चुनाव के नजदीक आते ही एकबार फिर उठा चांपा का मुद्दा, इस बार नोटा को वोट करने सोशल मीडिया में छिड़ी लंबी बहस
जांजगीर-चांपा। चुनाव के नजदीक आते ही एकबार फिर चांपावासी किसी भी दल के बजाय नोटा में वोट करने का मन बना रहे हैं। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह चांपा की उपेक्षा को बताया जा रहा है। सोशल मीडिया में इस मामले को लेकर लंबी बहस छिड़ गई है। लोगों की आपस में सहमति बन रही है कि कोई भी दल के नेता वोट मांगने आते हैं तो उनसे सिर्फ एक ही सवाल किया जाए, कि चांपा के लिए क्या करेंगे या फिर किस तरह की प्लानिंग चांपा के लिए है।
कोसा, कांसा व कंचन की नगरी चांपा से होकर हसदेव नदी गुजरी है, तो वहीं चांपा रेलवे जंक्शन है, जहां से रायगढ़ और कोरबा की ओर सफर किया जा सकता है। पहले चांपा ही विधानसभा था, जो परिसीमन के बाद जांजगीर चांपा विधानसभा हुआ। यहां तक जांजगीर और चांपा को मिलाकर जिले का नामकरण हुआ हैै, इसके बावजूद यहां के लोगों का मानना है कि चांपा शुरू से हर मामले में उपेक्षित रहा है। लोगों का कहना है कि 98 फीसदी सरकारी दफ्तर जांजगीर में है तो वहीं शासकीय दस्तावेजों में भी जिले का नाम अंकित करते समय सिर्फ जांजगीर लिखा जाता है। अभी सोशल मीडिया में इस मसले को लेकर लोगों की नाराजगी और उनकी भड़ास निकल रही है। चांपा के लोगों का मानना है कि चांपा में नेतृत्व क्षमता का अभाव है, जिसके चलते हमेशा से चांपा की उपेक्षा होती रही है। यहां ऐसा कोई नेता नहीं, जो चांपा के हित में बात कर सके। लोग तो यहां तक कहने लगे हैं शहर में अब कोई नेता नहीं बच गया, जो सही मंच में चांपा की आवाज को बुलंद कर सके। सोशल मीडिया में इन्हीं सब बातों पर लंबी चर्चा करते हुए इस बार कोई भी नेता वोट मांगने आते हैं तो उनसे यही पूछा जाए कि चांपा के लिए वो क्या करेंगे या फिर उनके मन में किस तरह की प्लानिंग है। यदि नेताओं के पास चांपा के लिए कोई प्लानिंग नहीं है तो उनका वोट किसी दल के बजाय नोटा को जाएगा।