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पामगढ़ क्षेत्र का कमरीद गांव शराब मुक्ति की ओर,  सबरिया समाज ने छोड़ी शराब बनाने की परंपरा, अपनाया स्वरोजगार और खेती

जांजगीर-चांपा। जिले के पामगढ़ थाना क्षेत्र का कमरीद गांव अब बदलाव की मिसाल बन चुका है। कभी यह गांव अवैध शराब बनाने के लिए कुख्यात था, लेकिन अब वही गांव शराब मुक्ति की राह पर है। सबरिया समाज के लोगों ने सामूहिक रूप से शराब बनाना छोड़ दिया है और खेती-बाड़ी व स्वरोजगार की दिशा में कदम बढ़ाया है। यह बड़ा परिवर्तन पुलिस अधीक्षक विजय कुमार पाण्डेय के सतत प्रयासों, जागरूकता अभियानों और ग्रामीणों के सहयोग से संभव हुआ है।

दरअसल, कमरीद गांव बलौदा बाजार बॉर्डर से सटा हुआ है और लंबे समय से यहां के सबरिया समाज के लोग कच्ची महुआ शराब बनाकर अपनी जीविका चलाते थे। लेकिन पुलिस प्रशासन ने लगातार लोगों को समझाने और वैकल्पिक रोजगार के लिए प्रेरित करने का अभियान चलाया। थाना पामगढ़ व शिवरीनारायण पुलिस ने समय-समय पर बैठकें लेकर ग्रामीणों से संवाद किया और उन्हें समझाया कि शराब बनाना भले ही तात्कालिक कमाई दे, लेकिन इससे समाज और परिवार पर बुरा असर पड़ता है।

इसी कड़ी में आज कमरीद गांव में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें जनपद सदस्य श्रवण गोड़, समाज के मुखिया नरसिंह गोड़, तिलक राम गोड़ सहित बड़ी संख्या में सबरिया समाज के पुरुष और महिलाएं शामिल हुए। कार्यक्रम में ग्रामीणों ने बताया कि अब उन्होंने शराब बनाना पूरी तरह से बंद कर दिया है। अब वे खेती-बाड़ी, सब्जी उत्पादन और अन्य छोटे व्यवसायों के माध्यम से आत्मनिर्भर बनने की दिशा में कार्य कर रहे हैं।

गांव के बुजुर्ग नरसिंह गोड़ ने कहा कि पुलिस ने जिस धैर्य और सहयोग के साथ हमें समझाया, उसका असर पूरे समाज पर पड़ा। “पहले हम सब शराब बनाकर बेचते थे, जिससे परिवारों में झगड़े होते थे और स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता था। लेकिन अब जब हम खेती और सब्जी उत्पादन करने लगे हैं, तो घर में शांति है और आमदनी भी बेहतर है,” उन्होंने गर्व के साथ बताया।

ग्रामीणों ने बताया कि अब गांव में कच्ची महुआ शराब बनाने पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है। गांव की महिलाएं भी इस परिवर्तन की सबसे बड़ी ताकत बनकर सामने आई हैं। उन्होंने नशे के खिलाफ आवाज उठाई और घर-घर जाकर पुरुषों को समझाया कि अब समय बदलने का है।

कार्यक्रम में थाना प्रभारी पामगढ़ मनोहर सिन्हा भी उपस्थित रहे। उन्होंने ग्रामीणों को बधाई देते हुए कहा कि यह बदलाव समाज की सच्ची जीत है। उन्होंने कहा, “शराब बनाना छोड़कर खेती की ओर लौटना सिर्फ रोजगार नहीं, बल्कि समाज सुधार की दिशा में बड़ा कदम है। अब यह गांव पूरे जिले के लिए उदाहरण बनेगा।”

ग्रामीणों ने पुलिस अधिकारियों को अपने खेतों का दौरा भी कराया और दिखाया कि किस तरह वे अब सब्जियों और धान की खेती में जुटे हैं। कुछ ग्रामीणों ने बताया कि हाल ही में वे रायगढ़ जिले के लैलूंगा में आयोजित गेंदा महोत्सव में शामिल हुए थे, जहां उन्होंने गेंदा फूल की खेती के बारे में जानकारी हासिल की है और अब गांव में उसका उत्पादन शुरू करने की योजना बना रहे हैं।

सबरिया समाज की महिलाओं ने कहा कि अब वे अपने बच्चों की पढ़ाई और परिवार के भविष्य को लेकर ज्यादा सजग हैं। शराब के धंधे से मुक्त होकर वे आत्मसम्मान के साथ जीवन जीना चाहती हैं।

कमरीद गांव में यह सामाजिक परिवर्तन यह साबित करता है कि सही मार्गदर्शन, प्रशासन की संवेदनशील पहल और समाज की एकजुटता से किसी भी बुराई को खत्म किया जा सकता है। अब यह गांव नशामुक्ति और आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ रहा है — और जिले में एक प्रेरणादायक उदाहरण बन चुका है।

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