सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: अब अनाथ बच्चों को भी मिलेगा शिक्षा का पूरा अधिकार

भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने एक ऐतिहासिक निर्णय में देश के सभी अनाथ बच्चों को “शिक्षा का अधिकार” (RTE) कानून के तहत निजी और सरकारी स्कूलों में दाखिला देने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने यह आदेश उस याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया जिसमें अनाथ बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का लाभ दिलाने की मांग की गई थी।
जस्टिस बी.वी. नागरत्ना और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने स्पष्ट किया कि अनाथ बच्चों को भी आरटीई एक्ट की धारा 12(1)(सी) के तहत 25% आरक्षण के दायरे में शामिल किया जाए और उन्हें निजी स्कूलों में मुफ्त शिक्षा दी जाए। कोर्ट ने इन्हें वंचित समूह की श्रेणी में रखने का निर्देश दिया है, जिससे उन्हें समान अवसर मिल सके।
सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को 4 सप्ताह के भीतर अधिसूचना जारी करने का अल्टीमेटम दिया है, जिसमें अनाथ बच्चों को शिक्षा अधिकार कानून के तहत लाभान्वित किए जाने की व्यवस्था स्पष्ट हो। साथ ही राज्यों को निर्देश दिया गया है कि वे अनाथ बच्चों की संख्या और दाखिले की स्थिति पर सर्वे कर रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत करें।
पीठ ने बताया कि दिल्ली, गुजरात, मेघालय, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश पहले ही अधिसूचना जारी कर चुके हैं। इस फैसले से देश के हजारों अनाथ बच्चों को जीवन में आगे बढ़ने का सुनहरा मौका मिलेगा। इसे शिक्षा के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी और संवेदनशील कदम माना जा रहा है।