सक्ती। समारोह में जिला प्रशासन की टीम की लापरवाही साफ दिख गई,जिससे इस प्रतिष्ठा पूर्ण आयोजन में गरिमा का ख्याल नहीं रखा गया था। लोगों में आयोजन को लेकर काफी उत्साह था,पर व्यवस्था पूरी तरह से चरमराई रही।
शहीदों के परिजनों के लिए आरक्षित स्थान में अन्य व्यक्तियों की भीड़ जमी रही,वहीं उनके परिजनों को कुर्सी खोजने के लिए मसक्त करना पड़ा। जोकि जिला प्रशासन द्वारा शहीदों के परिजनों को आमंत्रित कर सीधा अपमान किया गया है। हर्ष फायरिंग के दौरान पूरी तरह से फायरिंग नहीं होना,चर्चा का विषय रहा जिसमें की पुराने एवम जंग के कारण बंदूक ही नहीं चला पाए। वहीं अतिउत्साह में ड्रोन से फहराया जा रहा तिरंगा सीधा जमीन में गिरा जो की हमारे राष्ट्रीय झंडे तिरंगे का अपमान है। जिला प्रशासन नादानी करते हुए बिना तैयारी के वाहवाही लेने की कोशिश की थी। कलेक्टर के सीधे नियंत्रण वाले जनसंपर्क विभाग ने कई बचकानी हरकत की थी,पत्रकारों को निमंत्रण पत्र नहीं भेजने के अलावा,पत्रकार दीर्घा में पर्याप्त कुर्सियां नहीं थी, जो थे उसमें अन्य व्यक्तियों का कब्जा था,जिसे पत्रकारों के विरोध के बाद दूर किया गया। लंबे सांस्कृतिक आयोजन के कारण स्कूल के बच्चे पानी एवम नास्ते को तरसते रहे,जिनको सुबह से ही बुला लिया गया था,इसके साथ सांस्कृतिक आयोजन शासकीय स्कूल के बच्चों का बेहतर प्रदर्शन रहने के बावजूद एक निजी स्कूल के प्रतिभागियों को प्रथम स्थान दिया गया है। वहीं सम्मान समारोह के दौरान कुर्सियां पूरी तरीके से खाली रही जो समानित होने वाले लोगों का अपमान है। खैर नवीन जिला है अभी अधिकारी सिख रहें हैं,लाजमी है गलतियां होगी लेकिन दुखद है की हमारा सक्ती जिला इन नौसिखिए अधिकारियों के लिए एक प्रयोगशाला ना बन जाए।