जनता के पैसों की हो गई बर्बादी, कक्ष से बाहर नहीं निकल सके हाथ ठेले और ऑटो, नए पड़े अब सड़ने लगे हैं हाथ ठेले

जांजगीर चांपा। जनता के पैसों की बर्बादी किस कदर की जाती है यह चांपा नगर पालिका से अच्छी तरह समझा जा सकता है। शहर को स्वच्छ बनाने के लिए लाखों रुपए की लागत से हाथ ठेला, ऑटो आदि की खरीदी की गई थी। इन हाथ ठेलों के माध्यम से शहर की गली कूचों की सफाई की जानी थी लेकिन नगर पालिका के जिम्मेदारों की लापरवाही से हाथ ठेला माल वाहक कक्षा से बाहर नहीं निकल सके।
कैमरे में कैद हाथ ठेलों की स्थिति को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि खरीदी करने के बाद नगर पालिका चांपा के माल वाहक कक्ष में इन हाथ ठेलों को अपने हाल पर छोड़ दिया और फिर कभी नगर पालिका के जिम्मेदारों ने इन्हें पलट कर नहीं देखा। मसलन आज हाथ ठेलों की स्थिति कितनी जर्जर हो गई है कि यह नए रखे रखे सड़ने लगे हैं। उनकी स्थिति को देखकर नहीं लगता कि नगर पालिका के जिम्मेदारों को माल वाहक कक्ष में रखें में हाथ ठेलों की भी जानकारी है।
यही हाल इसी माल वाहक कक्ष में रखें दो ऑटो वाहन का है जो खरीदी करने के बाद पड़े पड़े सड़ने लगे हैं। एक अन्य वाहन की भी यही स्थिति है। इधर लोगों का कहना है कि गली कूचों में एक भी दिन तीन हाथ ठेलों का दर्शन नहीं हुआ है। नगर पालिका के जिम्मेदार जनता के प्रति कितने जवाबदेय हैं, इस बात का अंदाजा माल वाहक कक्ष में पड़े हाथ ठेले और ऑटो वाहन की स्थिति से लगा सकते हैं।
लोगों का कहना है कि यदि हैं हाथ ठेलों और ऑटो वाहन की शहर में उपयोगिता नहीं थी तो नगर पालिका के जिम्मेदारों को जनता के पैसों की इस तरह बर्बादी नहीं करनी चाहिए थी। और यदि वास्तव में शहर के गली कूचों की सफाई के लिए यदि जनता के पैसों का उपयोग कर हाथ ठेलों और ऑटो वाहन की खरीदी की गई है तो इनका उपयोग किया जाना चाहिए था। इस तरह किसी को भी जनता के पैसों की बर्बादी नहीं की जानी चाहिए थी।
बहरहाल, मामला प्रकाश में आने के बाद अब देखना काफी दिलचस्प होगा की नगर पालिका के जिम्मेदार नींद से जागते हैं या नहीं, तो वहीं इन हाथ ठेलों और ऑटो वाहन का उपयोग किस तरह करते भी है या नहीं।