छत्तीसगढ़जांजगीर-चांपा

बारिश की रिमझिम फुहारों के बीच जांजगीर में कवियों ने की कविता की बरसात, एक से बढ़कर एक कविता की प्रस्तुति से बंधा समां

जांजगीर-चांपा। हिंदी साहित्य अकादमी के तत्वावधान व प्रगतिशील लेखक मंच के सयोजकत्व में काव्य गोष्ठी का आयोजन भक्त माता कर्मा सामुदायिक भवन जांजगीर में किया गया। रिमझिम बारिश के बीच कवियों ने कविता की बरसात करते हुए की। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि संगीतकार दशरथ मतवाले थे। अध्यक्षता प्रगतिशील लेखक मंच के अध्यक्ष अरुण तिवारी ने की। विशिष्ट अतिथि प्रांतीय पदाधिकारी श्रीमती पूर्णिमा तिवारी, संभागीय अध्यक्ष जगतारण डहरे, सुरेश पैगवार रहे।

गोष्ठी का संचालन प्रगतिशील लेखक मंच के सचिव बोधीराम साहू ने शायराना अंदाज में किया। कवियों ने एक से बढ़कर एक कविता से समा बांधे रखा। अनुभव तिवारी ने शिक्षा के महत्व पर कविता प्रस्तुत किया। संभागीय अध्यक्ष जगतारण डहरे ने हिम्मत के साथ आगे बढ़ने की बात कविता में व्यक्त की। संचालन कर रहे बोधीराम साहू ने स्थान के महत्व को बताते हुए कविता यू बयां किया, छीनी से तराशा गया पत्थर भगवान बन जाता है, धोबी घाट में पड़ा पत्थर धोबी की मार खाता है। ठाकुर व्यास सिंह गुमसुम ने अपना चिट्ठा खोला, जिन्दगी थकहार के बैठ गये बरगद के छांव मे। शहर के झंझावट लगता है आ गये मेरे गाव मैं। अरुण तिवारी ने टीपीर टीपीर बरसत हे पानी, जम्म्मो झन करत हन किसानी। मुख्य अतिथि मतवाले ने कविता की तान छेड़ मंत्रमुग्ध कर दिया। सुरेश पैगवार ने अरे तू बम बनाकर गम क्यों दे जाता है सुनाया। होरीलाल कहरा ने एक सेर चावल में इतना कोहराम कैसे ले गेहूं का नाम पर तालियां बटोरी। रघुनाथ राठौर ने छत्तीसगढ़ी में मया पीरित की बाते गुनगुनाया। चंद्रकांत खूंटे ने यू कविता परोसा ए दारि कइसे मनाबो हरेली तिहार, काला खाबो रोटी झारा-झार। इनके अलावा पूर्णिमा तिवारी, भैया लाल नागवंशी, प्रमोद आदित्य, जलेस्वरी वस्त्रकार, चतुर सिंह चंचल, डॉ. दुर्गा प्रसाद मेरसा, मदन सिंह ठाकुर, रूप सिंह ठाकुर, राकेश पाण्डेय, तिजराम चौहान, अजय प्रधान, अश्वनी बर्मन ने भी कविता प्रस्तुत कर रसमय वातावरण बना दिया। श्रृंगार रस, वीर रस, व्यंग्य विधा, हास्य रस की कविताएं मंच से कवियों ने प्रस्तुत कर खुशियों की बरसात ढूंढ लाए। इस दौरान अधिसंख्य काव्य रसिको ने कविता का आनंद लिया।