सुप्रीम कोर्ट में वक्फ कानून विवाद: क्या, कौन और कब

वक्फ कानून एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट में इसके बारे में विवाद चल रहा है। इस लेख में, वक्फ कानून के ऐतिहासिक महत्व और वर्तमान विवाद पर चर्चा करेंगे।
मुख्य बिंदु
- वक्फ कानून का ऐतिहासिक महत्व
- वक्फ विवाद के मुख्य मुद्दे
- सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की प्रक्रिया
- वक्फ कानून के भविष्य के प्रभाव
- विवाद के समाधान के लिए संभावित तरीके
वक्फ कानून का परिचय और इतिहास
भारत में वक्फ कानून के विकास को समझने के लिए, इसके ऐतिहासिक और संवैधानिक पहलुओं का विश्लेषण करना जरूरी है। वक्फ कानून एक महत्वपूर्ण इस्लामिक परंपरा है। यह भारत में एक लंबा इतिहास रखता है।
वक्फ का अर्थ और इस्लामिक परंपरा में महत्व
वक्फ का अर्थ है कि आप किसी धार्मिक या परोपकारी उद्देश्य के लिए अपनी संपत्ति दान करें। इस्लामिक परंपरा में, वक्फ बहुत महत्वपूर्ण है। यह समुदाय के कल्याण और विकास के लिए एक महत्वपूर्ण साधन है।
वक्फ के कुछ प्रमुख लाभ हैं:
- धार्मिक और सामाजिक कल्याण
- शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं का प्रावधान
- समुदाय के विकास में योगदान
वक्फ संशोधन कानून, 2025 के तहत मुस्लिमों की दान की संपत्ति और इसका प्रबंधन देखने वाले संस्थानों को लेकर कई नए नियम बनाए गए थे। इसके तहत…
वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों और कम से कम दो महिला सदस्यों को नामित किए जाने का नियम बनाया गया है। साथ ही केंद्रीय वक्फ परिषद में भी इस्लाम धर्म से इतर कई सदस्यों के नामांकन की व्यवस्था की गई है।
नए कानून में उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ का खंड हटाया गया है। यानी अब हर कोई अपनी संपत्ति वक्फ नहीं कर सकता है। सिर्फ इस्लाम धर्म का पालन करने वाला व्यक्ति लंबे इस्तेमाल के आधार पर ही संपत्ति वक्फ कर सकता है।
- वक्फ से जुड़े विवादों के मामलों में राज्य सरकार को एक वरिष्ठ अधिकारी नामित करने का अधिकार दिया गया है। पहले यह शक्तियां जिला कलेक्टर को देने की व्यवस्था थी, लेकिन जेपीसी में इस नियम को बदला गया।
- नए कानून में वक्फ न्यायाधिकरण के गठन के तरीके को बदला गया और इसके फैसलों को अन्य न्यायालयों में चुनौती देने का प्रावधान भी जोड़ा गया।
- वक्फ कानून लागू होने के छह महीने के अंदर हर वक्फ संपत्ति की जानकारी सेंट्रल डाटाबेस में देना जरूरी है। ऐसा न करने पर वक्फ विवाद की स्थिति में जमीनी मामले को अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकेगी।

वक्फ संशोधन कानून को लेकर कौन-कौन अदालत पहुंचा?
सुप्रीम कोर्ट में फिलहाल इस मामले की सुनवाई तीन जजों की बेंच कर रही है। इनमें चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी. विश्वनाथन शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट में मामले में 72 याचिकाएं दायर हुई हैं। याचिकाकर्ताओं में कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद, इमरान प्रतापगढ़ी, एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी), आम आदमी पार्टी नेता अमानतुल्ला खान, अरशद मदनी, जमीयत उलेमा-ए-हिंद, समस्त केरल जमीयतुल-उलेमा, अंजुम कादरी, तैयब खान सलमानी, मोहम्मद शफी, मोहम्मद फजलुररहीम, भाकपा और राजद नेता मनोज कुमार झा, आंध्र प्रदेश की पार्टी-वाईएसआरसीपी, तमिलनाडु के दो दल- द्रमुक और अभिनेता विजय की पार्टी टीवीके शामिल हैं।
इसके अलावा वकील हरि शंकर जैन और मणि मुंजाल नााम के याचिकाकर्ता ने एक अलग याचिका देकर कानून के कई भागों को चुनौती दी है और इन्हें मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करने वाला बताया है।
कोर्ट में जवाब देने के लिए केंद्र सरकार के अलावा भाजपा शासित सात राज्यों ने याचिका दायर की थी। इनमें हरियाणा, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड और असम शामिल हैं। इन राज्यों ने वक्फ संपत्तियों के सुधारवादी प्रबंधन के लिए कानून को जरूरी करार दिया है। इन्होंने वक्फ संपत्तियों के अपूर्ण सर्वे और खराब अकाउंटिंग के साथ वक्फ न्यायाधिकरण में लंबित मामलों का भी हवाला दिया है।

वक्फ कानून पर कैसे सुनवाई हुई?
वक्फ कानून पर अलग-अलग पक्षों ने अपनी दलीलें रखीं। जहां याचिकाकर्ताओं ने कई प्रावधानों पर सवाल पूछे तो वहीं सरकार ने इसके जवाब दिए। दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट की तरफ से भी कई टिप्पणियां की गईं।
क्या बोले याचिकाकर्ता?
- याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने वक्फ संशोधन अधिनियम का हवाला दिया और कहा कि वह उस प्रावधान को चुनौती दे रहे हैं, जिसमें कहा गया है कि केवल मुसलमान ही वक्फ बना सकते हैं। सिब्बल ने पूछा, ‘राज्य कैसे तय कर सकता है कि मैं मुसलमान हूं या नहीं और इसलिए वक्फ बनाने के योग्य हूं या नहीं?’ उन्होंने कहा, ‘सरकार कैसे कह सकती है कि केवल वे लोग ही वक्फ बना सकते हैं जो पिछले पांच सालों से इस्लाम का पालन कर रहे हैं?’
- कपिल सिब्बल ने कहा कि सेंट्रल वक्फ काउंसिल (1995) के तहत बोर्ड में सभी मुस्लिम होते थे। हिन्दू और सिख बोर्ड में भी सभी सदस्य हिन्दू और सिख ही होते हैं। नए वक्फ संशोधित अधिनियम में विशेष सदस्यों के नाम पर गैर मुस्लिमों को जगह दी गई है। यह नया कानून अधिकारों का सीधा उल्लंघन है।
- वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी, जो कुछ याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, ने कहा कि वक्फ अधिनियम का पूरे भारत में प्रभाव होगा और इनसे जुड़ी याचिकाओं को उच्च न्यायालय में नहीं भेजा जाना चाहिए।
- वक्फ अधिनियम का विरोध कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता हुजेफा अहमदी ने कहा कि उपयोगकर्ता की तरफ से वक्फ इस्लाम की एक स्थापित प्रथा है और इसे खत्म नहीं किया जा सकता। मुस्लिम पक्ष की तरफ से बात रखते हुए एक अन्य अधिवक्ता राजीव शकधर ने कहा कि मूल रूप से अनुच्छेद 31 को हटा दिया गया था। वे संपत्ति के साथ कब छेड़छाड़ कर सकते हैं?
- वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने कहा कि यह कानून इस्लाम धर्म की अंदरूनी व्यवस्था के खिलाफ है। राजीव धवन ने कहा कि संवैधानिक हमले का आधार यह है कि वक्फ इस्लाम के लिए आवश्यक और अभिन्न अंग है। धर्म, विशेष रूप से दान, इस्लाम का आवश्यक और अभिन्न अंग है।
सरकार ने क्या पक्ष रखा?
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि बहुत से मुसलमान ऐसे भी हैं जो वक्फ कानून से शासित नहीं होना चाहते। उन्होंने यह भी बताया कि नया वक्फ संशोधन कानून संसद की संयुक्त समिति की 38 बैठकों के बाद बना है और इसे 98.2 लाख लोगों की राय जानने के बाद पारित किया गया।