छत्तीसगढ़जांजगीर-चांपा

पेंड्रीभांठा जांजगीर में श्रीमद भागवत कथा का भव्य आयोजन, कथा सुनने उमड़ रहा भक्तों का रेला

जांजगीर चांपा। पेंड्रीभांठा जांजगीर में आयोजित भागवत महापुराण पुराण कथा प्रसंग पर व्यासपीठ महाराज भागवताचार्य पंडित मनोज पाण्डेय ने कहा गजेंद्र मोक्ष की कथा में हाथी जीव है । मगरमच्छ काल हैं, तालाब भवसागर है। जब जीव रूपी हाथी को मगर रूपी काल भवसागर में डूबोने लगता है तो जीव घबरा करके भगवान को पुकारता है ।भगवान बड़े कृपालु हैं दयालु हैं वह जाकर के जीव रूपी हाथी की रक्षा करते हैं ।हम भी अपने जीवन में भगवान को और मृत्यु को कभी ना भूलें.मृत्यु कभी भी आ सकती है काल रूपी मगरमच्छ घात लगाए बैठा है। हमें हमेशा सावधान रहना चाहिए भगवान को निरंतर याद करते रहना चाहिए।

भागवत आचार्य के रूप में पंडित मनोज पांडेय व्यास पीठ पर विराजित हैं एवं भागवत परायणकर्ता पं अंशुमान मिश्रा  है। भगवान वामन की कथा में भगवान वामन का यज्ञोपवीत संस्कार उपनयन संस्कार उनके पिता कश्यप जी ने करवाया . जन्म के समय हमें दो नयन प्राप्त होता है शरीर में.और उपनयन के समय गुरुजी हमें एक नई दृष्टि प्रदान करते हैं .वास्तव में हमारे सभी धर्म ग्रंथ कूट भाषा में लिखे गए हैं.जब तक हमारे गुरुजी कृपा करके हमें दृष्टि या दृष्टिकोण प्रदान नहीं करते हैं हम हमारे ग्रंथो का सही आशय तात्पर्य नहीं समझ पाते हैं या गुरु की दी हुई दृष्टि से दृष्टिकोण से ही शास्त्रों का अवलोकन होना चाहिए. यही उपनयन संस्कार का रहस्य है.उपनयन संस्कार में पिता बालक को मेखला प्रदान करते हैं मेखला कल का अनुशासन है पिता के द्वारा पुत्र को कुल की रीत नियम परंपराएं संस्कार आदर्श आदि की शिक्षा दी जाती है। और निर्देश दिया जाता है कि इन परंपराओं नियमों से बंध करके तुम जीवन जीना.यह मेखला धारण का रहस्य है भगवान जी यज्ञोपवीत के पश्चात बली की सभा में जाते हैं और उसे दान में तीन पाँव भूमि प्राप्त करते हैं और बदले में बली को अपने आप को भी प्रदान कर देते हैं.यह भगवान की बहुत बड़ी कृपा है भगवान की बली को छलने नहीं गए थे बल्कि उसे पर कृपा करने गए थे। कथा अवसर पर मुख्य यजमान महेश्वर प्रसाद पाण्डेय के समस्त परिवार, सहित रिश्तेदार एवं पेंड्रीभाठा के निवासी तथा क्षेत्र के गणमान्य श्रद्धालु भक्तजन कथा श्रवण करने हेतु भारी संख्या में उपस्थित थे।