मजदूर, किसान, बेरोजगार सहित आम जनता के लिए ये घोर निराशाजनक बजट: दीपक दुबे
जांजगीर चांपा। राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस (इंटक) छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष दीपक दुबे ने केंद्रीय बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि मजदूर, किसान, बेरोजगार सहित आम जनता के लिए ये घोर निराशाजनक बजट है।
उन्होंने केन्द्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के द्वारा प्रस्तुत किये गये बजट को निराशाजनक एवं जनता के साथ धोखा कहा है। यह बजट गरीब को और अधिक गरीब बनाने वाला तथा अमीरों के लिए सरकारी खजाने को खोल देने वाला बजट है किसान, बेरोजगार, नौजवान, अनुसूचित जाति और पिछड़े वर्ग तथा सरकारी कर्मचारियों को प्रस्तुत बजट निराश और हताश करने वाला है बजट में दिखायी गयी अनुमानित वृद्धि दर में दो प्रतिशत तक की गिरावट आयेगी, क्योंकि लक्ष्य निर्धारित करने के आंकड़े कुछ और हैं और बताये गये आंकड़े हवाहवाई हैं। यह बजट कुछ चंद पूंजीपतियों की तिजोरी को भरने वाला ही है। उन्होंने आय कर को लेकर कहा कि उम्मीद जतायी गयी थी कि पन्द्रह लाख रूपये तक कोई आय कर नहीं लगेगा परन्तु इस बजट में मात्र बारह लाख रूपये तक की ही छूट दी गयी है मोदी सरकार एक हाथ से कर्मचारियों को दे रही है तो दूसरे हाथ से जीएसटी के माध्यम से लुट रहा है बजट से यह स्पष्ट हो गया है कि मोदी जी का पांच ट्रिलियन इकोनॉमी का लक्ष्य पहुंच से बाहर हो गया है जीएसटी जो आम आदमी को एक नहीं कई बार चुकानी पड़ रही है, उससे बचाने का बजट में कोई प्रावधान नहीं है केन्द्रीय बजट किसानों, बेरोजगारों एवं मध्यम वर्गीय परिवारों को निराश करने वाला बजट है छत्तीसगढ़ के बस्तर सरगुजा में रेल सुविधा को ध्यान नहीं रखा गया देश को चलाने वाला छत्तीसगढ़ की उपेक्षा हुआ। उन्होंने कहा कि 2022 में किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसके बजाय, 55 प्रतिशत किसान कर्ज के बोझ तले हैं और 2014 से अब तक एक लाख से अधिक किसान आत्महत्या कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार पिछले लोक लुभावन बजट में हुई घोषणाओं को ही लागू नहीं कर पाई और फिर से नई घोषणाएं करके तारीफ लेने की कवायद में लगी है। युवा, बेरोज़गार, किसान, मजदूरों के हित और बिहार की मूलभूत मांगों को दरकिनार करने वाला यह बजट रहा।
उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज जब बजट की शरुआत कृषि से तो की हैं लेकिन किसानों की मांगों और कृषि पर संसदीय स्थायी समिति की सिफारिशों पर पूरी तरह से वो चुप हैं। एमएसपी को कानूनी गारंटी के रूप में लागू करने और कृषि ऋण माफी पर कोई पहल नहीं की। वहीं पीएम किसान भुगतान का मुद्रास्फीति सूचकांकीकरण और पीएम फसल बीमा योजना में सुधार की भी कोई कवायद नहीं की है। 2022 में किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसके बजाय, 55% किसान कर्ज के बोझ तले हैं और 2014 से अब तक 1 लाख से अधिक किसान आत्महत्या कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि अब फिर से किसानों की आय दोगुनी करने की बात हो रही है। कामकाजी लोग चाहते थे कि कर मुक्त आय की सीमा बढ़ाई जाए. इससे उनकी क्रय शक्ति बढ़ेगी और उनकी बचत भी बढ़ेगी.गरीबों के साथ-साथ कामकाजी वर्ग भी महंगाई से बहुत परेशान है. खाद्य और जरूरी चीजों की आसमान छूती कीमतें कामकाजी परिवारों का बजट बिगाड़ रही हैं. ऐसे में कामकाजी लोगों की उम्मीद थी कि बजट में ऐसे उपाय शामिल होंगे जो महंगाई को काबू में लाने में मदद करेंगे.