छत्तीसगढ़जांजगीर-चांपा

आंदोलन से जर्ज़र सड़क की हालत तो सुधरी,लेकिन भारी वाहन पर नहीं लगा प्रतिबंध

0 प्रशासन के प्रति लोगों का आक्रोश का बम कभी फूट सकती है।

जांजगीर चांपा। सिवनी की गौचर और शासकीय पट्टे की क़ृषि भूमि में स्थापित फैक्ट्री और बहेराडीह के एक और अन्य फैक्ट्री की भारी वाहनों के चलने से सिवनी सुखरीकला सड़क मार्ग पूरी तरह से बर्बाद हो गईं। इससे आक्रोशित सिवनी चाम्पा क्षेत्र के दर्जनों ग्रामीणों ने मिलकर कलेक्टर के जनदर्शन और सुशासन तिहार में लिखित रूप में शिकायत दर्ज किया।

मगर कार्यवाही नहीं होने से नाराज ग्रामीणों ने उक्त सड़क की मरम्मत और फैक्ट्री की वाहनों पर प्रतिबन्ध लगाने की मांग को लेकर सड़क पर उतर गये। ग्रामीणों के इस प्रतिकात्मक आंदोलन से प्रशासन की नींद खुल गईं और तत्काल जर्जर सड़क मार्ग का मरम्मत तो कराया लेकिन भारी वाहनों पर प्रतिबन्ध नहीं लगाए जाने नाराज क्षेत्र के दर्जनों गांवों के ग्रामीण बड़ी संख्या में कभी भी सड़क पर आंदोलन के लिए उतर सकते हैं। अर्थात प्रशासन और फैक्ट्री के प्रति ग्रामीणों का गुस्सा का बम कभी भी फूट सकती है।


चाम्पा शहर से लगे सिवनी गाँव के भदरा मोहल्ला में एक फैक्ट्री संचालित है और बगल में बहेराडीह की जमीन पर भी दूसरी फैक्ट्री संचालित हो रहीं है। जहाँ पर सिवनी सुखरीकला सड़क मार्ग से भारी वाहन दिन रात चलाई जा रहीं हैं। सड़क की क्षमता इतनी अधिक नहीं है कि भारी वाहनों की भार को बर्दास्त कर सके। फिर भी भारी का वाहनों का बड़े पैमाने पर परिचालन से उक्त सड़क मार्ग की हालत बद से बदतर हो गईं। जिसका खामियाजा सिवनी, बहेराडीह के दर्जनों गाँवो के लोग को भुगतना पड़ रहा है। पीड़ित सैकड़ों लोगों ने इस मामले की शिकायत कलेक्टर से कई बार किया। मगर उक्त मार्ग पर भारी वाहन पर प्रतिबन्ध नहीं लगाए जाने से नाराज लोगों ने मुख्यमंत्री समेत महामहिम राज्यपाल, प्रधानमंत्री और महामहिम राष्ट्रपति को अपनी शिकायत की कॉपी भेजी। इससे स्थानीय प्रशासन हरकत में आई और कुछ दिनों तक भारी वाहनों और प्रतिबन्ध लगाया और जर्जर सड़क मार्ग की मलहम पट्टी किया गया।

उसके बाद फैक्ट्री की भारी वाहनों का परिचालन फिर से शुरू हो गईं। जिससे सिवनी सुखरीकला सड़क मार्ग पूरी तरह से बर्बाद हो गया। लोगों ने इस मामले की शिकायत फिर से कलेक्टर से किया। लेकिन शिकायत पर कोई ठोस कार्यवाही नहीं होने से नाराज सिवनी क्षेत्र के ग्रामीणों का गुस्सा प्रशासन और फैक्ट्री प्रबंधन पर आया और आंदोलन के लिए सड़क पर ग्रामीण उतर गये। ग्रामीणों के प्रतिकात्मक आंदोलन से प्रशासन की नींद खुल गईं और तत्काल जर्जर सड़क मार्ग की मरम्मत कराई गईं। लेकिन इस मार्ग पर भारी का प्रशासन की ओर से कतई नियंत्रण नहीं है। इससे आक्रोशित क्षेत्र के सैकड़ों आम नागरिकों की गुस्सा का बम प्रशासन और फैक्ट्री के विरोध में कभी भी फूट सकती है।

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