छत्तीसगढ़जांजगीर-चांपा

निराला साहित्य मंडल एवं महिला मंडल चांपा द्वारा आयोजित हिंदी दिवस कार्यक्रम संपन्न

हिंदी हमारी अभिव्यक्ति का श्रेष्ठ एवं सशक्त माध्यम – पं. हरिहर प्रसाद तिवारी

निराला साहित्य मंडल एवं महिला मंडल चांपा के संयुक्त तत्वावधान में हिंदी दिवस के अवसर पर एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता निराला साहित्य मंडल के अध्यक्ष श्री राजेश अग्रवाल ने की। इस अवसर पर मुख्य संरक्षक पं. हरिहर प्रसाद तिवारी एवं कोषाध्यक्ष पं. रामगोपाल गौराहा उपस्थित रहे। यह आयोजन मंडल के प्रधान सचिव डॉ. रविन्द्र द्विवेदी के निवास, त्रिवेणी भवन, तहसील रोड, चांपा में संपन्न हुआ।

कार्यक्रम का शुभारंभ माँ सरस्वती एवं निराला जी के तैलचित्र पर दीप प्रज्वलन एवं पुष्पांजलि से हुआ। मंडल के सचिव डॉ. रविन्द्र द्विवेदी ने सभी उपस्थितों के साथ समवेत स्वर में सरस्वती वंदना का पाठ किया। इसके बाद मंचस्थ अतिथियों का स्वागत पुष्पगुच्छ एवं अक्षत-चंदन से किया गया। इस स्वागत की प्रक्रिया में डॉ. कुमुदिनी द्विवेदी, श्रीमती संगीता अग्रवाल एवं श्रीमती अंजलि देवांगन ने अपनी भूमिका निभाई।

हिन्दी दिवस के इस विशेष अवसर पर डॉ रविंद्र द्विवेदी ने अपने संचालन उद्बोधन में कहा –

“हिंदी की महिमा अपार है, यह संस्कृति की पहचान है,
शब्दों में जीवन रस भरती, हिंदी जन-जन की जान है।

“हिंदी केवल एक भाषा नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर है। यह न केवल भारत में, बल्कि विश्व के कई देशों में बोली और समझी जाती है। हमें अपनी भाषा पर गर्व करना चाहिए और इसके संरक्षण एवं संवर्धन के लिए निरंतर प्रयासरत रहना चाहिए। हिंदी को अपनी बोलचाल और लेखन में प्रमुखता देकर इसे और अधिक सशक्त बनाया जा सकता है।”

अध्यक्षीय उद्बोधन में राजेश अग्रवाल ने कहा-
“निराला साहित्य मंडल का उद्देश्य हिंदी साहित्य एवं भाषा के प्रचार-प्रसार के साथ-साथ नई पीढ़ी को हिंदी साहित्य से जोड़ना है। हिंदी दिवस हमें यह स्मरण कराता है कि हमें अपनी मातृभाषा के उत्थान के लिए अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है।”

मुख्य संरक्षक एवं प्रमुख प्रवक्ता पं. हरिहर प्रसाद तिवारी ने अपने वक्तव्य में कहा-
“हिंदी सिर्फ एक भाषा नहीं, बल्कि हमारी भावनाओं की अभिव्यक्ति का माध्यम है। इसे और सशक्त बनाने के लिए हमें इसे रोजमर्रा की भाषा में अपनाना चाहिए। यह हमें आपस में जोड़ती है और हमारे विचारों को सशक्त रूप में प्रस्तुत करती है।”
अपने उद्बोधन में तिवारी जी ने श्रीरामचरितमानस के प्रसंगों को जोड़कर एक ही शब्द के अनेक अर्थ बताकर हिंदी की व्यापकता को स्पष्ट किया, जिसे सभी ने बहुत पसंद किया।

पं. रामगोपाल गौराहा ने अपने उद्बोधन में कहा-
“हिंदी भाषा हमारी अस्मिता और पहचान का हिस्सा है। इस भाषा ने भारतीय समाज को सांस्कृतिक रूप से एक सूत्र में बांधने का कार्य किया है। हमें हिंदी को सिर्फ किताबों और मंचों तक सीमित न रखकर, जीवन के हर क्षेत्र में इसका उपयोग करना चाहिए। हमारी जिम्मेदारी है कि हम इसे अगली पीढ़ी तक भी पूर्ण आत्मविश्वास के साथ पहुंचाएं।”

डॉ. कुमुदिनी द्विवेदी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा-
“हिंदी भाषा हमारी धरोहर है और इसे संरक्षित रखना हमारा कर्तव्य है। हमें अपनी भाषा का सम्मान करना चाहिए और इसे अपने दैनिक जीवन में प्रमुखता से स्थान देना चाहिए। वैश्वीकरण के दौर में भी हिंदी की महत्ता बनी रहे, इसके लिए हम सभी को मिलकर प्रयास करना होगा।”

श्रीमती संगीता अग्रवाल ने अपने उद्बोधन में कहा-
“हिंदी हमारी आत्मा की भाषा है, यह हमें जड़ों से जोड़ती है। यदि हम अपनी संतानों को हिंदी बोलने और लिखने के लिए प्रेरित करेंगे तभी यह भाषा सशक्त बनेगी। हमें अंग्रेज़ी या अन्य भाषाओं से कोई विरोध नहीं, परंतु हिंदी को भूलना अपने अस्तित्व को भूलना है। यह दिवस हमें अपनी मातृभाषा की गरिमा और गौरव की रक्षा करने की प्रेरणा देता है।”

इस अवसर पर उपस्थित श्रीमती अंजलि देवांगन, श्रीमती गीता केशव सोनी, श्रीमती शर्मिष्ठा कंसारी, श्रीमती कविता देवांगन, शिक्षक एवं साहित्यकार भुवनेश्वर देवांगन ने भी अपने विचार प्रस्तुत किए। सभी ने हिंदी के प्रति अपना समर्पण और इसे सशक्त बनाने के लिए आवश्यक प्रयासों पर बल दिया।

कार्यक्रम का संचालन डॉ. रविन्द्र द्विवेदी ने किया। कार्यक्रम के अंत में महिला मंडल की कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. कुमुदिनी द्विवेदी ने उपस्थित सभी अतिथियों और सहभागियों का आभार व्यक्त किया। इसके बाद सभी ने स्वल्पाहार का आनंद लिया।

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