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मृदा को बनने में सैकड़ो वर्ष का समय लगता है: मृदा वैज्ञानिक डॉ. केडी महंत, विश्व मृदा दिवस पर विशेष

जांजगीर चांपा। विश्व मृदा दिवस (World Soil Day) मृदा के महत्व, संरक्षण और सतत उपयोग के प्रति वैश्विक जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाने वाला अंतरराष्ट्रीय दिवस है।

हर वर्ष 5 दिसंबर को विश्व मृदा दिवस मनाया जाता है। विश्व मृदा दिवस मनाने का विचार अंतर्राष्ट्रीय मृदा विज्ञान संघ (IUSS) द्वारा 2002 में प्रस्तावित किया गया। क़ृषि विज्ञानं केंद्र के मृदा वैज्ञानिक व प्रमुख डॉ के डी महंत ने बताया कि 2013 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 5 दिसंबर को आधिकारिक रूप से ‘विश्व मृदा दिवस’ घोषित किया।

मृदा दिवस के उद्देश्य के बारे में उन्होंने बताया कि मृदा (Soil) के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाना और दुनिया में तेजी से गिरती मृदा गुणवत्ता, कटाव, उर्वरता ह्रास, जैविक पदार्थों की कमी जैसी समस्याओं पर ध्यान दिलाना होता है।

मृदा वैज्ञानिक डॉ महंत ने बताया कि सतत कृषि, खाद्य सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देना। सरकारों, किसानों, वैज्ञानिकों और आम जनता को मृदा प्रबंधन के प्रति जागरूक करना। हर वर्ष की थीम (उदाहरण)मृदा संरक्षण क्यों महत्वपूर्ण है? के विषय में बताया कि दुनिया की 95% खाद्य आपूर्ति मृदा पर निर्भर है। मृदा बनने में सैकड़ों वर्ष लगते हैं, लेकिन यह कुछ ही वर्षों में नष्ट हो सकती है। कटाव, रसायनों का अति प्रयोग, जलभराव, जैविक पदार्थों की कमी मृदा के लिए खतरा हैं। स्वस्थ मृदा से ही सतत कृषि, खाद्य सुरक्षा, जल संरक्षण और पर्यावरण संतुलन संभव हैं। विश्व मृदा दिवस पर गतिविधियाँ, जागरूकता कार्यक्रम, कार्यशाला, जनभागीदारी अभियान,स्कूल/कॉलेज में निबंध प्रतियोगिता,मिट्टी परीक्षण शिविर,किसानों को उर्वरक संतुलन और मृदा स्वास्थ्य कार्ड की जानकारी,वृक्षारोपण एवं जल संरक्षण कार्यक्रम भारत में महत्व के बारे में बताया कि भारत में मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना, जैविक खेती, फसल चक्र, और रसायनों का संतुलित उपयोग जैसी पहलों को बढ़ावा देने के लिए यह दिन महत्वपूर्ण माना जाता है। कृषि वैज्ञानिक और राज्य कृषि विभाग इस दिन विशेष गतिविधियाँ आयोजित करता है।

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