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OMG! जिस पर 376 का अपराध दर्ज, जमानत पर है रिहा, फिर भी उसे ही दे दी गई बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी, जानिए क्या है पूरा मामला

जांजगीर-चांपा। प्रदेश के पहले भारतीय हाथकरघा प्रौद्योगिकी संस्थान में लापरवाही की हद पार होने का मामला सामने आया है। यहां के एक संविदा रीडर पर 376 का जुर्म दर्ज है और अभी वह जमानत पर रिहा है। दिलचस्प बात यह है कि यहां के प्राचार्य की लापरवाही से इसी संविदा कर्मी को संस्थान की छात्राओं को पढ़ाने की जिम्मेदारी दे दी गई है। खास बात यह है कि प्रदेश के इस पहले संस्थान में कई महिला स्टाफ है तो वहीं छात्राएं भी यहां तालीम लेने पहुंचती है। जिस पर ऐसा संगीन आरोप लगा है, उससे ही शिक्षा के मंदिर की जवाबदारी देना किसी को हजम नहीं हो रहा है।

बता दें कि चांपा लछनपुर स्थित प्रदेश के पहले भारतीय हाथकरघा प्रौद्योगिकी संस्थान में पुर्णेश रंगारी संविदा रीडर के पद पर पदस्थ है। हाल ही में एक युवती ने रंगारी पर रेप का आरोप लगाया था, जिस पर उरगा पुलिस ने पुर्णेश रंगारी के खिलाफ धारा 376 के तहत अपराध दर्ज कर उसे सलाखों के पीछे पहुंचाया था। इसके बाद रंगारी अभी जमानत पर रिहा है। खास बात यह है कि आज वह संस्थान आया था। बताया जा रहा है कॉलेज के प्राचार्य ने उसी को फिर बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी दे दी है। सूत्रों की मानें तो पुर्णेश रंगारी पर धारा 376 का अपराध दर्ज होने के बाद उसके सलाखों के पीछे जाने की जानकारी प्राचार्य ने उच्च अधिकारियों से छिपाई है, जिसके चलते उच्च स्तर से उसके खिलाफ किसी तरह का एक्शन होने के बजाय फिर से उससे काम लेने की तैयारी कर ली गई है। जिस पर इस तरह असंज्ञेय अपराध दर्ज हो, उससे सरकारी व जिम्मेदारी भरा काम लेना जोखिम से कम नहीं है।

इस संबंध में जब हमनें कॉलेज के प्राचार्य दोमू धकाते से बात की, तो उनका जवाब चौकाने वाला था। उन्होंने कहा कि सरकार ने उसके खिलाफ अब तक कोई एक्शन नहीं लिया है। जब एक्शन लेगी, तब विचार किया जाएगा। जब हमनें प्राचार्य से पूछा कि क्या आपने रंगारी के खिलाफ जुर्म दर्ज होने और उसके सलाखों के पीछे जाने की जानकारी उच्च स्तर के अफसरों को दी थी, तब उनका कहना था कि ये जानकारी गोपनीय है, आपको नहीं बताई जा सकती। दोबारा पूछने पर भी प्राचार्य ने यही जवाब दिया।

राजनीति दलों के जिम्मेदार नेताओं से सुलगते सवाल
छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव की सरगर्मी शुरू हो गई है। सभी राजनीतिक दलों के नेता महिला सुरक्षा व महिलाओं के हित में बड़ी बड़ी बातें राजनीतिक मंच से करते हैं, जिसे सुनकर कोई भी भावुक हो जाएगा। लेकिन जब इस तरह का मामला प्रकाश में आता है, तो सभी के जुबान में ताला लग जाता है। लोगों का राजनीतिक दलों के नेताओं से कई सुलगते सवाल है। क्या जिस पर 376 का अपराध दर्ज है, उससे जिम्मेदारीपूर्ण काम लेना उचित है? प्राचार्य ने आखिर संविदा कर्मी पर अपराध दर्ज होने की जानकारी क्यों उच्च अफसरों को नहीं भेजी? संवेदनशील संस्थान का जिम्मा आरोप मुक्त हुए बिना संविदा कर्मी को दिया जा सकता है? ऐसे कर्मी से काम लेना क्या जोखिम भरा नहीं है? ऐसे कई सवालों का जवाब जिम्मेदार राजनीतिक दलों के नेताओं को देना चाहिए।