छत्तीसगढ़कोरबाजांजगीर-चांपाबिलासपुरराजनीतिरायपुर

आखिर मूर्त रूप कब लेगी गोठान योजना! गोठानों में पुख्ता इंतजाम नहीं होने से सड़कों पर लग रहा मवेशियों का झुंड

कोरबा में बीते एक जुलाई की देर रात मवेशियों की झुंड से टकराकर कार सवार तीन लोगों की मौत ने समूचे प्रदेश को झकझोर दिया था। खासकर बारिश के दिनों में इस तरह के हादसे लगातार हो रहे हैं। मवेशियों की वजह से कभी लोग दुर्घटना के शिकार हो रहे हैं तो वहीं कभी मवेशियों के झुंड को कुचलकर तेज रफ्तार वाहन भाग जा रहा है। प्रदेश की यह गंभीर समस्या है, जिस पर रोक लगाने के लिए छत्तीसगढ़ की मौजूदा सरकार ने गोठान की शानदार योजना शुरू की है।

गांव-गांव में गोठान बनाए गए हैं। गोठान बनाने के पीछे सरकार की मंशा यही थी कि मवेशी सड़क पर बैठने के बजाय गोठान में रहे। इससे जहां दुर्घटनाओं में कमी होगी तो वहीं गोसंवर्धन से समाज विकसित होगा। लेकिन यह योजना धरी की धरी रह गई। ज्यादातर गोठानों में मवेशियों की देखभाल के लिए पुख्ता व्यवस्था ही नहीं है, जिसके चलते गोठान योजना महज नाम का ही रह गया है। खासकर बारिश के मौसम में मवेशी झुंड में बैठे रहते हैं। स्थानीय प्रशासन भी ऐसे मवेशियों की ओर ध्यान आकर्षित नहीं करता। या फिर यूं कहें कि गोठानों में पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने के कारण मवेशियों को अपने हाल पर छोड़ दिया गया है। इसके कारण मुख्य मार्गों में मवेशी अपना डेरा जमाए आपको दिख जाएंगे। अक्सर मुख्य मार्गों में वाहन हवा से बातें करने लगते हैं। तेज रफ्तार वाहन चालन के बीच आंखों के सामने अचानक मवेशियों का झुंड आ जाए तो वाहन चालक का हड़बड़ा जाना स्वभाविक है। ऐसी स्थिति में दुर्घटना की संभावना कई गुना बढ़ जाती है। कोरबा में हुई दुर्घटना भी कुछ इसी तरह की हुई होगी। अभी कलेक्टर व जिला पंचायत सीईओ ने कड़ा फरमान जारी किया है, लेकिन जब तक गोठानों में पुख्ता इंतजाम नहीं होगा। इस गंभीर समस्या से छुटकारा नहीं पाया जा सकता। हालात को देखते हुए यह सवाल उठना लाजिमी है आखिर कब मूर्त लेगी गोठान की महत्वकांक्षी योजना?

गोठान योजना लक्ष्य से भटकाव की ओर
सड़क से मवेशियों को हटाकर सुरक्षित स्थान में लाने के उद्देश्य से गोठान योजना बनाई गई है, लेकिन इन साढ़े चार सालों में योजना का धरातल पर क्रियान्वयन नहीं हो सका। हालांकि सरकार ने गोठानों की देखभाल के लिए समिति बनाई है। लोगों की जिम्मेदारी भी तय की गई है, लेकिन उनका कामकाज प्रभावी तरीके से नजर नहीं आ रहा है। इसके चलते योजना प्रारंभ होने के बाद भी सड़कों पर मवेशियों का डेरा होने के मामले में कोई बदलाव नहीं आ सका। अभी आलम यह है कि गोठानों से लोगों को सिर्फ स्वरोजगार का एक अवसर ही मिलने लगा है। इससे ऐसा लगता है कि गोठान योजना भटकाव की ओर है। सरकार को इसके लिए एक ऐसी पुख्ता व्यवस्था करने की जरूरत है, जिससे सड़कों के बजाय मवेशी गोठान में ही रहे। मवेशियों को गोठानों में रखने के लिए वहां पर्याप्त व्यवस्थाएं होनी चाहिए। जब ऐसा होने लगेगा, तब ही इस गोठान योजना की सार्थकता लोगों को दिखेगा।