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श्री राघव जी मंदिर बावाडेरा से सर्वराकार हनुमान मंदिर डोंगाघाट को हटाकर श्री सिद्ध दक्षिण मुखी हनुमान मंदिर रामबांधेश्वर धाम भगवान परशुराम चौक चांपा के नाम दर्ज कराने दीपक दुबे ने एसडीएम कार्यालय में दर्ज की आपत्ति

जांजगीर-चांपा। चांपा के डोंगाघाट लोक न्यास ट्रस्ट पंजीयन के लिए ईश्तहार प्रकाशन के बाद दर्जनों लोग एसडीएम कार्यालय पहुंचकर अपनी आपत्ति दर्ज कर रहे हैं। दक्षिणमुखी हनुमान मंदिर चांपा के पुजारी दीपक दुबे ने भी अपनी लिखित आपत्ति दर्ज करते हुए कहा है कि वर्तमान में सर्वराकार नियुक्ति और लोक न्यास की संपत्ति का मामला चांपा और जांजगीर के सिविल न्यायालय में पेंडिंग है। ऐसी स्थिति में लोक न्यास का पंजीयन करने के लिए फाइल आगे बढ़ाना और संचालन समिति का पंजीयन करना अवैधानिक है।

उन्होंने अपनी आपत्ति में कहा है कि पूर्व सर्वराकार तपसी बाबा को श्री राघव जी मंदिर बावाडेरा जो कि उनका कुल देवता है और उनका पूजा पाठ पीढ़ियों से करते आ रहे हैं। कलान्तर में तपसी बाबा जी महराज की संन्यास साधुतत्व से प्रभावित होकर उनके दादा स्वर्गीय राजपुरोहित सरजू प्रसाद दुबे भगवान प्रसाद दीनदयाल दुबे ने तपसी बाबा जी को राघव जी मंदिर बावाडेरा की देखरख, पूजा पाठ विधिपूर्वक हो इसके लिए मंदिर प्रांगण में उद्यान, मंदिर के आसपास की जमीन ग्राम लक्षनपुर, मड़वा, मदनपुर की पैतृक संपत्ति श्री राघव जी महराज के नाम दर्ज कर तपसी बाबा जी को दान स्वरूप दिए। तब तपसी बाबा जी के जीवित रहते तक मंदिर का पूजा पाठ विधि पूर्वक होता रहा। पीथमपुर में शिव जी मंदिर के मेला समय साधुसंतो व नागा बाबाओं के आगमन राघव जी मंदिर में पहले होता था, जिसके चलते उस स्थल का नाम बावाडेरा पड़ा और यह सदियों से चला आ रहा है। तपसी बाबा जी के बाद पूर्व सर्वराकार शंकर दास जी महराज महंत नियुक्त हुए, जहां से धूर्त व्यापारियों की नजर मठ मंदिर की जमीन पर पड़ी और मठ मंदिर व्यापारिक प्रतिष्ठान बन गया। इसके विरोध में उनके पिता समय समय पर सामने आते रहे हैं। शंकर दास जी के बाद तत्कालीन सर्वराकार नरोत्तम दास जी महंत बने, जिन्होंने धूर्त व्यापारियों के साथ फर्जी अवैधानिक संस्था बनाकर उनके दादा ने जिस मंशा सेवा के लिए जमीन मंदिर को दान किया था, उस मंशा को दरकिनार कर मंदिर के उद्यान को नष्ट कर दिया। इतना ही नहीं, मंदिर के बगल में फ्लाई एश ईट भट्टा लगाकर पूरा मंदिर को प्रदूषित कर दिया गया, जिसका पुरजोर विरोध पूर्व में किया गया था। उन्होंने अपनी आपत्ति में कहा है कि मंदिर के इतिहास को बदलने का प्रयास करते हुए मंदिर के बगल में तथाकथित धूर्त व्यापारी बालाजी मंदिर बना रहे थे, जिसका विरोध करने पर काम बंद हुआ। उन्होंने कहा है कि मंदिर की कृषि भूमि जो मड़वा पॉवर प्लांट के निर्माण में लगभग 4 एकड़ भूमि अधिग्रहित हुई है, जिसका मुआवजा करीब 50 लाख रुपए से अधिक की राशि प्राप्त हुई। इस राशि का भी बंदरबाट तत्कालीन सर्वराकार व तथाकथित धूर्त व्यापारियों की समिति द्वारा अपने निजी कार्य के लिए खर्च करने का प्रयास किया गया जिसके लिए आपत्ति लगा कर मंदिर के गौशाला, भोगशाला का निर्माण करने की मांग की थी। उन्होंने मांग की है कि तथाकथित समिति के लोगों से बयान दर्ज करा कर पूछा जाए, उस समय उन्हें मंदिर की चाबी देकर मंदिर की देखरेख का जिम्मा सौंपा था। उसके पहले मंदिर का पूरा हिसाब और मंदिर को मेरे दादा जी द्वारा भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र, और बहन सुभद्रा की मूर्तियो, वहां स्थापित श्री राम लक्ष्मण सीता जी की मूर्तियों को़े स्वर्ण आभूषण से सजाया गया था। करीब 40 एकड़ भूमि के साथ कई किलो सोना चांदी के श्रृंगार और मंदिर के भोग शाला में हजारों लोगों के भोजन प्रसाद बनाने भक्तों के प्रसाद खाने की बर्तन, कई क्विंटल कांस, तांबा के बर्तन दिए गए थे, जिसकी जांच एक टीम बनाकर की जाए। साथ ही लोक न्यास डोंगाघाट की चल अचल संपत्ति संचालन के लिए गठित समिति, जिसका विधिवत आज दिनांक तक रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ है वह बीते 30 वर्ष से अधिक समय तक किस हैसियत से मंदिर के संचालन मंदिर के दान में मिले भूमियों का व्यापारिक आवंटन करते आ रहे थे। राघव जी मंदिर बावाडेरा की जमीन, मड़वा पॉवर प्लांट से प्राप्त मुआवजा, भगवान के श्रृंगार स्वर्ण आभूषण, मंदिर के बर्तनों की जांच, मंदिर से प्राप्त धान की फसल, मंदिर भूमि का किराया की जांच हो और वर्षों से अवैधानिक संस्था चलाने और लोक न्यास की संपतियों के हस्तांतरण, क्रय विक्रय, किराया तथा मंदिर व उक्त संपत्ति में बने धरोहर पर तोड़फोड़ करने वालों के खिला अपराधिक मामला दर्ज किया जाए। साथ ही श्री राघव जी मंदिर बावाडेरा से सर्वराकार हनुमान मंदिर डोंगाघाट को हटाकर श्री सिद्ध दक्षिण मुखी हनुमान मंदिर रामबांधेश्वर धाम भगवान परशुराम चौक चांपा के नाम दर्ज करवाने की अनुशंसा किया जाए। ताकि श्री राघव जी मंदिर बावाडेरा का पूजा पाठ उनके दादा जी की मंशा अनुरूप हो सके। ज्ञात हो हनुमान मंदिर डोगाघाट को पूर्व महंतो द्वारा व्यापारिक प्रतिष्ठान बनाए जाने से क्षुब्ध होकर उनके पिता स्वर्गीय बसंत दुबे जी द्वारा सार्वजनिक हनुमान मंदिर बनाकर पूजा पाठ करने लगे, जिसका पूजा पाठ आज हम लोग करते आ रहे है।