छत्तीसगढ़जांजगीर-चांपा

सूदखोरों की प्रताड़ना से नारकीय जीवन जीने लोग मजबूर, प्रशासन की लापरवाही से जिले में फलफूल रहा अवैध सूदखोरी का कारोबार

0 दस से बीस फीसदी ब्याज पर रकम देकर वसूली के लिए सीमा लांघ रहे सूदखोर

जांजगीर-चांपा। जिले में सूदखोर जरूरतमंदों को ब्याज में दिए रकम की वसूली करने किसी भी हद तक जाने जरा भी गुरेज नहीं कर रहे हैं। सूदखोरों की प्रताड़ना से तंग आकर आए दिन लोग मौत को गले लगाने मजबूर हैं। कुछ साल पहले ही सक्ती क्षेत्र के ग्राम टेमर निवासी एक युवक ने अपने तीन बच्चां के साथ मालगाड़ी के सामने कूदकर जान दे दी थी, वहीं फिर सूदखोरों की प्रताड़ना से त्रस्त कुरदा गांव के एक ग्रामीण ने कलेक्टर जनदर्शन में जहर पीकर खुदकुशी कर ली थी। चंद दिनों के अंतराल में हुई इन दो घटनाओं ने सूदखोरों के खिलाफ प्रशासन को सोचने मजबूर कर दिया था। धरातल पर सूदखोर आतंक मचाकर रखे हैं। जिला प्रशासन की ढिलाई से सूदखोर बेखौफ होकर आम लोगों को शारीरिक व मानसिक रूप से प्रताड़ित करने कोई भी सीमा लांघ दे रहे हैं।

सरकार ने सूदखोरों पर शिकंजा कसने के लिए कर्ज एक्ट भी बनाया है। इसके तहत सूदखोरी का व्यवसाय करने वालों को पंजीयन कराना अनिवार्य है। इसके साथ ही रियायती दर पर कर्जदारों की सूची की जानकारी एकत्रित करनी होगी। लेकिन जिले के ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में दस से बीस प्रतिशत प्रतिमाह ब्याज दर लगाकर अवैध तरीके से रकम दी जा रही है। गरीबी के साथ ही जरूरतमंद लोग इनके चंगुल में फंस जा रहे हैं। सूदखोरों के चंगुल में एकबार फंसने के बाद ज्यादातर लोग मौत को गले लगाने के बाद ही इनकी प्रताड़ना से मुक्ति पाते हैं। कुछ साल पहले चांपा से लगे ग्राम कुरदा निवासी जगदीश बघेल ने चांपा के ही सूदखोरों से ब्याज में रकम ली थी। समय पर ब्याज और रकम अदा नहीं कर पाने की स्थिति में जगदीश ने अपनी जमीन भी उन लोगों के पास बेच दी, लेकिन इतने में भी उनका पेट नहीं भरा। जमीन मिलने के बाद सूदखोरों की लालच और बढ़ गई। नतीजतन, सूदखोरों ने बेची गई जमीन से अधिक पर न केवल कब्जा जमाया, बल्कि फिर उससे रकम मांगने लगे। मसलन, सूदखोरों से मुक्ति पाने जगदीश ने मौत को गले लगा लिया। इसके बाद सक्ती क्षेत्र के टेमर निवासी युवक ने अपने तीन बच्चों के साथ मालगाड़ी के सामने कूदकर जान दे दी थी। इस मामले में भी युवक के कर्ज तले दबे होने की जानकारी सामने आई थी। इन दोनों घटनाओं ने जिला प्रशासन की नींद उड़ा दी थी। जनदर्शन में पहुंचे जगदीश ने आत्महत्या कर एक प्रकार से जिला प्रशासन को आगाह किया था, लेकिन विडंबना यह है कि यह मामला एक समय के बाद फाइलों में गुम हो गया। फिर सब अपने-अपने काम में व्यस्त हो गए। मसलन, सूदखोरी के कारोबार से लोग नारकीय जीवन जीने मजबूर है।