छत्तीसगढ़जांजगीर-चांपा

जांच में आंचः पचोरी में भ्रष्टाचार की जांच पर खानापूर्ति, जांच टीम तीन बार गांव पहुंची, लेकिन आवभगत कराकर लौटी बैरंग, मामला रफा-दफा होने की जताई जा रही संभावना

जांजगीर-चांपा। गांवों से लेकर शहरों तक भ्रष्टाचार का बोलबाला है। हर तरह लूट मची है, शिकायत में जांच के नाम पर महज खानापूर्ति कर दी जा रही है। कुछ इसी तरह का वाक्या ग्राम पंचायत पचोरी में भी सामने आ रहा है। गांव के जागरूक नागरिक विजय पाण्डेय ने विभिन्न कार्यों में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए कलेक्टर से जनदर्शन में दस बिंदुओं पर शिकायत की थी, लेकिन मामले की जांच अब तक पूरी नहीं हो सकी है।

शिकायत के बाद मामले में जांच के लिए कलेक्टर ने चांपा एसडीएम को जिम्मेदारी दी है। एसडीएम के निर्देश पर बम्हनीडीह विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत पचोरी भवन में आज मामले की जांच करने आरईएस के इंजीनियर, रोजेगार गारंटी से दुर्गेश सोनी व हैंडपंप जांच के लिए बसंत कोसले पहुंचे। जांच टीम आज दो बिंदुओं की जांच करने आई थी। सीसी रोड निर्माण में गड़बड़ी की शिकायत पर जांच दल ने महज सीसी रोड की लंबाई ही नाप ली, जबकि उसकी गुणवत्ता को लेकर ही सवाल उठाया गया है। विजय पाण्डेय का कहना है कि जांच दल की कार्रवाई शुरू से खानापूर्ति दिखने लगी है। जहां सीसी रोड की गुणवत्ता पर कोई ध्यान ही नहीं दिया जा रहा है तो वहीं रोजगार गारंटी के मजदूरी से गांव के सार्वजनिक कुएं को पटवाने के मामले में कोई जांच ही नहीं हुई। रोजगार गारंटी से गांव में बनी नाली की खुदाई भी मजदूरों के बजाय जेसीबी से कराई गई है, लेकिन जांच दल ने इस पर भी कोई जांच नहीं की। पंचायत भवन में जब सरपंच पति व बच्चों के द्वारा मजदूरी आहरण किए जाने के सवाल व शिकायत पर जांच दल ने चुप्पी साध ली। इसी तरह हैंडपंप की गहराई नापने के बजाय जांच दल ने हैंडपंप स्थापना की मूल्यांकन रिपोर्ट उपलब्ध कराने की बात कहकर पल्ला झाड़ लिया गया।

शुरू से जांच के नाम पर खानापूर्ति
मामले में पहली बार बीते 15 जून को जब पंचायत इंस्पेक्टर श्याम सिदार जांच करने आए तो पंचायत भवन में बैठाकर उसका आवभगत किया गया। बाद में जांच के नाम पर खानापूर्ति कर दी गई। इसी तरह एसडीएम पर पुनः शिकायत की जांच के लिए दबाव बनाया गया तो बीते 11 जुलाई को पंचायत इंस्पेक्टर श्याम सिदार के नेतृत्व में चार सदस्यीय जांच टीम गांव पहुंची। पंचायत भवन मे जब सरपंच व सचिव को तलब किया गया तो जांच दल संबंधित दस्तावेज की जांच करने के बजाय उपलब्ध कराने की बात कहकर बैरंग लोट गए।