क्राइमछत्तीसगढ़जांजगीर-चांपा

सक्ती के बाद चांपा क्रिकेट सट्टे के मामले में हमेशा सुर्खियों में रहा, फिर भी क्रिकेट सट्टा का नहीं बन रहा एक भी प्रकरण, पुलिस की कार्यप्रणाली पर उठने लगा सवाल

जांजगीर-चांपा। आईपीएल क्रिकेट का खुमार लोगों पर चढ़ा हुआ है तो वहीं क्रिकेट सट्टे का कारोबार भी पूरे शबाब पर होने की खबरें आ रही है। खास बात यह है कि तकनीक के इस दौर का भरपूर फायदा उठाते हुए क्रिकेट सटोरिए अपनी मंसूबे में कामयाब हो रहे हैं तो वहीं सटोरियों तक पहुंच पाने में पुलिस भी नाकाम है। यही वजह है कि जिले की पुलिस क्रिकेट सट्टा का एक भी प्रकरण नहीं बना पा रही है। कभी कभार कार्रवाई होती भी है तो छोटी मछली को पकड़कर खानापूर्ति कर दी जाती है।

सक्ती के बाद चांपा क्रिकेट सट्टे के मामले में हमेशा से सूर्खियों में रहा है। यहां क्रिकेट के हर सीजन में लाखों करोड़ों रुपए के सट्टा खेलाए जाने की खबरें भी लगातार आती रही है। सूत्रों के मुताबिक चांपा में अभी भी सट्टा पूरे शबाब पर है। सटोरिए अपने मुंशियों के जरिए सट्टा खिला रहे हैं और प्रमुख सटोरियों बड़े आराम से सार्वजनिक तौर पर लोगों के बीच खुद को रखने की कोशिश कर रहे है। ताकि किसी को भी इन सटोरियों पर शक न हो। लेकिन खबरें ये भी आ रही है कि क्रिकेट सट्टे का यह खेल आईडी के जरिए हो रहा है। जिस तरह एक तय राशि का मोबाइल रिचार्ज होता है, उसी तरह क्रिकेट सट्टा भी तय राशि का आईडी तैयार खेला जा रहा है। तय राशि की आईडी बनने के बाद उस राशि का उपयोग क्रिकेट सट्टा खेलने के लिए किया जाता है। खास बात यह है कि पुलिस भी इन तक पहुंच पाने में खुद को असहाय महसूस करती है। क्योंकि सटोरिए इंटरनेट और इस सूचना क्रांति का बखूबी उपयोग कर चकमा देने कामयाब हो जा रहे हैं। यही वजह है कि पुलिस क्रिकेट सट्टा एक भी प्रकरण नहीं बना पा रही है। इधर, क्रिकेट सट्टे की लत ने कई लोगों की जिंदगी ही बर्बाद कर दी है। जीतने की लालच में लोग कर्ज लेकर क्रिकेट सट्टे में दांव लगाते हैं, लेकिन दांव नहीं लगने की स्थिति में फिर कहीं से कर्ज की जुगाड़ में लग जाता है। और एक स्थिति ऐसी आती है कि कर्जदारों से खुद को बचा पाने में लोग नाकाम साबित होता है, जिसका नतीजा बेहद खतरनाक हो सकता है।