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संतान की सुख, समृद्धि व दीर्घायु के लिए माताओं ने रखा हलषष्ठी व्रत, जीएडी कालोनी बलौदा की महिलाओं ने मनाया पर्व

जांजगीर चांपा। छत्तीसगढ़ में कमरछठ पूजा की विशेष मान्यता है। इसी कड़ी में जी.ए.डी. कालोनी बलौदा की महिलाओं ने कमरछठ के दिन अपनी संतान की लंबी आयु, सुख समृद्धि और खुशहाली की कामना के लिए कमरछठ पूजा का पर्व श्रद्धा उल्लास के साथ मनाया गया। कमरछठ पूजा को देश के अन्य राज्यों में हलषष्ठी के रूप में जाना जाता है।
ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान श्री कृष्ण के बड़े भाई बलराम का जन्म हुआ था। बलराम का शस्त्र हल होने के कारण पर्व का नाम हलशष्ठि पड़ा। इस दिन व्रत रखने वाली महिलाएं हल से जूता हुआ अन्न ग्रहण नहीं करती। यही वजह है कि बिना हल जूते अपने आप उगने वाले पसहर चावल को खाने की परंपरा निभाई जाती है। साथ ही गाय के दूध, दही के बजाय भैंस का दूध, दही स्तेमाल किया जाता है। इस प्रकार पूरे विधि विधान से सुनीता चंद्रा, मीना उरांव, मोहरमती सिदार, धनेश्वरी साहू, कुंजलता साहू, श्यामता कश्यप सभी महिलाओं को पंडित जी ने मंत्रोपचार के साथ पूजा अर्चना कराया।

संतान की सुख, समृद्धि व दीर्घायु के लिए माताओं ने रखा हलषष्ठी व्रत, जीएडी कालोनी बलौदा की महिलाओं ने मनाया पर्व चौथा स्तंभ || Console Corptech
रायपुर में हलषष्ठी पर्व मनाती महिलाएं।

मठपारा रायपुर की महिलाओं ने मनाया हलषष्ठी पर्व
भाद्रपद कृष्ण पक्ष षष्ठी को परंपरागत रूप से हलषष्ठी का त्यौहार माताओं ने श्री दूधाधारी मठ सत्संग भवन में विधिवत्त पूजा अर्चना कर किया। मठपारा रायपुर में हलषष्ठी के अवसर पर माताओं ने अपने पुत्र की सुख समृद्धि एवं लंबी आयु की कामना को लेकर व्रत रखा और विधिवत पूजा अर्चना कर हलषष्ठी महारानी से अपने संतानों के उज्जवल भविष्य की कामनाएं की। उल्लेखनीय है कि पूरे छत्तीसगढ़ में भाद्रपद कृष्ण पक्ष षष्ठी को यह त्यौहार प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है। इसमें माताएं हल से उत्पन्न किए गए किसी भी अन्न, फल, फूल, शाक का उपयोग नहीं करतीं, साथ ही इस दिन भैंस से प्राप्त दूध, दही, घी का विशेष महत्व होता है।