छत्तीसगढ़जांजगीर-चांपा

पत्रकारों के विज्ञापन का पैसा भी डकार जा रहे कुछ कर्मचारी, कमीशन काटकर बनाई जा रही भुगतान की फाइनल सूची

जांजगीर-चांपा। जिला कार्यालय में कार्यरत चंद पत्रकारों को छोड़कर अन्य सभी पत्रकारों का जीवकोपार्जन विभिन्न अवसरों पर लगाए गए सरकारी व गैर सरकारी संस्थानों के विज्ञापनों से मिलने वाली कमीशन राशि से ही होता है। इसके बावजूद इस राशि पर भी कुछ सरकारी दफ्तरों के कर्मचारियों की गिद्ध दृष्टि रहती है। पत्रकार को विज्ञापन की राशि अदा करते समय संबंधित कर्मचारी अपना कमीशन बड़ी चालाकी से निकाल लेते हैं और उस कमीशन की राशि को पत्रकारों की फाइनल भुगतान राशि में जोड़कर अधिकारी के समक्ष सूची सौंपी जाती है।

कर्मचारियों के इस हरकत का पता लगाने की जहमत न तो पत्रकार उठाते हैं और अधिकारी भी उसी फाइनल सूची को सही मानकर शांत बैठ जाते हैं। यह कृत्य जिला मुख्यालय जांजगीर के कई सरकारी कार्यालयों में चल रहा है, जिसका पता किसी को नहीं चल पाता। आज अनायास जांजगीर के एक सरकारी दफ्तर प्रमुख के समक्ष यह राजफाश हो गया। दरअसल, एक पत्रकार उस अधिकारी के पास अपने काम से गया हुआ था। इसी बीच चर्चा के दौरान विज्ञापन राशि का जिक्र भी हुआ, जिसमें अधिकारी ने संबंधित पत्रकार के नाम के समक्ष दर्ज की गई भुगतान की फाइनल राशि वाली सूची में 500 रुपए अधिक थी। जबकि कर्मचारी ने कई तरह का बहाना बनाकर उस पत्रकार को पांच सौ रुपए कम दिया था। यहां तो किसी एक पत्रकार का मामला सामने आ गया, लेकिन उस संबंधित कार्यालय से दर्जनों पत्रकारों को विज्ञापन का बिल भुगतान हुआ है। प्रति पत्रकार 500 रुपए के हिसाब से भी यदि आंकलन किया जाए तो कर्मचारी के पूरे महीने की सैलरी निकल जाएगी। यह किसी एक सरकारी कार्यालय का नहीं, बल्कि अमूमन ज्यादातर सरकारी कार्यालयों में होता होगा। क्योंकि अफसर भी किसी एक कर्मचारी पर भरोसा करते हुए विज्ञापन भुगतान की जवाबदारी उसे दे देता है और वह कर्मचारी अपनी सैलरी की राशि देने जैसा बर्ताव करते हुए प्रति पत्रकारों से मोलभाव करते हुए अपना कमीशन निकाल लेता है और भुगतान पूर्ण होने के बाद बढ़ी हुई राशि की फाइनल सूची प्रस्तुत कर दिया जाता है। आपकों बता दें कि प्रिंट व इलेक्ट्रानिक मीडिया संस्थान प्रमुख से हर वोकेशन में विज्ञापन का एक टारगेट दिया जाता है, जिसमें पत्रकार का महज 15 से 30 प्रतिशत कमीशन रहता है। आज पत्रकारों की अधिकता के चलते विज्ञापन भी कम हो गए हैं और उसमें भी इस तरह कमीशन काटकर बेमन से राशि का भुगतान किया जाता है। पत्रकारों को भी इस गंभीर मामले में संज्ञान लेने की जरूरत है।