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दुर्ग के 23 गांवों के किसानों की बढ़ी मुसीबत: 7 साल से लगी पाबंदी नहीं हटी, अब रेलवे प्रोजेक्ट ने भी बढ़ाया संकट

दुर्ग: जिले के 23 गांवों के किसानों के लिए जिला प्रशासन का हालिया फैसला बड़ी परेशानी का कारण बन गया है। भारत माला प्रोजेक्ट के लिए पहले से ही जमीन की खरीदी-बिक्री पर प्रतिबंध लगा था, और अब खरसिया-नया रायपुर-परमलकसा रेलवे लाइन प्रोजेक्ट के चलते इन्हीं गांवों की पूरी जमीन पर एक बार फिर से प्रतिबंध लगा दिया गया है।

भारत माला प्रोजेक्ट: 7 साल से जारी है प्रतिबंध

24 फरवरी 2018 को भारत माला सड़क परियोजना के तहत दुर्ग जिले के 26 गांवों में सड़क और उसके 100 मीटर के दायरे में आने वाली जमीन की खरीदी-बिक्री पर रोक लगाई गई थी। सात वर्षों के लंबे संघर्ष के बाद अब तक केवल 4 गांवों से ही यह प्रतिबंध हटाया गया है, जबकि शेष गांव अब भी प्रभावित हैं।

अब रेलवे प्रोजेक्ट ने बढ़ाई चिंता

नई रेलवे लाइन प्रोजेक्ट – खरसिया से नया रायपुर होते हुए परमलकसा तक – दुर्ग ब्लाक के 12 और पाटन ब्लाक के 11 गांवों से होकर गुजरेगी। 11 अप्रैल 2025 को कलेक्टर अभिजीत सिंह द्वारा जारी आदेश में इन सभी 23 गांवों में जमीन की खरीदी-बिक्री पर आगामी आदेश तक पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है।

संपूर्ण गांवों पर प्रतिबंध से किसान परेशान

जहां भारत माला प्रोजेक्ट में केवल प्रभावित खसरों पर रोक थी, वहीं रेलवे प्रोजेक्ट के आदेश में केवल गांवों के नामों का उल्लेख कर दिया गया है। इससे पूरे गांव की जमीनें प्रतिबंधित हो गई हैं, चाहे वह रेलवे लाइन की जद में आएं या नहीं। इससे किसानों को भारी असुविधा हो रही है, जो अपनी जमीन न तो बेच सकते हैं और न ही उसका अन्य उपयोग कर पा रहे हैं।

भू-माफिया व दलालों की सक्रियता की आशंका

ऐसे बड़े प्रोजेक्ट्स में अक्सर भू-माफिया सक्रिय हो जाते हैं जो भ्रम फैलाकर किसानों से जमीनें सस्ते में खरीदते हैं और मुनाफाखोरी करते हैं। जमीन के टुकड़े कर ज्यादा मुआवज़े की चाह में बटांकन भी बढ़ जाता है, जिससे वास्तविक मालिकों को नुकसान होता है।

किसानों की मांग:

प्रभावित किसानों व अधिवक्ता जे.के. वर्मा का कहना है कि यह प्रतिबंध अत्यंत अदूरदर्शितापूर्ण है। रेलवे लाइन की जद में आने वाली जमीनों के खसरा नंबर के आधार पर प्रतिबंध लगाना चाहिए था, न कि पूरे गांव पर। इससे किसान लंबे समय से अपनी जमीन के उपयोग से वंचित हो रहे हैं।