छत्तीसगढ़जांजगीर-चांपा

प्राथमिक शाला भैसमुडी में शिक्षकों की लापरवाही पर उठे सवाल, शिक्षा विभाग बना मूकदर्शक

जांजगीर चांपा।  प्राथमिक शाला भैसमुडी में पिछले कुछ दिनों से विद्यालय में अनुशासनहीनता और शिक्षकों की लापरवाही देखने को मिल रही है। प्रार्थना सभा के दौरान किसी भी शिक्षक की उपस्थिति नहीं होने के कारण छात्र-छात्राएं स्वयं ही प्रार्थना कर रहे हैं और फिर अपनी कक्षाओं में प्रवेश कर रहे हैं। यह स्थिति चिंताजनक है क्योंकि विद्यालय अनुशासन का पालन कराने की जिम्मेदारी शिक्षकों की होती है, लेकिन उनकी गैरमौजूदगी के कारण विद्यार्थियों पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

शाला विकास समिति के अध्यक्ष आकाश सिंह ने इस लापरवाही को गंभीरता से लेते हुए अपनी नाराजगी व्यक्त की है। उन्होंने शिक्षा विभाग से इस मामले की उचित जाँच करने और दोषी शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई करने की माँग की है। विद्यालय के प्रमुख, प्रधानाचार्य सहित अन्य सभी शिक्षकों की अनियमितता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

समय पर नहीं आते शिक्षक

विद्यालय में कार्यरत शिक्षकों राजाराम नट, मधु राठौर, प्रमेन्द्र सिंह, शरद राठौर, संतोष बैस और शांता सिंह के समय पर विद्यालय नहीं पहुँचने की शिकायतें लगातार मिल रही हैं। ग्रामीणों और अभिभावकों का कहना है कि स्कूल में समय पर शिक्षक नहीं पहुँचते, जिससे विद्यार्थियों की पढ़ाई बाधित हो रही है। समय पर उपस्थिति न देना न केवल अनुशासनहीनता को दर्शाता है बल्कि छात्रों के भविष्य के साथ भी खिलवाड़ करता है। विद्यालय के कुछ जागरूक अभिभावकों और ग्रामवासियों ने बताया कि यह स्थिति कोई एक दिन की नहीं, बल्कि लंबे समय से बनी हुई है। कई बार इस विषय पर शिकायतें की गईं, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। कुछ अभिभावकों ने कहा कि जब शिक्षक ही स्कूल में समय पर नहीं आएंगे, तो बच्चे अनुशासन कैसे सीखेंगे?

अध्यक्ष ने की कार्यवाही की माँग

शाला विकास समिति के अध्यक्ष आकाश सिंह ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए कहा कि शिक्षा प्रणाली में सुधार की आवश्यकता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि अगर इस लापरवाही को जल्द नहीं सुधारा गया, तो वे उच्च अधिकारियों से इस मामले की शिकायत करेंगे। आकाश सिंह ने कहा, “विद्यालय में अनुशासन बनाए रखना और समय पर पढ़ाई शुरू करना शिक्षकों का कर्तव्य है। लेकिन जब शिक्षक स्वयं ही अपनी जिम्मेदारियों से भागने लगें, तो बच्चों का भविष्य खतरे में पड़ जाता है। हम चाहते हैं कि प्रशासन जल्द से जल्द इस मामले में उचित कार्रवाई करे, ताकि बच्चों की पढ़ाई सुचारू रूप से चल सके।”

अभिभावकों में रोष

अभिभावकों ने भी इस स्थिति पर चिंता जताई है। उन्होंने बताया कि वे अपने बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने के उद्देश्य से स्कूल भेजते हैं, लेकिन जब शिक्षक ही कक्षा में मौजूद नहीं होते, तो बच्चों को आत्मनिर्भर होकर पढ़ाई करनी पड़ती है। एक अभिभावक ने कहा, “अगर यह स्थिति बनी रही, तो हम मजबूर होकर शिक्षा विभाग को ज्ञापन सौंपेंगे और प्रदर्शन भी कर सकते हैं।”

शिक्षा विभाग की प्रतिक्रिया का इंतजार

अब देखने वाली बात यह होगी कि शिक्षा विभाग इस पूरे मामले में क्या कदम उठाता है। क्या दोषी शिक्षकों पर कोई कार्रवाई होगी, या फिर यह मामला भी अन्य शिकायतों की तरह अनदेखा कर दिया जाएगा? विद्यालय प्रशासन से भी इस विषय पर जवाब माँगा जा रहा है। इस खबर से यह स्पष्ट है कि यदि समय रहते शिक्षकों की अनियमितता पर लगाम नहीं लगाई गई, तो यह न केवल छात्रों के लिए हानिकारक होगा बल्कि पूरे शिक्षा तंत्र की विश्वसनीयता पर भी प्रश्नचिह्न खड़ा कर देगा। अब सभी की नजरें प्रशासन और शिक्षा विभाग की ओर हैं कि वे इस लापरवाही पर क्या ठोस निर्णय लेते हैं।