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बड़ी खबर: यूपीआई सर्विस एक बार फिर ठप, लाखों यूजर्स को भुगतनी पड़ी परेशानी

गूगल पे, फोनपे, पेटीएम जैसे ऐप्स पर ट्रांजेक्शन फेल; HDFC, SBI, BOB समेत कई बड़े बैंकों की सेवाएं प्रभावित

देशभर में डिजिटल भुगतान प्रणाली यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) गुरुवार, 7 अगस्त 2025 को फिर से ठप हो गई, जिससे करोड़ों उपयोगकर्ताओं को लेनदेन में दिक्कतों का सामना करना पड़ा। यह इस साल चौथी बार है जब UPI सेवा में इतनी बड़ी गड़बड़ी सामने आई है।

गुरुवार शाम करीब 7:45 बजे से सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों पर यह रिपोर्टें आने लगीं कि गूगल पे, फोनपे, पेटीएम और अन्य प्रमुख UPI प्लेटफॉर्म पर ट्रांजेक्शन फेल हो रहे हैं। यूजर्स का कहना था कि उनके बैंक खाते से पैसा कट तो रहा है, लेकिन प्राप्तकर्ता तक नहीं पहुंच रहा है या फिर पेमेंट प्रोसेसिंग के दौरान ऐप क्रैश हो रहा है।

बड़ी संख्या में आईं शिकायतें

स्थिति की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि DownDetector वेबसाइट पर रात 8 बजे तक 2,147 से ज्यादा आउटेज रिपोर्ट दर्ज की गईं। इनमें से करीब 80% शिकायतें पेमेंट फेल होने से संबंधित थीं। डाउनडिटेक्टर एक रीयल-टाइम आउटेज ट्रैकिंग वेबसाइट है, जो यूजर्स को विभिन्न डिजिटल सेवाओं की स्थिति की जानकारी देती है।

प्रमुख बैंक भी प्रभावित

इस गड़बड़ी का असर केवल पेमेंट ऐप्स पर ही नहीं पड़ा, बल्कि कई बड़े बैंक जैसे कि एचडीएफसी बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा और कोटक महिंद्रा बैंक की यूपीआई सेवाएं भी प्रभावित रहीं। उपयोगकर्ताओं ने शिकायत की कि इन बैंकों के माध्यम से किए गए यूपीआई लेनदेन बार-बार फेल हो रहे थे।

एनपीसीआई ने नहीं दी कोई तत्काल प्रतिक्रिया

लेन-देन ठप होने के बाद, भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) की ओर से कोई तत्काल आधिकारिक बयान नहीं आया, जिससे लोगों में असमंजस और बढ़ गया। विशेषज्ञों का कहना है कि नेटवर्क कंजेशन या सिस्टम अपडेट जैसी तकनीकी वजहें इस तरह की समस्याओं की वजह बन सकती हैं, लेकिन बार-बार ऐसा होना गंभीर चिंता का विषय है।

यूजर्स ने सोशल मीडिया पर जताई नाराजगी

यूपीआई सेवा के बार-बार ठप होने से लोग अब सोशल मीडिया पर नाराजगी जाहिर कर रहे हैं। ट्विटर (अब एक्स) पर कई यूजर्स ने सरकार और NPCI को टैग करते हुए लिखा कि “डिजिटल इंडिया की रीढ़ यूपीआई को इस तरह बैठना नहीं चाहिए”।

बढ़ती निर्भरता, बढ़ती चुनौतियां

भारत में डिजिटल भुगतान की रीढ़ बन चुकी UPI सेवा पर अब हर वर्ग निर्भर है – चाहे वो छोटे व्यापारी हों या आम ग्राहक। ऐसे में हर कुछ महीनों में आने वाली यह तकनीकी समस्या डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिए खतरे की घंटी हो सकती है।