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EXCLUSIVE: हमारे नेता श्रेय लेने में आगे, तो वहीं मिली उपलब्धि को सहेजने किसी का ध्यान नहीं, IIHT में फिर 67 में 9 बच्चे ही हुए पास, प्रदेश का पहला संस्थान गिन रहा आखिरी सांसे

हरि अग्रवाल@जांजगीर-चांपा। धन्य है हमारे यहां के नेता। जांजगीर चांपा में जनहित से जुड़ा कोई बड़ा कार्य हो जाए तो नेताओं में श्रेय लेने की होंड़ मच जाती है, जबकि बाद में सब संबंधित कार्य को अपने हाल पर छोड़ दिया जाता है। यही वजह है कि प्रदेश के पहले भारतीय हाथकरघा प्रौद्योगिकी संस्थान की हालत दिनोंदिन बद से बद्तर होते जा रही है। बावजूद इस संस्थान का सुध लेने वाला कोई नहीं है। एकबार फिर यहां 67 छात्रों में महज 9 लोग ही पास हो पाए हैं, जबकि 58 विद्यार्थी फेल हो गए।

देश के सातवें और प्रदेश के पहले भारतीय हाथकरघा प्रौद्योगिकी संस्थान का सेंशन जब वर्ष 2007 में हुआ, तब नेताओं में श्रेय लेने की होंड़ मच गई। लछनपुर गांव में करोड़ों रुपए की लागत से भवन तैयार कराया गया है। यहां हैंडलूम टैक्सटाइल्स टेक्नोलॉजी में तीन वर्षीय डिप्लोमा पाठ्यक्रम संचालित है। खास बात यह है कि जिले में इतनी बड़ी संस्थान प्रारंभ होने के बाद जिम्मेदार नेता और अफसरों ने कभी भी यहां नजरें इनायत नहीं की, जिसका जमकर फायदा उठाया जा रहा है। यहां के ज्यादातर पद अब भी खाली है। यहां तक कॉलेज के प्राचार्य भी प्रभारी हैं। इस वजह से वो माह में एक-दो दिन ही कॉलेज आ पा रहे हैं, तो वहीं अतिथि शिक्षकों के भरोसे किसी तरह काम चलाया जा रहा है। दिलचस्प बात यह है कि हर साल यहां का रिजल्ट खराब आ रहा है। इसके पहले भी तीसरे और पांचवें सेमेस्टर में सिर्फ दो बच्चे ही ही पास हो सके थे, जबकि पिछले साल 59 में सिर्फ 17 ही पास हो पाए थे। हैरत की बात यह है कि अभी फिर से 67 बच्चों में महज 9 बच्चे ही पास हो पाए हैं। फर्स्ट ईयर में 28 में 23 फेल हो गए तो वहीं सिर्फ 5 विद्यार्थी ही पास हुए हैं। सेकंड ईयर में 20 में पूरे 20 फेल हो गए। फाइनल ईयर में 19 में 4 ही पास हुए हैं, जबकि 15 बच्चे फेल हो गए। दिलचस्प बात यह है कि यहां शिक्षा के गिरते स्तर पर चिंता जताने के बजाय प्राचार्य इसके लिए बच्चों को ही जिम्मेदार मान रहे हैं। ऐसी स्थिति में संस्थान संचालन के लिए सरकार का भारी भरकम बजट सिर्फ पानी में जा रहा है।

बच्चों का पैसा और भविष्य बर्बाद
कोसा कारीगरी के लिए मशहूर जिले में इस कारोबार को उंचाई देने के ध्येय से आईआईएचटी की स्थापना की गई थी। यहां फैबटिक स्ट्रक्चर, वीविंग थ्योरी और कलर कांसेप्ट विषय पर रोजगारन्मुखी पाठ्यक्रम संचालित है। बेरोजगारी की बढ़ती भीड़ के बीच मध्यम व गरीब तबके के बच्चे लाखों रुपए खर्च कर यहां पढ़ाई करते हैं, लेकिन यहां लगातार रिजल्ट के गिरते स्तर से बच्चों का लाखों रुपए और उनका भविष्य अधर में है। यदि जिम्मेदार नेता और अफसर समय रहते इस ओर ध्यान आकृष्ट नहीं किया तो वो दिन दूर नहीं, जब यहां बच्चे प्रवेश लेने से ही कतराए। अभी भी यहां महज गिनती के ही बच्चे शेष रह गए हैं।