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दोषी पाए जाने के आठ माह बाद भी सक्ती जिले के डीईओ पर कार्रवाई नहीं, शिक्षक पोस्टिंग घोटाला के दोषी अफसरों पर की जा रही भेदभावपूर्ण कार्रवाई 

0 सवैधानिक प्रावधान का उल्लंघन, प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री और सचिव से शिकायत

जांजगीर-चांपा। प्रदेश में इन दिनों शिक्षकों की पदोन्नति, काउंसलिंग एवं पदस्थापना में गड़बड़ी किए जाने के दोषी अधिकारी-कर्मचारियों पर लगातार निलंबन की गाज गिर रही है। नवनियुक्त स्कूल शिक्षा मंत्री रविन्द्र चौबे के प्रभार लेने के बाद से अब तक 14 अधिकारी-कर्मचारियों को सिविल सेवा आचरण नियम 1965 की कंडिका-3 के तहत निलंबित किया जा चुका है, जिसमें चार संयुक्त संचालक, तीन जिला शिक्षा अधिकारी स्तर के अधिकारी एवं शेष कर्मचारी शामिल हैं। इस प्रकार की कार्यवाही करते हुए एक ओर जहां भ्रष्टाचार पर नियंत्रण स्थापित करने का प्रयास किया जा रहा है तो वहीं दूसरी ओर ऐसे ही प्रकरण में दोषी पाए जाने के आठ माह बाद भी सक्ती के प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही नहीं किए जाने का मामला सामने आया है। इससे स्पष्ट है कि पहुंच रखने वाले दोषी अधिकारी एवं कर्मचारियों को बचाने के प्रयास किए जा रहे हैं।

दरअसल, सक्ती के प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी बीएल खरे के विरुद्ध संयुक्त संचालक बिलासपुर ने तीन पृष्ठों की अपनी जांच रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया है कि सक्ती के प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी खरे द्वारा बिना अंतिम वरिष्ठता सूची जारी किए सक्ती जिले के शिक्षकों को पदोन्नति दी गई है। यहां शासन के निर्देशानुसार काउंसलिंग का आयोजन नहीं किया गया है तथा काउंसलिंग के दौरान रिक्त पदों को छुपाया गया है और उन संस्थाओं में कनिष्ट शिक्षकों का पदोन्नति आदेश जारी किया गया है। वहीं जिले के 18 अपात्र शिक्षकों को पदोन्नति दे दी गई थी। जबकि, काउंसलिंग के बाद 36 शिक्षकों की पदस्थापना आदेश में संशोधन किया गया है। पदोन्नति आदेश जारी होने के बाद 22 शिकायतें दर्ज की गई हैं। साथ ही पदोन्नति आदेश जारी करने एवं कार्यभार ग्रहण करने के छह माह बाद पदस्थापना आदेश में संशोधन भी कर दिया गया है। बता दें कि इस पूरे मामले में जांच अधिकारी द्वारा अभिमत दिया गया है कि शासन द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन न करते हुए सक्ती जिले में मनमाने ढंग से पदोन्नति की कार्यवाही की गई है। जांच अधिकारी द्वारा छत्तीसगढ़ सिविल सेवा आचरण नियम 1965 की कंडिका-3 के तहत अनुशासनात्मक कार्यवाही की अनुशंसा की गई है।

दोषियों के विरूद्ध कार्यवाही नहीं
व्याख्याता ओपी कैवर्त्य ने जांच रिपोर्ट के साथ इस पूरे मामले की जानकारी प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री और सचिव को दी है। खास बात यह है कि यह पूरा मामला मंत्रालय की जानकारी में आने के एक माह बाद भी दोषियों के विरूद्ध किसी तरह की कोई कार्यवाही नहीं की गई है। इससे स्पष्ट है कि सक्ती जिले के दोषियों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है। ऐसे ही पहुंच रखने वाले और भी कई अधिकारी-कर्मचारी होंगे, जिन्हें बचाए जाने से इंकार नहीं किया जा सकता है।

संविधान के अनुच्छेद का हनन
शिकायतकर्ता व्याख्याता ओपी कैवर्त्य का कहना है कि शिक्षा संहिता नियम 26 समान दंडाज्ञा अर्थात दो समान परिस्थितियों में स्थित अधिकारी-कर्मचारियों को पृथक-पृथक रूप से दंडित किए जाने की दशा में संविधान के अनुच्छेद 15 तथा 16 का हनन होता है। ऐसे में अब देखना यह होगा कि स्कूल शिक्षा मंत्री और संबंधित विभागीय अधिकारी इस मसले पर आखिर कब तक निर्णय ले पाते हैं या फिर सक्ती जिले के दोषियों को अभयदान दे दिया जाता है।