छत्तीसगढ़जांजगीर-चांपा

विश्व संस्कृत दिवस विशेष कार्यक्रम आयोजित, संस्कृत भाषा प्रचार प्रसार समिति एवं निराला साहित्य मंडल चांपा का आयोजन

जांजगीर-चांपा। साहित्यिक सामाजिक आध्यात्मिक सेवा के क्षेत्र में अनवरत संचालित अग्रणी एवं प्राचीनतम साहित्य संस्थान निराला साहित्य मंडल चांपा एवं संस्कृत भाषा प्रचार प्रसार समिति के द्वारा कैलाश सा मिल चांपा कार्यालय के सभागार कक्ष में विश्व संस्कृत दिवस पर कार्यक्रम आयोजित की गई। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में धर्मभूषण, भागवतभूषण पं दिनेश दुबे, विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ घनश्याम प्रसाद दुबे सहित निराला साहित्य मंडलके मुख्य संरक्षक पं हरिहर प्रसाद तिवारी अध्यक्ष राजेश अग्रवाल मंचस्थ थे।

कार्यक्रम के प्रारंभ में मुख्य अतिथि विशिष्ट अतिथि एवं मंचस्थ विभूतिगणों के द्वारा मां सरस्वती, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी के तैल चित्र पर माल्यार्पण कर पूजन वंदन किया गया। इसके बाद प्रधान सचिव रविन्द्र द्विवेदी ने समवेत स्वर में सरस्वती वंदना या कुन्देदु तुषार हार धवला का पाठ कराया। तत्पश्चात् मंडल के अध्यक्ष राजेश अग्रवाल द्वारा मुख्य अतिथि पं दिनेश दुबे जी का श्रीफल, चंदन, गुलाल लगाकर पुष्प गुच्छ भेंटकर स्वागत अभिनन्दन किया गया। मंचस्थ अतिथियों का स्वागत पं रामगोपाल गौराहा, पं रामकिशोर शुक्ला, राजीव मिश्रा द्वारा माल्यार्पण कर किया गया। विश्व संस्कृत दिवस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य संरक्षक पंडित हरिहर प्रसाद तिवारी ने संस्कृत के श्लोकों के माध्यम से संस्कृत भाषा के महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा सभी भाषाओं की जननी है जो हम सभी के लिए मां के स्वरूप अत्यंत पूज्यनीय है। विशिष्ट अतिथि आयुर्वेद अधिकारी डॉ घनश्याम प्रसाद दुबे ने अपने सारगर्भित उद्बोधन में कहा कि आयुर्वेद में संस्कृत भाषा को विशेष स्थान दिया गया है। आधुनिक ज्ञान एवं तकनीकी कम्प्यूटर शिक्षा में संस्कृत भाषा का प्रयोग किया जाता है। हमें संस्कृत भाषा के विकास एवं संवर्धन के लिए हमेशा तत्पर रहने की आवश्यकता है। मुख्य अतिथि पं दिनेश दुबे ने अपने ओजस्वी उद्बोधन में विस्तार से बताया कि महर्षि पाणिनि के संस्कृत व्याकरण के आधार पर कम्प्यूटर में अक्षरों को संयोजित किया गया है। संस्कृत भाषा बहुत ही प्राचीनतम वैदिक भाषा है। हम इसे देवभाषा, सुभारती के नाम से भी जानते हैं। ऋग्वेद संस्कृत भाषा में लिपिबद्ध है। मुख्य अतिथि ने आगे कहा कि महर्षि बाल्मिकी संस्कृत भाषा के प्रथम कवि थे। बाल्मिकी का प्रथम संस्कृत श्लोक मां निषाद प्रतिष्ठाम रहा। हमें संस्कृति,संस्कार की शिक्षा देनवाली संस्कृत भाषा को विश्व स्तर पर सभी भाषाओं से उंचा दर्जा देकर समुचित संवर्धन पर जोर देना चाहिए। इस अवसर पर अध्यक्ष राजेश अग्रवाल, पं रामगोपाल गौराहा, पं रामकिशोर शुक्ला, पं पवन पाठक, शशिभूषण सोनी, रविन्द्र सराफ ने भी संस्कृत भाषा की महत्ता, उपयोगिता एवं वर्तमान दुर्दशा पर अपने सम्यक विचार व्यक्त किए। विश्व संस्कृत दिवस कार्यक्रम का संचालन रविन्द्र द्विवेदी ने किया एवं अंत में आभार मंडल अध्यक्ष राजेश अग्रवाल ने किया। कार्यक्रम में राजीव मिश्रा, शैलेन्द्र अग्रवाल, रमेश कर्ष, सुनीलदास, रविन्द्र सराफ, शशिभूषण सोनी सहित संस्कृत भाषा प्रचार प्रसार समिति के सदस्यगण उपस्थित थे।