छत्तीसगढ़जांजगीर-चांपा

बीस बंदी कर रहे नवरात्रि उपवास, समाजसेवी प्रकाश बंसल ने बढ़ाया सहयोग का हाथ, जिला जेल जांजगीर में आस्था का अनोखा संगम

जांजगीर चांपा। शारदीय नवरात्रि का पर्व इस बार जिला जेल जांजगीर में भी अलग ही अंदाज में मनाया जा रहा है। जेल की ऊंची-ऊंची दीवारों और सख्त नियम-कायदों के बीच भक्ति और आस्था का ऐसा नजारा शायद ही कभी देखने को मिला हो।

यहां 20 बंदी अपनी गलतियों से तौबा करते हुए माता दुर्गा की साधना में लीन हैं और पूरे 10 दिन का उपवास रखकर आत्मिक शांति की तलाश कर रहे हैं। सुबह-शाम जब भजन-कीर्तन की धुन गूंजती है तो पूरा जेल परिसर मंदिर जैसा माहौल बना देता है। कई बंदी ढोलक और झांझ बजाते हैं तो कुछ देवी के भजन गाकर अपने अपराधबोध से मुक्ति की राह तलाशते हैं। उनका कहना है कि बीते जीवन में भले उन्होंने गलती की हो, लेकिन अब भक्ति के मार्ग पर चलकर समाज और परिवार की सेवा करना ही उनका लक्ष्य है। इस विशेष पहल को और जीवंत बनाने का श्रेय जाता है धर्मनगरी शिवरीनारायण के समाजसेवी प्रकाश बंसल को जाता है। उन्होंने उपवास रखने वाले बंदियों के लिए फल और पूजन सामग्री की व्यवस्था की। जेल प्रशासन के अनुसार मैन्युअल नियमों के चलते किसी बंदी को विशेष भोजन नहीं दिया जा सकता, केवल फलाहारी व्यवस्था ही होती है। ऐसे में बंसल का सहयोग बंदियों के लिए संबल बना। फल वितरण के दौरान प्रकाश बंसल ने कहा भक्ति और साधना से बड़ा कोई मार्ग नहीं है। यदि कोई व्यक्ति अपनी गलतियों को सुधारते हुए नई शुरुआत करना चाहता है तो समाज का कर्तव्य है कि वह उसे सहयोग दे। बंदियों का यह प्रयास समाज के लिए भी प्रेरणा है कि इंसान कभी भी अपनी राह बदल सकता है।

प्रकाश बंसल का मानवीय चेहरा

धर्मनगरी शिवरीनारायण के समाजसेवी प्रकाश बंसल ने जिला जेल के उपवास कर रहे 20 बंदियों के लिए फल सामग्री उपलब्ध कराकर मानवीयता की मिसाल पेश की है। बंदी भी इंसान हैं, यदि वे अपनी गलती सुधारकर भक्ति और सेवा के मार्ग पर चलना चाहते हैं तो समाज को उनका हौसला बढ़ाना चाहिए। उनकी इस पहल ने न केवल उपवास कर रहे बंदियों का मनोबल बढ़ाया, बल्कि समाज को भी यह संदेश दिया कि सुधार और नई शुरुआत के लिए सहयोग की जरूरत होती है।