धान खरीदी की आड़ में चल रहा बड़ा खेल, जानिए क्या है पूरा मामला

जांजगीर-चांपा। पूरे प्रदेश के साथ ही जिले में धान की खरीदी जोर-शोर से की जा रही है। इधर, कलेक्टर के निर्देशन में राजस्व, खाद्य एवं मंडी विभाग की संयुक्त टीम लगातार छापामार कार्रवाई कर रही है। बीते 8 दिसंबर को इस टीम ने बलौदा क्षेत्र से 73 क्विंटल धान अवैध भंडारण व परिवहन करने के मामले में मंडी अधिनियम के तहत कार्रवाई कर बलौदा थाना की सुपुर्दगी में दिया गया था। लेकिन बाद में न्यायालय या वरिष्ठालय के बगैर आदेश जब्त वाहन को छोड़ दिया गया। इस मामले में हमनें मंडी सचिव से भी बात की, लेकिन उनका संतोषजनक जवाब नहीं मिला। इससे पूरा मामला संदिग्ध हो गया है।
जिला प्रशासन द्वारा जारी अधिकृत प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक, बीते 8 दिसंबर को कलेक्टर के निर्देशन में राजस्व, खाद्य एवं मंडी विभाग की संयुक्त टीम द्वारा तहसील बलौदा के ग्राम हरदीविशाल से गाड़ी क्रमांक सीजी 11 ए के 9475 से अवैध परिवहन करते 70 बोरी धान मात्रा 28 क्विंटल धान जब्त करके गाड़ी सहित थाना बलौदा के सुपुर्दगी में दिया गया था। तथा बताया गया था कि सभी मामलों में मंडी अधिनियम के अंतर्गत आवश्यक कार्रवाई की जा रही है।
इस पूरे मामले में जब हमनें कृषि उपज मंडी नैला के सचिव विवेक जायसवाल से बात की तो उनका कहना था कि जिस गाड़ी पर कार्रवाई राजस्व वाले करते है, उसे न्यायालय के आदेश पर छोड़ा जाता है। जबकि मंडी वाले जब किसी वाहन पर कार्रवाई करते है तो उसे तुरंत छोड़ना पड़ता है। मंडी के पास कृषि उपज के अवैध परिवहन मे प्रयुक्त वाहन को जब्त कर रखने का अधिकार नहीं है। उनका कहना है कि धान को राइस मिलर्स की सुपुर्दगी में देकर गाड़ी को छोड़ा गया है।
मंडी सचिव विवेक जायसवाल के बयान से कई सवाल उठने लगे है। जिला प्रशासन की अधिकृत जारी विज्ञप्ति में स्पष्ट तौर पर बलौदा क्षेत्र की उक्त कार्रवाई को खाद्य, राजस्व व मंडी की संयुक्त कार्रवाई बताया गया है, जबकि मंडी सचिव इस कार्रवाई में राजस्व वाले शामिल नहीं होने का हवाला दे रहे हैं? मंडी अधिनियम के अनुसार अवैध परिवहन के मामले में न्यायालय के आदेश पर ही जब्त वाहन को छोड़ा जाना चाहिए , लेकिन इस प्रकरण में किस आदेश के तहत जब्त वाहन को छोड़ा गया?
इसके अलावा जिस राइस मिलर्स की सुपुर्दगी में जब्त धान को दिया गया है, उसका नाम बताने में मंडी सचिव आखिर कतरा क्यों रहे हैं? मामले में कार्रवाई करने के बाद धान लोड जब्त वाहन को बलौदा थाना की सुपुर्दगी में दिया गया और करीब एक सप्ताह तक थाने मे खड़ा भी रखा गया तो बिना न्यायालय आदेश के बलौदा पुलिस से सुपुर्दगी वापस लेकर राइस मिलर को सुपुर्दनामा पर देने की आवश्यकता क्यों पड़ी? एक अन्य प्रकरण में जर्वे निवासी मणिशंकर यादव की दो गाड़ी धान को मंडी अधिनियम के तहत कार्रवाई करने के बाद दोनों वाहनों को जांजगीर थाना की सुपुर्दगी में दिया गया था, जिन्हें न्यायालय आदेश के बावजूद तीसरे दिन बड़ी मुश्किल से छोड़ा गया था, फिर इस प्रकरण में न्यायालय के आदेश की आवश्यकता क्यों नहीं पड़ी?
कलेक्टर के मार्गदर्शन में कहीं कार्रवाई के नाम पर मंडी प्रशासन मनमानी तो नहीं कर रहा है?धान खरीदी जैसे शासन की महती कार्य के आड़ मे जेब भारी करने का खेल तो नही चल रहा है ,इस पर शासन एवं प्रशासन को कड़ाई के साथ नजर रखना जरूरी है,
बहरहाल, पहले कार्रवाई कर जब्त वाहन को बलौदा थाना की सुपुर्दगी में देना, फिर हफ्ते भर बाद बगैर न्यायालय व वरिष्ठालय के आदेश के बलौदा थाना से सुपुर्दगी वापस लेकर वाहन को छोड़ना और जब्त धान को राइस मिलर्स की सुपुर्दगी में देना, लेकिन राइस मिलर्स के नाम को संस्पेंस मे रखना पूरी तरह संदिग्ध है। इस मामले में निष्पक्ष जांच की आवश्यकता है।