्तेदारगण तथा मठ मंदिर एवं राजापारा सहित आसपास के ग्रामों से श्रद्धालुजन भारी संख्या में उपस्थित होकर पुण्य लाभ अर्जित कर रहे हैं।