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दस साल बाद खोखसा ओवरब्रिज के प्रारंभ होते ही जांजगीर चांपा जिले के विकास को मिलने लगा नया आयाम, सड़कों की तस्वीर पहले ही बदली गई…

हरि अग्रवाल@जांजगीर-चांपा। दस साल बाद खोखसा ओवरब्रिज के प्रारंभ होते ही जांजगीर चांपा जिले के विकास को नया आयाम मिलने लगा है। अधूरा ब्रिज जिले के विकास पर ग्रहण लगाया हुआ था, लेकिन ब्रिज के प्रारंभ होते ही यहां के विकास को जैसे पंख मिल गया हो। क्योंकि जांजगीर-चांपा की सड़कों का पहले ही कायाकल्प हो गया है। बनारी से सक्ती तक एनएच 49 की हालत पहले से अब बेहतर है। वहीं बाइपास सड़क पर भारी वाहनों की आवाजाही हो रही है। इससे कहीं न कहीं शहर के लोगों ने काफी राहत की सांस ली है।

किसी भी शहर व जिले में विकास का प्रतीक वहां की सड़कें होती है। बिलासपुर की ओर से जिला मुख्यालय जांजगीर प्रवेश करते ही जर्जर सड़क यहां की बदहाली बयां करती थी। वहीं कोरबा व सक्ती की ओर से चांपा प्रवेश करते ही खस्ताहाल सड़क को देखकर लोगों शासन और अपने नेताओं को कोसने मजबूर हो जाते थे। यहां सड़क की गंभीर समस्या सालों से बरकरार थी। खस्ताहाल सड़क से मुक्ति दिलाने कई बार आंदोलन भी हुआ, लेकिन तस्वीर नहीं बदली। तत्कालीन कलेक्टर जितेन्द्र शुक्ला ने जब जिले की कमान संभाली, तब उन्होंने जांजगीर और चांपा के अधूरे ब्रिज को पूरा कराने और सड़कों की तस्वीर बदलने की ठानी। उन्होंने अपनी इस कार्ययोजना से पत्रकारों को भी अवगत कराया। तत्कालीन कलेक्टर ने बनारी से सक्ती तक एनएच 49 की बदहाल तस्वीर को बदलने करोड़ों रुपए सेंशन कराया। इसके बाद संबंधित ठेकेदार को वर्कआर्डर भी जारी कर दिया गया था, लेकिन फिर बारिश के चलते काम बंद रहा। बारिश के बाद सड़कों की तस्वीर बदल गई। अब बनारी से सक्ती तक की सड़क बेहतर हो गई है। लोग आराम से आवाजाही कर रहे हैं।

तत्कालीन कलेक्टर का अहम योगदान
तत्कालीन कलेक्टर जितेन्द्र शुक्ला ने जब यहां का कमान थामा, उस समय खोखसा ओवरब्रिज का काम बंद था। उस समय रेलवे के हिस्से का काम बचा हुआ था, जो सालों से बंद था। इसे प्रारंभ कराने का पूरे मन से किसी ने प्रयास नहीं किया था। शायद इसी वजह से सालों से रेलवे के हिस्से का काम ठप था। उस समय चांपा ओवरब्रिज का काम भी कछुए को मात दे रहा था। लेकिन तत्कालीन कलेक्टर ने सड़क और दोनों ब्रिज के कार्य को प्राथमिकता लेकर शुरू किया। उनकी सक्रियता से जहां चांपा ब्रिज चालू हो गया तो वहीं जांजगीर ब्रिज का रेलवे के हिस्से का रूका काम चालू हुआ। इसी बीच उनका तबादला हो गया। लेकिन जिले के विकास में उनके अहम योगदान को नकारा नहीं जा सकता।

बारिश में नारकीय जीवन जीते थे लोग
पिछले बारिश तक जांजगीर और चांपा की सड़कों की जो हालत थी, उससे यहां के लोग नारकीय जीवन जीने विवश हो गए थे। चांपा में खासकर रेलवे स्टेशन क्षेत्र से आवाजाही करना खतरे से खाली नहीं था। यहां की सड़क खस्ताहाल थी। सड़क पर बड़े-बड़े जानलेवा गड्ढे थे, जिसे लांघकर आवाजाही करना मजबूरी थी। इसी तरह साई मंदिर, कुलीपोटा, बनारी से जांजगीर नेताजी चौक और जांजगीर से चांपा तक बीच बीच की सड़के बारिश में बहुत परेशान करती थी, लेकिन अब सड़क की हालत भी बेहतर हो गई है। इसलिए खोखसा ओवरब्रिज के प्रारंभ होते ही कहीं न कहीं जिले के विकास को गति मिल गई है। हालांकि जिले में अभी विकास के और कई कार्य लंबित है, जिन्हें पूरा करने की अपेक्षा के लोग संजोए बैठे हैं।