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गेट परीक्षा में ऑल इंडिया रैंक लाकर दीपेन्द्र ने बढ़ाया जिले साथ ही प्रदेश का मान, सच्ची लगन और पूरी निष्ठा के साथ घर में रहकर अर्जित की सफलता…

जांजगीर-चांपा। कहते हैं सफलता किसी व्यक्ति विशेष का मोहताज नहीं होता। यदि सच्ची लगन हो और जुनून के साथ किसी चीज को पाने के लिए सार्थक प्रयास किया जाए तो पूरा कायनात उसे मिलाने साजिश करने लगता है। कुछ इसी तरह का कारनामा चांपा के महज रेडियो मैकेनिक के मंझले बेटे दीपेन्द्र कुमार देवांगन ने कर दिखाया है। उसने घर में पढ़ाई कर गेट परीक्षा में ऑल इंडिया 287 रैंक लाकर जिले के साथ ही प्रदेश का गौरव बढ़ाया है।

चांपा निवासी हरिराम देवांगन पेशे से एक रेडियो मैकेनिक है। साथ ही विभिन्न अखबार व न्यूज वेबसाइटों में भी काम कर कर रहा है। परिवार की माली हालत अच्छी नहीं होने के बावजूद हरिराम अपने बच्चों को उंचाई पर देखना चाहते हैं। बच्चे भी परिवार की माली हालत को समझते हुए अपना करियर बनाने जीजान से जुटे हैं। इतने सालों के संघर्ष के बाद हरिराम के मंझले पुत्री दीपेन्द्र कुमार देवांगन ने ऑल इंडिया स्तर पर शिक्षा के क्षेत्र में ऐसा कारनामा कर दिखाया, जो औरों के लिए आसान नहीं है। दीपेन्द्र देवांगन ने अपना संघर्ष बताते हुए कहा कि पहले उसने गुजरात के बड़ौदा में संचालित पारुल इंजीनियरिंग कॉलेज में एयरोनॉटिकल ब्रांच से बीटेक किया। फिर दीपेंद्र ने तय कर लिया कि उसे आगे आईआईटी से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में जाकर भविष्य बनाना है, पर उसके लिए गेट एग्जाम की तैयारी जरूरी है। उसने ऑनलाइन कोचिंग क्लास भी ज्वाइन किया, लेकिन घर की माली हालत खस्ता होने के कारण उसे कोचिंग बीच में ही छोड़नी पड़ गई। लेकिन दीपेन्द्र के इरादे अटल रहे। उसने परिस्थिति के सामने घुटने टेकने के बजाय दृढ़ इच्छाशक्ति और जुनून के साथ रोज 10 से 12 घंटे लगातार पढ़ाई पर अपना ध्यान केंद्रित किया। वह गेट एग्जाम की तैयारी में पूरी तरह डूब गया। उसे पिता की रेडियो दुकान में भी बैठना पड़ता था, जहां वह अपने बेशकीमती समय का उपयोग किताब पढ़ने में ही करता था। पूरी निष्ठा और सच्ची लगन के साथ तैयारी करने के कारण उसे मेहनत का फल मिला। दीपेन्द्र ने गेट एग्जाम ऑल इंडिया रैंक 287 लाकर परिवार के साथ ही जिला व राज्य को गौरावान्वित कर दिया।

माता-पिता का संघर्ष लाया रंग
दीपेन्द्र ने संकल्प लेकर जो फ्यूचर लाइन तय किया था, उसे वह साबित कर दिखाया। अब इसके बाद होने वाले काउंसिलिंग को लेकर पूरे परिवार को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। आईआईटी खड़कपुर के काउंसलिंग प्रोग्राम में हर बार दीपेंद्र को एक से अधिक अनचाहा ब्रांच ऑफर किया जा रहा था, जिसे वेटिंग दर वेटिंग में रखकर सब्र के साथ इंतजार किया जा रहा था। इसी दौरान सातवें राउंड की काउंसिलिंग के बाद परिवार ने जिस उम्मीद को संजोए बैठा था, वह पूरा हो गया। एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में देश के समस्त आईआईटी में तीसरा स्थान रखने वाले कानपुर आईआईटी में दीपेंद्र का सलेक्शन हो गया। अब परिवार ने राहत की सांस ली है। माता-पिता के ताउम्र की तपस्या अब सार्थक होने लगा है।

देश की सेवा में समर्पित होगा दीपेन्द्र का हुनर
दीपेंद्र को एयरोस्पेस इंजीनियरिंग मिल जाने से उसके हौसलो ने एक बार फिर नई उड़ान भरी है। उसने एक और ऊंचाई को छूने का मन बना लिया है। जहां आईआईटी कानपुर में पूरे 2 वर्ष का एमटेक कोर्स करने के बाद उसे एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में दक्षता मिल जाएगी। फिर दीपेन्द्र अपने इस हुनर को देश की सेवा में समर्पित करना चाहता है।