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जांजगीर चांपा सीट से नए चेहरे को मिल सकता है मौका, कांग्रेस के वरिष्ठ मंत्री के बयान से मची खलबली

0 25 सालों से एनवक्त पर टिकट लाने सफल रहे हैं मोतीलाल देवांगन

जांजगीर चांपा। कांग्रेस सरकार के वरिष्ठ मंत्री रविन्द्र चौबे के एक बयान से खलबली मच गई है। उन्होंने अपने बयान में इस बार करीब आधी सीटों पर नए चेहरे उतारने की सहमति बैठक में बनने की बात कही है। इस लिहाज से इस बार जांजगीर चांपा जिले के भी तीनों सीटों पर नए चेहरों को मौका मिल सकता है। जांजगीर चांपा सीट पर पहले ही नए चेहरे की मांग मुखर हो चुकी है तो अमूमन अन्य दो सीटों का भी यही हाल है। हालांकि समय तय करेगा कि आखिर टिकट किसे मिलेगी।

मंत्री रविन्द्र चौबे ने अपने बयान में यह भी कहा कि 2018 के चुनाव में कांग्रेस की लहर थी, फिर भी 22 सीटों पर कांग्रेस की हार हुई थी। इन सीटों पर नए चेहरों पर कांग्रेस दांव खेलेगी। इस खबर से खासकर अपनी टिकट पक्की मानकर चल रहे पुराने दावेदारों की नींद उड़ गई है। जांजगीर चांपा सीट की बात करें तो यहां अभी भाजपा के नारायण चंदेल बतौर विधायक है। पूर्व विधायक मोतीलाल देवांगन और नारायण चंदेल 25 सालों से लगातार प्रतिद्वंदी है। इस बार इस सीट से नए चेहरे की मांग शीर्ष नेताओं से लगातार कर चुके हैं। अभी 42 लोगों ने इस सीट के लिए दावेदारी की है, जिनमें किसी एक को ही टिकट मिलेगी। खास बात यह है कि पूर्व विधायक मोतीलाल देवांगन अब तक ऐनवक्त में टिकट लाने सफल रहे हैं। चुनावी मौसम में टिकट के पहले तरह-तरह की चर्चाएं व बयान आते हैं, लेकिन पूर्व विधायक 25 सालों से आखिर में टिकट लाकर सबको चौकाते रहे हैं। दूसरी ओर इस सीट से बहुत लोगों ने दावेदारी की है, जिसमें प्रमुख रूप से पूर्व विधायक मोतीलाल देवांगन, दिनेश शर्मा, इंजी. रवि पाण्डेय, व्यास कश्यप, गिरधारी यादव सहित कुल 42 लोगों का आवेदन पहुंचा है। अब देखना काफी दिलचस्प होगा कि क्या मोतीलाल देवांगन अपने 25 सालों का इतिहास दोहरा पाने में सफल होंगे, या फिर किसी नए चेहरे पर पार्टी दांव खेलेगी।

रोज नई खबरों के बीच गुम हुआ पैनल
कांग्रेस ने इस बार टिकट के लिए दावेदारों से पहले ब्लाक में आवेदन लिए। फिर जिला कांग्रेस से तीन नामों का पैनल बनाकर सूची प्रदेश कांग्रेस को भेजी गई। इस लिहाज से पैनल वाले नामों पर ही फैसला होना चाहिए। लेकिन रोज नई नई खबरों के बीच डीसीसी के पैनल ही गायब नजर आते हैं। खास बात यह भी है कि यदि डीसीसी के पैनल से टिकट नहीं मिलती है तो इसका असर कांग्रेस पर भी पड़ सकता है। क्योंकि जिन लोगों का नाम पैनल में है वो पूरी तरह तब तक आश्वस्त है कि उन्हीं में से किसी एक को टिकट मिलेगी, लेकिन यथास्थिति से नहीं लगता कि पैनल को ही टिकट मिलेगी।