सरकार के दावों की खुली पोल, जान जोखिम में डालकर शिक्षा गढ़ने मजबूर है नौनिहाल

धमतरी जिले के खपरी गांव में प्राथमिक शाला के बच्चे अपनी जान जोखिम में डालकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं। स्कूल भवन जर्जर हो चुका है, दीवारें और छत कभी भी गिर सकती हैं। हालात इतने खराब हैं कि अभिभावकों ने बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए स्कूल भवन के अंदर पढ़ाई बंद करवा दी है। अब बच्चे खुले मैदान में बैठकर पढ़ाई कर रहे हैं। शिक्षकों ने कई बार विभाग को अवगत कराया, लेकिन समाधान अभी तक नहीं मिला है। आइए देखते हैं हमारी यह विशेष रिपोर्ट
धमतरी जिले के खपरी गांव की प्राथमिक शाला… जहां शिक्षा से ज्यादा डर का माहौल बना हुआ है। जर्जर दीवारें, टूटती छतें, हर दिन गिरता प्लास्टर… और इसी खतरनाक माहौल में छोटे-छोटे बच्चे बैठकर पढ़ने को मजबूर थे। शनिवार सुबह स्कूल लगते ही एक दीवार अचानक से हिलने लगी… शिक्षकों को खतरे का आभास हुआ और तुरंत बच्चों को कक्षाओं से बाहर निकाल लिया गया। और कुछ ही देर बाद दीवार और प्लास्टर का बड़ा हिस्सा नीचे गिर गया।
इस घटना के बाद बच्चों और शिक्षकों में भारी दहशत का माहौल है।
अभिभावकों ने कहा—“अब बच्चे इस भवन के अंदर नहीं बैठेंगे।”यही वजह है कि पिछले कुछ दिनों से बच्चों की पढ़ाई खुले मैदान में करवाई जा रही है। तेज धूप, ठंडी हवा, कीचड़ और तमाम दिक्कतों के बावजूद बच्चे मैदान में बैठकर पढ़ रहे हैं… क्योंकि भवन में बैठना मौत को दावत देने जैसा है।
खपरी प्राथमिक शाला की समस्या नई नहीं है।
कई दिनों से यहां भवन जर्जर है… लेकिन विभाग की उदासीनता ने स्थिति को भयावह बना दिया है। दीवारें छत से अलग होती जा रही हैं, कई जगहों पर गहरे दरारें पड़ चुकी हैं। कहीं प्लास्टर झड़ चुका है तो कहीं लोहे की सरियां बाहर निकल आई हैं। इतना ही नहीं, जर्जर भवन में सांप और बिच्छू जैसे जहरीले जीवों का खतरा हमेशा बना रहता है। बच्चों को बैठे-बैठे कई बार सांप दिखाई देने की घटनाएं भी सामने आई हैं।
शाला समिति के अध्यक्ष नैना साहू का कहना है —
“ग्राम खपरी का पूरा स्कूल खतरनाक अवस्था में है। दो भवन हैं, दोनों जर्जर। कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है… प्लास्टर गिरता है, दीवारें टूटती हैं। हमने कई बार शिकायत की है, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है।”
वहीं स्कूल समिति सदस्य नंदनी साहू कहती हैं —
“हम कई बार मांग कर चुके हैं, लेकिन सरकार की नजर इस ओर नहीं जाती। अगर जल्द नया भवन नहीं बना, तो हम स्कूल में ताला लगा देंगे। छोटे बच्चों की जान जोखिम में नहीं डाल सकते।”
स्कूल के शिक्षकों की भी यही व्यथा है। शिक्षकों ने बताया कि भवन की स्थिति अत्यंत जर्जर है। वर्षों से मरम्मत नहीं हुई है। उन्होंने प्रधान पाठक, शिक्षा समिति और विभागीय अधिकारियों को कई बार लिखित एवं मौखिक रूप से जानकारी दी, लेकिन अभी तक सुधार का कोई कदम नहीं उठाया गया। अब स्थिति इतनी खतरनाक हो चुकी है कि शाला प्रबंधन समिति ने निर्णय लिया है “बच्चों को जर्जर भवन में नहीं बैठाया जाएगा।”इसी के तहत अब बच्चों की कक्षाएं मैदान में संचालित की जा रही हैं।
अभिभावकों ने साफ कहा है कि यदि ग्राम पंचायत भवन या किसी किराए के भवन में वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई और नया भवन शीघ्र स्वीकृत नहीं हुआ…तो वे स्कूल में तालाबंदी कर देंगे। गांव वालों का आरोप है कि कई बड़े नेता और अधिकारी गांव में आते हैं, लेकिन स्कूल की वास्तविक स्थिति देखने की जहमत कोई नहीं उठाता। बच्चों की सुरक्षा लगातार खतरे में है और स्कूल की दीवारें कभी भी किसी की जान ले सकती हैं
खपरी गांव के बच्चे आज भी सुरक्षित शिक्षा के अधिकार से वंचित हैं। सवाल यह है कि क्या प्रशासन बच्चों की जान पर लटक रहे इस खतरे को गंभीरता से लेकर तुरंत कार्रवाई करेगा? या फिर किसी बड़े हादसे का इंतजार ही बाकी है?फिलहाल खपरी प्राइमरी स्कूल में बच्चों की पढ़ाई मैदान पर टिकी है… और उम्मीद प्रशासनिक कार्रवाई पर।