चांपा नगरपालिका में सीएमओ की कुर्सी को लेकर राजनीति पूरे शबाब पर, पंसदीदा सीएमओ को चांपा में बैठाने को लेकर दो गुट आमने-सामने…
जांजगीर-चांपा। चांपा नगरपालिका में सीएमओ की कुर्सी को लेकर राजनीति पूरे शबाब पर है। एक गुट जहां शासन के आदेशानुसार नए सीएमओ को यहां पदस्थ कराना चाहता है तो दूसरा गुट पुराने सीएमओ से ही यहां काम लेने के लिए एढ़ी चोटी का जोर लगा रहा है। इन सबके बीच हाईकोर्ट ने एक गुट के सारे उपक्रम पर सीएमओ के ट्रांसफर आदेश पर रोक लगाकर पानी फेर दिया है। इससे आने वाले दिनों में नगरपालिका की राजनीति और उफान मारने की संभावना है।
छत्तीसगढ़ शासन के नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग रायपुर ने बीते 24 मई को आदेश जारी करते हुए विभिन्न सीएमओ का तबादला कर दिया। आदेश के अनुसार चांपा के मौजूदा सीएमओ प्रहलाद पांडेय का तबादला खरसिया किया गया। तो वहीं विक्रण भगत को पथरिया से हटाकर चांपा नगरपालिका सीएमओ के रूप में पदस्थ होने को कहा गया। नगरपालिका में विक्रण भगत पहले भी सीएमओ के रूप में कुछ दिन कार्य कर चुके हैं, जिन्हें ट्रांसफर किया गया था। उस समय भी सीएमओ के तबादले और नए सीएमओ को यहां लाने को लेकर खूब राजनीति हुई थी। उस समय भी कहा यह जा रहा था कि नए सीएमओ प्रहलाद पाण्डेय को चांपा लाने के लिए एक गुट का अहम योगदान था। लेकिन नए सीएमओ प्रहलाद पांडेय के पदभार संभालने के बाद अंदर ही अंदर आग सुलग रही थी। इधर, फिर कहा गया कि कांग्रेस के एक बड़े नेता के पास जाकर प्रहलाद पांडेय का ट्रांसफर खरसिया कराया गया है, तो वहीं यहां काम कर चुके पुराने सीएमओ विक्रण भगत को यहां पदस्थ करने आदेश जारी कराया गया है। इस बीच नगरपालिका के वार्ड नंबर 24 में उपचुनाव हुआ, जिसे बड़ी वजह बताते हुए प्रहलाद पांडेय यहां काम निपटाते रहे। चुनाव के बाद ट्रांसफर का मुद्दा ज्वलंत होते गया। इस बीच एक गुट जहां नए सीएमओ को यहां पदस्थ कराने के लिए जोर लगाता रहा तो दूसरा गुट मौजूदा सीएमओ के ट्रांसफर आदेश को रूकवाने भाग दौड़ करता रहा। इन सबके बीच हाईकोर्ट ने गुरूवार को आदेश जारी करते हुए नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग रायपुर के सीएमओ प्रहलाद पांडेय संबंधी ट्रांसफर आदेश को अगली सुनवाई तक स्थगित कर दिया है।
हाईकोर्ट ने यह दिया हवाला
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि प्रथम दृष्टया यह मामला बगैर कोई संभावित आधार और औचित्य के बार-बार सीएमओ प्रहलाद पांडेय का स्थानांतरण करना लगता है। इसलिए अंतरिम राहत देने का एक मजबूत मामला बनाया जाता है। मसलन सुनवाई की अगली तारीख तक 24 मई 2023 को जारी ट्रांसफर संबंधी आदेश के संचालन और प्रभाव पर रोक रहेगी।