कार्तिक महिना और दीपदान महोत्सव का महत्व

कार्तिक महिना हिन्दू संस्कृति में एक अत्यंत पवित्र महिना है, और इस महिने को दामोदर महिने के नाम से भी जाना जाता हैं। यह पूरा कार्तिक महिना भगवान श्री कृष्ण के भजन-कीर्तन व पूजन-अरचन के लिए ही समर्पित हैं। इस महिने में भगवान को दीपक दिखाने मात्र से ही जीवों के लाखों-करोड़ पाप पलक झपकते ही नष्ट हो जाते हैं, तो सोचिए अगर हम पूर्ण श्रद्धा भाव से भगवान् के प्रति दीपदान करें और इसे एक महोत्सव का रुप देकर पूरे परिवार व समाज को भी जोड़ते हुए इस दीपदान महोत्सव का आनंद लें तो जगत के सारे जीवों का उद्धार हम एक साथ कर सकते है।
श्रीमद्भागवत पुराण के अनुसार, भगवान् श्रीकृष्ण ने वृंदावन में अपनी बाल लीलाओं से सभी को मोहित कर लिया था। कार्तिक मास के अनुसार एक दिन माता यशोदा दूध उबाल रही थी और नन्हें कान्हा अपनी शरारत में मस्त थे। कान्हा ने देखा दुध का भगोना चूल्हे पर उबल रहा हैं लेकिन माता यशोदा का ध्यान उन पर नही है। इसलिए अपनी मां का ध्यान खीचनें के लिए कृष्ण ने माखन की मटकी फोड़ दी और उसे बडे चाव के साथ खाने लगे। गोपियों ने यह सब देखकर यशोदा से शिकायत की। यह सब देखकर यशोदा मां थोड़ा ही नाराज हुई, क्योंकि उनके मन में कान्हा के प्रति अपार प्रेम भी था। यशोदा मां ने सोचा कि इस शरारत के लिए कान्हा को हल्की सजा देनी चाहिए । उन्होंने एक रस्सी ली और कृष्ण को लकड़ी के एक ऊखल से बांधने की कोशिश की। लेकिन भगवान् ने अपनी लीला शुरु कर दी, ऐसे में माता यशोदा जितनी बार रस्सी बड़ी करे तब भी हर बार रस्सी छोटी पड़ जाती थी। थककर यशोदा ने अपनी कोशिश छोड़ दी, लेकिन उनके प्रेम और समर्पण को देखकर श्रीकृष्ण ने स्वयं को बंधवा लिया। इसी कारण भगवान का नाम दामोदर पड़ा। रस्सी को दाम और पेट को उदर भी कहते हैं। अर्थात दामोदर का पूर्ण अर्थ रस्सी से बंधा हुआ उदर। इसी दौरान उन्होनें नलकुबेर और मणिग्रीव नामक दो यक्ष जो एक श्राप के कारण यमलार्जुन नामक वृक्ष बन गये थे उनका भी भगवान् ने उद्धार किये।
🌹 एक किवंदति ऐसा भी 🌹
कार्तिक मास व दीपदान से जुड़ी एक किवंदति भी हमें सुनने को मिलती हैं कि एक राज्य की रानी प्रतिदिन संध्याकालं को राजा को बिना बताएं अपने महल से गायब हो जाती थी। राजा रानी के बारे में पुछते तो दासी लोग नही मालूम कह देते थे। प्रतिदिन संध्याकाल को रानी राजमहल से गायब होने से राजा को चिंता हुआ कि आखिर रानी प्रतिदिन संध्याकाल को ही कहां गायब हो जाती हैं? इसलिए एक दिन राजा ने रानी की निगरानी करने की योजना बनाई, और रानी के पीछ-पीछे चलने लगे। राजा ने देखा कि रानी एक मंदिर के अंदर जाती हैं और वहां वह पूर्ण श्रद्धा भाव से भगवान् को दीपदान अर्पित करती हैं और पुनः राजमहल वापस आ जाती हैं। यह सब देख राजा ने रानी को पूछा कि तुम प्रतिदिन मुझे बताएं बगैर संध्याकाल को मंदिर में दीपदान करने जाती हो, क्या तुम मुझे यह बात बताके जाती तो मैं मना कर देता क्या? रानी के कहा कि पता नही, मेरे मन में एक अजीब सी भय रहती थी कि कहीं अगर आप मना कर देते तो मैं आपकी बात भी नही काट सकती थी और
इस कार्तिक माह में दीपदान करने को भी मैं नही छोड़ सकती थी। इसीलिए यह सब काम मैने छुपकर ही करने की योजना बनाई थी। तब राजा ने पुछा कि कार्तिक महिने में दीपदान का क्या रहस्य हैं क्या हमें भी बताने की कृपा करेंगी? तब रानी ने कहा कि आप मेरी यह बात मानेंगे या नही मुझे नही मालूम! परन्तु यह सत्य है कि मुझे अपने पूर्व जन्म की सारी बातें याद हैं। मैं अपने पूर्व जन्म में एक चुहिया थी और एक मंदिर में ही मेरा ठीकाना था मंदिर में दीप के बचे-खुचे तेल-बत्ती व प्रसाद से ही मेरा जीवन-यापन चलता था। एक दिन अत्यधिक भूख के कारण मैं जलती हुई तेल-बत्ती को उठाकर भागने लगी वह तेल-बत्ती मेरे दांतों में फंस गयी, अब मैं अपने आप को बचाने के लिए जलती दीप को लेकर भगवान् जी के सामने इधर-उधर घुमने व घुमाने लगी और अंत में मैं उसी दीप से जलकर भगवान् के सामने ही दम तोड़ दी। मेरे से अनजाने में हुई इस दीपदान के कारण ही मुझे आप मिले और मैं इस राज्य की रानी बनकर आयी हूँ तो सोचिए अगर यही काम हम पूर्ण श्रद्धा के साथ करें तो हमें क्या नही मिल सकता हैं कार्तिक महिने के इस दीपदान से तो हम साक्षात् भगवान् को भी प्राप्त कर सकते हैं। तब से राजा और रानी दोनों मिलकर कार्तिक महिने में दीपदान करने लगे और साथ ही साथ पूरे नगर में भी दीपदान का महोंत्सव मनाने लगे। तो ऐसा हैं कार्तिक महिने में दीपदान का महत्व!
🌹 कार्तिक महिने में दामोदर अष्टकम का पाठ अत्यंत शुभ 🌹
कार्तिक मास में ही श्रीकृष्ण ने दामोदर लीला की थी। इस कारण कार्तिक महिने को दामोदर माह भी कहा जाता हैं। इस महिने में दामोदर अष्टकम का पाठ अत्यंत शुभ होता हैं, जिसमें इस लीला की महिमा का वर्णन होता हैं। कार्तिक महिने में दीपदान तलसी पूजा और स्नान ध्यान जैसे अनुष्ठान भी किये जाते हैं। सिर्फ इतना ही नही कार्तिक मास की महिमा व दीपदान का वर्णन तो अनेक शास्त्र-पुराण में भी वर्णित हैं। जो अनेक लाभ व पुण्य प्रदान करता हैं।
भविष्य पुराण के अनुसार, जो भगवान् श्रीकृष्ण के मंदिर में दीपदान की व्यवस्था करता हैं वह स्वयं प्रकाशित होकर परमधाम को प्राप्त होता हैं।
स्कंद पुराण के अनुसार, जो व्यक्ती कार्तिक महिने में विशेष रुप से एकादशी के दिन सुंदर दीपमाला की व्यवस्था करता हैं, वे अपने तेज से चारों दिशाओं को प्रकाशित करते हैं।
🙏कार्तिक महिने में भगवान कृष्ण के लिए दीप-दान की व्यवस्था करने से व्यक्ति को भगवान् के समान ही स्वरुप की प्राप्ति होती हैं।
🙏 कार्तिक महिने में जब कोई दीपक अर्पित करता है तो उसके लाखों-करोड़ों पाप पलक झपकते ही नष्ट हो जाते हैं।
🙏 कार्तिक महिने में जो भक्त भगवान को प्रसन्न करने के लिए दीपक अर्पित करता है उसका पुनः इस मृत्युलोक सें जनम नही होता हैं।
🙏 कार्तिक महिने में दीप अर्पित करने से सूर्यग्रहण या चंद्रग्रहण में किये गये स्नान से दस गुना अधिक पुण्य फल प्रदान करता हैं।
🙏 कार्तिक महिने में जो भक्त घी का दीपक अर्पित करते हैं उन्हें अनेकों अश्वमेघ यज्ञों का फल प्राप्त होता हैं।
🙏 कार्तिक महिने में अगर कोई भगवान श्रीहरि के मंदिर में थोड़े समय के लिए भी दीपक जलाता हैं तो उनके लाखों कल्प युग के बराबर के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।
🌹 दीपदान में हम भी अपनी भागीदारी सुनिशचित करें 🌹
🙏 किसी के जीवन में भले ही कोई मंत्र न हो, कोई पवित्र कर्म न हो, उसका भी कार्तिक महिने में दीपक अर्पण करने से सब कुछ सही ही जाता है।
🙏 कार्तिक महिने में जो भक्त भगवान कृष्ण को दीपक अर्पित करता हैं उसे सभी यज्ञ व सभी पवित्र नदियों में स्नान का पुण्य प्राप्त हो जाता हैं।
🙏 कार्तिक महिने जो भगवान् हरि को पूर्ण श्रद्धा के साथ एक दीपक भी अर्पित करता हैं वह भगवान श्रीहरि के आध्यात्मिक लीलाओं का आनंद लेता हैं।
पितृ पक्ष के अनुसार जब परिवार का चाहे कोई भी सदस्य कार्तिक के महिने में भगवान् कृष्ण को दीपदान से प्रसन्न करता हैं, तो सभी पितरों को भी मुक्ति मिल जाती हैं।
पद्मपुराण के अनुसार, कार्तिक मास को कृष्ण का सबसे प्रिय महिना बताया गया हैं। इस पवित्र माह में किए गए समस्त धार्मिक कार्य सामान्य से अधिक आध्यात्मिक फल प्रदान करते हैं। इसलिए भक्तजन अक्सर पूरे माह अपनी आध्यात्मिक साधना बढाने या अपनी भौतिक आवश्यकताओं को पूरा करने का संकल्प लेते है।
आइयें हम भी चाहे जहां कहीं भी हमें इस कार्तिक मास में दीपदान का मौका मिले उसमें अत्यधिक ऊर्जा के साथ अपनी भागीदारी बढ़ाएं।
🌹संकलनकर्ता🌹
रविन्द्र कुमार सोनी “भारत”
स्वतंत्र पत्रकार, सदर बाजार, चांपा
मो; 7869751400