मृत व्यक्ति के नाम केसीसी लोन निकालने के मामले ने पकड़ा तूल, उप पंजीयक ने दिए पूरे मामले में जांच के निर्देश
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जांजगीर-चांपा। मृत व्यक्ति के नाम 1 लाख 35 हजार केसीसी लोन निकालकर हजम करने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। बताया जा रहा है मामला मीडिया में आने के बाद प्रबंधक गायब है तो वहीं अन्य कर्मचारियों में भी हड़कंप मचा हुआ है। आपस में सुलह करने की और देखने दिखाने तक की बात शुरू हो गई है। इधर, इस पूरे मामले में सहकारी संस्थाए जांजगीर के उप पंजीयक ने जांच बैठा दिया है। जांच का जिम्मदा वरिष्ठ सहकारी निरीक्षक को दिया गया है।
आपको बता दें कि सिवनी चांपा गांव के सेवा सहकारी समिति मृत व्यक्ति सागर सिंह पिता धावन सिंह की मृत्यु 18 सितंबर 2021 को हो गई थी। इसके बावजूद वर्ष 2022-23 में उसके नाम से 1 लाख 35 हजार केसीसी निकालकर हजम कर लिया गया है। बैंक ने जब केसीसी लोन वसूली लिस्ट जारी किया तो उसमें नंबर 26 में मृत व्यक्ति सागर सिंह का नाम दर्ज है। इतना ही नहीं, केंद्रीय बैंक शाखा चांपा में खाता क्रमांक 606027038255 केसीसी की राशि 1 लाख 35 हजार रुपए डाला गया था। बाद में उस खाते से उक्त राशि भी आहरण हो गई। इधर, मामला प्रकाश में आने के बाद हड़कंप मचा हुआ है। बताया जा रहा है सेवा सहकारी समिति सिवनी का प्रबंधक गायब है। उससे संपर्क भी नहीं हो रहा है। वहीं सोशल मीडिया में भी मामले का निपटारा आपस में करने के बजाय सार्वजनिक करने को लेकर वाकयुद्ध चल रहा है। इधर, इस पूरे मामले में सहकारी संस्थाएं जांजगीर के उप पंजीयक ने जांच के निर्देश दिए हैं। जांच में दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।
जांच में लापरवाहीं बर्दाश्त नहीं
जिस तरह यह मामला सुर्खियां बटोर रहा है, उसे लेकर यदि जांच में थोड़ी सी लापरवाही बरती गई तो इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। कयोंकि सागर सिंह का मृत्यु प्रमाण पत्र, केसीसी खाता क्रमांक 606027038255 केसीसी की राशि 1 लाख 35 हजार रुपए डालने और वसूली लिस्ट से आहरण होना साबित होता है। जांच के लिए इतना दस्तावेज पर्याप्त है, फिर भी विभागीय प्रक्रियाओं को पूर्ण करते हुए जांच रिपोर्ट पेश की जाएगी।
अपराधिक श्रेणी का है प्रकरण
कानून के जानकारों का कहना है कि मृत व्यक्ति के नाम साजिश कर केसीसी लोन निकालकर हजम करने का मामला अपराधिक है, जिसमें विभागीय कार्रवाई के साथ ही एफआईआर भी पजीबद्ध होनी चाहिए। लेकिन इस पूरे मामले को आपस में बैठकर निपटाने पर ज्यादातर सहमत दिख रहे हैं। इससे जाहिर है इस तरह का और कई मामला हो सकता है, जिसमें से पर्दा उठना बाकी है। ऐसे मामलों के लिए सिरे से जांच की जरूरत है।