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सोने की कीमतों में भारी गिरावट: निवेशकों को राहत, जानिए क्या हैं इसकी बड़ी वजहें

नई दिल्ली। सोमवार को सोने की कीमतों में अचानक बड़ी गिरावट दर्ज की गई, जिससे आभूषण खरीदने वालों को बड़ी राहत मिली है। 24 कैरेट 10 ग्राम सोने की कीमत करीब ₹93,000 तक पहुंच गई, जो पिछले महीने अप्रैल में ₹1 लाख के पार थी। शुक्रवार को IBJA के मुताबिक कीमत ₹96,400 थी, यानी सोमवार को सोना करीब ₹3,400 सस्ता हुआ।

सोना क्यों हो रहा है सस्ता? जानिए मुख्य कारण

1. शेयर बाजार में जबरदस्त तेजी
सोमवार को सेंसेक्स 2,975 अंकों की छलांग के साथ 82,429 पर और निफ्टी 916 अंक चढ़कर 24,924 पर बंद हुआ। भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर समझौता और अमेरिका-चीन के बीच टैरिफ सुलह के कारण निवेशकों का भरोसा शेयर बाजार की ओर बढ़ा, जिससे सुरक्षित निवेश माने जाने वाले सोने में बिकवाली बढ़ गई।

2. अंतरराष्ट्रीय बाजार में गिरावट
ग्लोबल मार्केट में भी सोने की कीमतों में कमजोरी आई है। COMEX पर यह 1.13% गिरकर $2,557.40 प्रति औंस पर आ गया, जो दो महीनों का निचला स्तर है।

3. अमेरिका-चीन के बीच टैरिफ सुलह
दोनों देशों ने आयात शुल्क में भारी कटौती की घोषणा की है। अमेरिका ने चीनी उत्पादों पर टैरिफ 145% से घटाकर 30% किया, वहीं चीन ने अमेरिकी वस्तुओं पर टैरिफ 125% से घटाकर 10% कर दिया। इससे ग्लोबल अनिश्चितता में कमी आई है, और निवेशकों का रुझान अब शेयर बाजार की ओर है।

4. चीन में मांग में गिरावट
छुट्टियों की वजह से चीन जैसे बड़े उपभोक्ता देश में सोने की मांग घटी है, जिसका असर वैश्विक बाजार पर पड़ा है।

5. मजबूत अमेरिकी डॉलर
डॉलर इंडेक्स तीन साल के उच्चतम स्तर 100 से ऊपर पहुंच चुका है। जब डॉलर मजबूत होता है, तो सोने की कीमतें गिरती हैं क्योंकि सोना डॉलर में ही मूल्यांकित होता है।

6. घरेलू बाजार में भी बिकवाली
MCX पर जून 2025 के सोना वायदा भाव में 4% यानी ₹3,930 की गिरावट देखी गई, जो ₹92,588 प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ। इंट्राडे में यह ₹92,389 तक गिरा।

क्या सोना और सस्ता हो सकता है?
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि ग्लोबल अनिश्चितता नहीं बढ़ती और निवेशकों का रुझान शेयर बाजार की ओर बना रहता है, तो सोने के दाम ₹90,000 से नीचे भी जा सकते हैं। हालांकि ये अनुमान वैश्विक आर्थिक स्थितियों और भू-राजनीतिक घटनाओं पर निर्भर करेंगे।

निष्कर्ष:
वर्तमान स्थिति सोने के खरीदारों के लिए फायदेमंद है, लेकिन निवेशकों को सतर्क रहना चाहिए क्योंकि वैश्विक घटनाक्रम कभी भी तस्वीर बदल सकते हैं।